दर्शन, दीक्षा एवं संगोष्ठी कार्यक्रम दौरान पत्रकारों से चर्चा किए पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य
अंबिकापुर। स्वतंत्र भारत में नैतिकता का पतन हुआ है, जैसे नेता चाहिए थे, प्राप्त नहीं हुए। चुनाव की प्रक्रिया ही कुछ ऐसी है। प्रधानमंत्री से राष्ट्रपति तक वेतनभोगी होंगे तो कल्याण कहां से होगा। आधुनिक शिक्षा में योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिलने के कारण लोग खुदकुशी कर रहे हैं। देश-प्रदेश में स्थिति यह है राजा का पता नहीं, मंत्री घूम रहे हैं। उक्त बातें शुक्रवार को अंबिकापुर स्थित हरिमंगलम में आयोजित दर्शन, दीक्षा एवं संगोष्ठी कार्यक्रम में पत्रकारों से चर्चा के दौरान पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कही। उन्होंने कहा गरीबी सरकार पालती है ताकि हिंदू की संख्या कम हो जाए। इससे धर्म विशेष की दाल गलेगी और नेताओं की राजनीति चमकेगी।
शंकराचार्य ने आगे कहा कि हिन्दू केवल अहिंसा के पक्षधर होंगे तो अपने अस्तित्व की रक्षा कैसे कर पाएंगे। आवश्यकता पड़ने पर शस्त्र का प्रयोग करना होगा। सनातन धर्म में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र भी हैं। धर्म परिवर्तन के मसले पर उन्होंने कहा कि सनातन धर्म दर्शन, विज्ञान, व्यवहार तीनों दृष्टियों से परिपूर्ण है। सेवा के नाम पर हिन्दुओं के धर्म परिवर्तन का जघन्य अपराध चल रहा है। यह कार्य शासन की सहभागिता के कारण हो रहा है। जगतगुरू शंकराचार्य ने कहा कि हर हिंदू परिवार एक रुपये का योगदान दे, जिसका उपयोग सार्थक धार्मिक कार्य में हो। लोग सनातन का गंभीरता से पालन करें। इससे धर्म परिवर्तन पर काफी हद तक अंकुश लगेगा। गौवंश की आए दिन होती मौतों के परिप्रेक्ष्य में अपना नजरिया सामने रखते हुए स्वामी निश्चलानन्द महराज ने कहा कि जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तो कहते थे कि मनमोहन सिंह सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। मनमोहन सिंह ध्यान नहीं दिए। अब नरेन्द्र मोदी स्वयं प्रधानमंत्री हैं, अब उनकी सोच बदल गई है। पीएम बनने के बाद वे गौ रक्षकों को गुंडा कहते हैं। चुटकी लेते हुए कहा कि काजल की कोठरी में समाहित हो गए, इसीलिए पतन हो रहा है।
मठ-मंदिर हड़पने का अधिकार सरकार को नहीं
पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य ने मठ, मंदिर शासन के हाथों में होने पर क्षोभ व्यक्त किया और कहा इन्हें हड़पने का सरकार को अधिकार नहीं है। आज स्थिति यह है धर्म स्थलों को पर्यटन स्थल, कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इन जगहों को भोग-विलासता की चीजों से जोड़ा जा रहा है, जो ठीक नहीं है। इससे हिंदुओं की सोच विकृत हो रही है। सिद्धांतों, आध्यात्म की रक्षा करने से भारत संपन्न होगा। उन्होंने कहा विक्रमादित्य के बाद से अब तक सनातन परम्परा को लोगों ने कुचलने का ही प्रयास किया है। आरएसएस के मोहन भागवत पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वे अपने नाम के साथ भागवत लिखना छोड़ दें।
इसीलिए भगवान श्रीराम ने उन्हें पछाड़ दिया
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण पूर्व और बाद की स्थिति पर प्रहार करते हुए कहा कि स्नेह के पात्र हैं मोदी, महात्वाकांक्षा के कारण वे इस पद पर सुशोभित हुए, लेकिन मर्यादा का ख्याल नहीं रखा। इसीलिए भगवान श्रीराम ने उन्हें पछाड़ दिया। रामलला ने अमर्यादित प्राणप्रतिष्ठा का फल उन्हें नितिश-नायडू की बैशाखी के रूप में दिया है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री कौन है, सभी जानते हैं, स्वास्थ्य अच्छा है, कीमती चमचमाते वस्त्र पहनते हैं। पत्नी, बच्चों और भाइयों से कोई लेना-देना नहीं है। सभी उनके पास आते हैं, आर्शीवाद लेते हैं।
जो हमसे टकराएगा, चूर-चूर हो जाएगा
पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सनातन बोर्ड के सवाल पर कहा कि बोर्ड है ही नहीं। बोर्ड बनाने की आवश्यकता पहले से ही वे महसूस कर रहे हैं। भारत में चार शंकराचार्य हैं, प्रत्येक के पास एक चौथाई भारत है। शासन को इसकी उपयोगिता समझनी चाहिए। सुसंस्कृति, सुशिक्षित, सुरक्षित, संपन्न, सेवाप्रायण, स्वस्थ्य, अभिकर्तव्य समाज की संरचना, यही राजनितिक की परिभाषा है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि जो हमसे टकराएगा, चूर-चूर हो जाएगा।

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