लुण्ड्रा ब्लाक के 51 ग्राम में ग्राम पंचायत सचिवों को सीएफआरएमसी में भी सचिव बनाने का आरोप
अंबिकापुर। वन संसाधन प्रबंधन समिति के गठन में नियमों को ताक पर रखकर ग्राम पंचायत के सचिवों को ही समिति का सचिव बना देने को लेकर राज्य समन्वयकों ने इसे नियम विरूद्ध बताते हुए इसमें बनाए गए सचिवों को हटाने की मांग लुण्ड्रा जनपद के सीईओ से की है।
जानकारी के अनुसार अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम, 2006 नियम 2007 तथा संशोधित नियम 2012 की धारा 3 (1) (झ) के तहत विकासखण्ड लुण्ड्रा के 85 ग्रामसभाओं को सामुदायिक वन संसाधन के संरक्षण, संवर्धन पुनर्जनन और प्रबंध करने का अधिकार प्राप्त है। इसके तहत नियमानुसार प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए सरगुजा कलेक्टर द्वारा 20 जून को पत्र जारी करके 03 जुलाई से विशेष ग्राम सभा का आयोजन कर जिले के 262 ग्रामों में प्रावधान अनुरूप सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति गठन करने का आदेश दिया गया था। इसके बाद संबंधित ग्रामों में ग्राम सभा सदस्यों में 5 से 11 सदस्य, जिसमें एक तिहाई महिला और 3 पदाधिकारी अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष चुना गया, लेकिन सचिव का दारोमदार ग्राम पंचायत के सचिव को दे दिया गया, जो नियम के विपरीत है। ऐसे गांव की समिति में संशोधन कर सचिव को बदलने के लिए आदिवासी विकास विभाग द्वारा भी बीते माह 18 अक्टूबर को पत्र जारी किया गया है।
बता दें कि चैपाल संस्थान सरगुजा तथा पर्यावरण अहमदाबाद के संयुक्त तत्वाधान में जिले में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के विषय पर युवाओं को जागरूक करने तथा युवाओं के नेतृत्व में स्थानीय समस्याओं के समाधान हेतु काम किया जा रहा है, जिसके तहत सामुदायिक वन संसाधनों की सुरक्षा व प्रबंधन एक अहम् भाग है। इसी को लेकर 04 नवम्बर को छत्तीसगढ़ यूथ नेटवर्क के माध्यम से जनपद सीईओ लुण्ड्रा को ‘सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति (सीएफआरएमसी) में संशोधन कर उक्त समिति से ग्राम पंचायत के सचिवों को हटाने की मांग की गई है। इसमें राज्य समन्वयक नरेन्द्र कुमार दास, भगत राम, अंजली, अर्चना, ज्योति, दीपक, निलाम्बर, भाग्यवती, अमलेश, छोटेलाल व शिवनाथ मिंज शामिल थे।