हर वर्ष अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, मलेसिया में रहने वाले भक्त करते हैं श्रद्धा अर्पण
शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से, महंगाई के बीच मनोकामना ज्योति कलश स्थापना को लेकर भक्तों में उत्साह
अंबिकापुर। अंबिकापुर में स्थित मां महामाया शक्तिपीठ के अलावा मां दुर्गा शक्तिपीठ गांधी चौक सहित अन्य मंदिरों में नवरात्रि पर्व की तैयारी शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ ही नहीं विदेशों में बसे लोग ख्यातिप्राप्त मां महामाया शक्तिपीठ में अखंड मनोकामना दीप प्रज्जवलित कराते हैं। हर वर्ष नवरात्रि पर्व के मौके पर मंदिर में साफ-सफाई के साथ रंग-रोगन का काम किया जाता है। नवरात्रि के मौके पर होने वाली भक्तों की भीड़ को देखते हुए बैरीकेडिंग, पुलिस व्यवस्था सहित अन्य आवश्यक तैयारियां पूरी की जा रही हैं। इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिन होगी।
मां महामाया मंदिर में इस बार 6500 घी और तेल के दीप प्रज्जवलित करने का लक्ष्य रखा गया है। माता के भक्तों पर इस बार महंगाई का भार भी पड़ेगा। मां महामाया मंदिर में इस वर्ष अखंड घृत दीप प्रज्जवलित करने के लिए 2100 रुपये और तेल दीप प्रज्ज्वलन के लिए 800 रुपये देना होगा। बीते वर्ष भक्तों ने मनोकामना दीप प्रज्जवलन कराने के लिए 1500 और 600 रुपये दिया था। इस बार मातारानी के भक्तों को घी का मनोकामना दीप प्रज्जवलित कराने के लिए 600 रुपये और तेल का दीप प्रज्जवलित कराने के लिए 200 रुपये अतिरिक्त देना पड़ रहा है। इसके बाद भी भक्तों की आस्था में कमी नहीं आई है। मंदिर संमिति के सेवादार बताते हैं कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, मलेसिया से भक्तों ने घृत मनोकामना दीप प्रज्जवलन कराने के लिए अपना स्थान आरक्षित कराया है। वहीं मां दुर्गा शक्तिपीठ गांधी चौक में भी दक्षिण अफ्रीका, मुम्बई, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश से कई भक्तों ने अखंड मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलन के लिए रसीद कटवाकर स्थान सुरक्षित किया है। यहां उपलब्ध स्थान के अनुसार घी के 500 और तेल के 2000 दीप प्रज्जवलित होने की उम्मीद है। मनोकामना दीप प्रज्जवलन कराने के लिए ली जाने वाली सहयोग राशि बीते वर्ष की भांति पूर्ववत घृत ज्योति के लिए 1601 रुपये और तेल ज्योति के लिए 651 रुपये है।
शुभ कार्यों की पहली अर्जी लगती है यहां
जानकार बताते हैं कि सरगुजा की आराध्य देवी मां महामाया मंदिर का निर्माण सन 1910 में कराया गया था। पूर्व में एक चबूतरे में माता विराजमान थी, तत्समय यहां बाघों का डेरा था। राजपरिवार के सदस्य जब यहां पूजा करने के लिए आते थे तो उनके सैनिक बाघ को हटाते थे। मां महामाया को सरगुजा राजपरिवार कुलदेवी के रूप में पूजते आ रहे हैं। मंदिर में मां की दो मूर्तियां हैं। शारदीय नवरात्रि 2024 को यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यहां श्रद्धा, आस्था और विश्वास के बीच जन मान्यताएं आज भी प्रचलन में हैं। शुभ कार्य या तो माता के दरबार में लोग संपन्न कराते हैं, या फिर पहली अर्जी मां महामाया के सामने लगाते हैं। यही वजह है कि न सिर्फ सरगुजा बल्कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित भारत के कई राज्यों और विदेशों से नवरात्रि के मौके पर मनोकामना दीप जलाने के लिए भक्त पहले से अपना स्थान रसीद कटवाकर पहले क्रम में आरक्षित करा लेते हैं।
दीप प्रज्जवलन में करते हैं ब्रांडेड घी का उपयोग
मां महामाया शक्तिपीठ और मां दुर्गा शक्तिपीठ में पूर्व में ब्रांडेड नोवा घी से दीप प्रज्जवलित किए जाते थे। इस बार देवभोग घी का उपयोग दीप प्रज्जवलन में किया जाना है। मंदिर के सेवादारों ने बताया कि उपलब्धता के अनुरूप वे दोनों ही घी का प्रयोग करेंगे। अगर देवभोग घी की पर्याप्त उपलब्धता रहेगी तो इसी घी का उपयोग अखंड मनोकामना दीप प्रज्जवलन में किया जाएगा। दोनों मंदिरों में मनोकामना दीप प्रज्जवलन के लिए बुकिंग लक्ष्य के करीब पहुंच चुकी है।

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