महाधिवक्ता ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर की सख्त कार्रवाई की मांग

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ में अधिकारियों की लापरवाही और धोखाधड़ी का एक गंभीर मामला सामने आया है। हाईकोर्ट के नोटिस के बाद महाधिवक्ता कार्यालय ने जल संसाधन विभाग के ओआईसी (प्रभारी अधिकारी) को जवाब दाखिल कराने के लिए बुलाया। लेकिन असली ओआईसी की जगह दूसरे अधिकारी को भेजकर धोखाधड़ी की गई, जिससे महाधिवक्ता कार्यालय में बड़ा हंगामा खड़ा हो गया। इस धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ जब अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जरूरी दस्तावेजों की जानकारी मांगी। नाराज महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दोनों अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

मामला क्या है?
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने रिट याचिकाओं की सुनवाई के बाद राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसके तहत जल संसाधन विभाग के ईई सुरेश कुमार पांडे को ओआईसी के रूप में नियुक्त किया गया था, जिन्हें महाधिवक्ता कार्यालय ने जवाब तैयार कराने के लिए तलब किया था। लेकिन 26 सितंबर 2024 को उनकी जगह प्रदीप कुमार वासनिक, जो कि कोरबा डिवीजन में ईई हैं, खुद को सुरेश पांडे बताकर महाधिवक्ता कार्यालय पहुंचे और जवाब तैयार कराने की कोशिश की।

कैसे हुआ धोखाधड़ी का खुलासा?
महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसरों ने प्रदीप वासनिक को सुरेश पांडे समझकर जरूरी दस्तावेज उन्हें सौंप दिए। जब अतिरिक्त महाधिवक्ता ने उनसे दस्तावेज और दिशा-निर्देशों के बारे में सवाल किए, तो प्रदीप वासनिक जवाब नहीं दे पाए। बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि वे असली ओआईसी नहीं हैं और सुरेश कुमार पांडे के नाम पर वहां पहुंचे थे। यह खुलासा होते ही महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने इसे गंभीर धोखाधड़ी करार दिया और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दोनों अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया।

महाधिवक्ता की नाराजगी
महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने अपने पत्र में लिखा कि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा की गई यह कार्रवाई न केवल न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप है, बल्कि गंभीर धोखाधड़ी भी है। उन्होंने इसे भारतीय न्याय संहिता के तहत दंडनीय अपराध बताया है। महाधिवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि इस धोखाधड़ी के कारण हाई कोर्ट में समय पर जवाब दाखिल नहीं हो सका, जिससे राज्य को भी नुकसान हो सकता है।

महाधिवक्ता कार्यालय में नए दिशा-निर्देश
महाधिवक्ता ने चीफ सेक्रेटरी से कहा है कि अब से सिर्फ राज्य सरकार द्वारा नियुक्त ओआईसी ही महाधिवक्ता कार्यालय में जवाब दाखिल करने के लिए आएंगे। किसी अन्य व्यक्ति को अनुमति नहीं दी जाएगी। इस निर्देश का उल्लंघन करने पर संबंधित के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 319 के तहत एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

तीन याचिकाओं पर हाई कोर्ट में सुनवाई
इस धोखाधड़ी के कारण हाई कोर्ट में चल रही तीन महत्वपूर्ण याचिकाओं पर जवाब दाखिल नहीं हो सका। याचिकाकर्ताओं ने जल संसाधन विभाग के खिलाफ राहत की मांग की है। अब महाधिवक्ता कार्यालय से की गई इस धोखाधड़ी को लेकर प्रशासन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।

यह घटना छत्तीसगढ़ में न्यायिक और प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े करती है। शासन और प्रशासन को इस मामले में जल्द और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

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