इलाहाबाद से आए कम उम्र के लड़के टोकरी में जहरीले नागिन को लेकर घूम रहे थे
अंबिकापुर। प्रदेश में वेनम सेंटर, स्नेक पार्क की स्थापना के संकल्प के साथ विभिन्न प्रजातियों के सांपों की रक्षा के लिए सतत संघर्षशील रहने वाले सरगुजा के स्नैकमैन सत्यम द्विवेदी को तीन दिन पहले जहरीले नागिन ने डस लिया। इनका मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में उपचार चल रहा है। शहर के इस शख्स ने अब तक लगभग 8 हजार सांपों का रेस्क्यू करके उन्हें सुरक्षित वन्य स्थानों में स्वच्छंद विचरण के लिए छोड़ा है। जहरीले से जहरीले सांप का रेस्क्यू करने वाले सत्यम को इलाज की बेहतर सुविधा मिले, इसके लिए किसी प्रकार की विशेष पहल जिम्मेदारों के द्वारा नहीं की गई है। एक आम आदमी की तरह उनका अस्पताल के मेडिकल वार्ड में उपचार चल रहा है। इनके हुनर से अनभिज्ञ अस्पताल के वार्ड में ड्यूटी देने वाले स्टॉफ का रूखा व्यवहार झेलते वे अपना इलाज करा रहे हैं।
सत्यम ने बताया कि शनिवार को उन्हें सूचना मिली कि अजिरमा में कुछ लड़के टोकरी में जहरीले नाग सांप को लेकर घूम रहे हैं। इनके कम उम्र को देखते हुए संभावना जताई गई थी कि सांप अगर टोकरी से निकलकर किसी के घर, दुकान के अंदर प्रवेश कर गए तो दिक्कत की स्थिति बन सकती है, वहीं लड़कों को भी खतरा हो सकता है। सूचना पर वे मौके पर पहुंचे और देखा कि कम उम्र के लड़के 5 जहरीले नाग सांप को टोकरी में लेकर भिक्षाटन की मंशा से घूम रहे हैं। नागिन प्रजाति के इन सांपों का विष भी नहीं निकाला गया था। ऐसे में नाग सांप दिखाते वक्त ये लड़के भी खतरे में पड़ सकते थे। इसे देखते हुए उन्होंने नागिन को इन लड़कों के कब्जे से लेकर जंगल क्षेत्र में छोड़ने की सोच बनाई। इसी प्रयास में लड़के खींचातानी करने लगे और एक नागिन ने उन्हें डस लिया। इसके बाद उन्हें त्वरित चिकित्सा सुविधा की जरूरत महसूस हुई और मेडिकल कॉलेज अस्पताल में वे भर्ती रहकर उपचार करा रहे हंै। सत्यम ने बताया कि आईसीयू में बेहतर देखभाल के साथ वहां के स्टॉफ का व्यवहार अच्छा रहा। इस दौरान उन्हें कमी सिर्फ एक बात की खली, अवकाश का दिन होने के कारण चिकित्सक देखने नहीं आए। मेडिकल वार्ड में आने के बाद यहां के स्टॉफ का व्यवहार मरीजों के प्रति संवेदनशील हो, ऐसा देखने को नहीं मिला। कुछ अनुभवहीन स्टॉफ भी सामने आए। उन्हें अभी चिकित्सा टीम के निगरानी की जरूरत है, इसलिए वे अपना इलाज करा रहे हैं। बहरहाल किसी के घर, बाड़ी में जहरीले नाग, अहिराज सहित अन्य प्रजाति के सांप हों या अजगर सांप, इनका रेस्क्यू करने के लिए दिन-रात नहीं देखने वाले सत्यम को बेहतर इलाज की सुविधा मिले, इसके लिए स्थानीय प्रशासन को भी पहल करनी चाहिए।
सांप करने के बाद दृष्टि दोष की स्थिति बनी
सत्यम ने बताया कि सांप के काटने के बाद उनमें दृष्टि दोष जैसी स्थिति बनी है। चिकित्सकों का कहना है कि इलाज के बीच 21 दिनों के अंतराल में पूर्ववत स्थिति बन पाएगी। बता दें कि स्नैक मैन सत्यम सरगुजा ही नहीं पूरे प्रदेश में अपनी पहचान स्नैकमैन के रूप में बना चुके हैं। पिछले 5-6 वर्षों से वे अपनी संस्था नेचर कंजर्वेशन सोसायटी के माध्यम से जहरीले सांप को पकड़ने के साथ-साथ उन्हें बचाने और लोगों के बीच उपजे भय को दूर कर सर्पों के संरक्षण पर जोर दे रहे हैं। वे सांप को नहीं मारने के पक्षधर हैं। सर्प रेस्क्यू के साथ वे महामाया पुर्नवास केन्द्र के माध्यम से गौ प्रजाति की सुरक्षा के अभियान में भी जुटे हैं, जिसमें शहर के एक बड़ेे वर्ग का साथ मिल रहा है।
ऐसे बना सांपों का संरक्षण जीवन का हिस्सा
सांपों को जैविविधता का महत्वपूर्ण हिस्सा मानने वाले सत्यम द्विवेदी अब तक लगभग 8 हजार सांपों का रेस्क्यू करके उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ चुके हैं। इनमें से 15 सौ से अधिक विषैले सर्पों का वे रेस्क्यू कर चुके हंै। लगभग 9 वर्ष पूर्व तकिया रोड में अजगर सांप का पहला रेस्क्यू उन्होंने किया था। इसके बाद उन्होंने अंतर्मन से सर्प प्रजाति को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया। बिलासपुर में पीएससी की तैयारी दौरान इंटरनेट मीडिया के माध्यम से सर्प के रेस्क्यू पर अध्ययन शुरू किया, जो आज उनके जीवन का हिस्सा बन गया है। वर्ष 2019 में कोरोनाकाल के दौरान अंबिकापुर आने के बाद वे पुन: सांप पकड़ने लगे। इसके बाद इंटरनेट मीडिया में वे सुर्खियों में आए और कई सकारात्मक संदेश के साथ सांपों का रेस्क्यू करने के लिए दिन-रात फोन आना शुरू हो गया।

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