बलरामपुर : स्वास्थ्य कर्मचारी गुरुचंद मंडल की गुरुवार को पुलिस हिरासत में हुई मौत के तीसरे दिन शव को दफनाया गया। ग्रामीणों की शर्त के अनुरूप अंतिम संस्कार के समय एक भी पुलिस का अधिकारी- कर्मचारी नहीं था। प्रशासन की ओर से एसडीएम व तहसीलदार बलरामपुर की उपस्थिति रही। तीसरे दिन बलरामपुर में स्थिति सामान्य रही लेकिन मंत्री रामविचार नेताम और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज के प्रवास को देखते हुए बलरामपुर में जगह-जगह पुलिस बल को तैनात किया गया था ताकि किसी भी स्थिति से आसानी से निपटा जा सके। इस पूरे घटनाक्रम में बलरामपुर थाने में पहली एफआइआर दर्ज की गई है जिसमें घटना दिवस के बाद थाने में घुसकर तोड़फोड़ करने वालों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत अपराध पंजीकृत किया गया है।

स्वास्थ्य कर्मचारी गुरुचंद मंडल के शव को शुक्रवार को स्वजन ने लेने से इनकार कर दिया था। शुक्रवार देर शाम एंबुलेंस से शव लेकर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मृतक के गांव सन्तोषीनगर पहुंच गए थे। स्वजन और बंग समाज के लोगों को समझाने का प्रयास किया गया। काफी देर तक दोनों पक्षों के बीच चर्चा चलती रही लेकिन कोई हल नहीं निकल रहा था। ऐसे में बलरामपुर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने हस्तक्षेप किया। स्वजन और समाज की ओर से यह शर्त रखी गई कि अंतिम संस्कार के समय गांव में किसी भी पुलिस अधिकारी- कर्मचारी की उपस्थिति नहीं रहनी चाहिए। लापता महिला के प्रकरण में पूछताछ के नाम पर अकारण थाने में बुलाकर प्रताड़ित नहीं किया जाए। जितनी जानकारियां थी वह पुलिस से साझा कर दी गई है। ग्रामीणों की मांग पर कथित रूप से सहमति बन जाने के बाद स्वजन शव लेने तैयार हुए। शनिवार सुबह से बड़ी संख्या में लोग मृतक के घर जुटने लगे थे। दोपहर में अंतिम यात्रा निकाली गई। मृतक के शव को दफनाया गया। इस दौरान किसी भी पुलिस अधिकारी-कर्मचारी की उपस्थिति गांव में नहीं थी।

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