लाखों रुपए का भुगतान ना होने से बंद हुआ पिलखा क्षीर दूध प्रोसेसिंग यूनिट

बिश्रामपुर। किसानों व पशु पालकों को रोजगार के साथ उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया पिलखा क्षीर का दूध प्रोसेसिंग प्लांट करीब करीब पांच महीने से बंद पड़ा है। प्लांट के बंद होने के बाद अब जिला प्रशासन द्वारा दूध के बकायादारों से वसूली की जिम्मेदारी तहसीलदारों को दी है। पिलखा नायब तहसीलदार द्वारा क्षेत्र के दर्जन भर बकायदारो को नोटिस जारी करके राशि का भुगतान जल्द जमा कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं। गौरतलब है कि करीब 6 वर्ष पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 किनारे ग्राम पंचायत सिलफिली में करोड़ों रुपए की लागत से पिलखा क्षीर दूध प्रोसेसिंग प्लांट की शुरुआत की गई थी। यहां पर शुरुआती कुछ महीने तक किसानों व पशु पालकों द्वारा दूध बेचकर अच्छी आमदनी बढाई गई लेकिन कोरोना महामारी के बाद से प्लांट की स्थिति काफी दयनीय हो गई। ऐसी स्थिति में शुरुआत के दिनों में प्रतिदिन जहां करीब डेढ़-दो हजार लीटर दूध की खरीदी करके बेचा जाता था, वहां अंतिम दिनों की स्थिति प्रतिदिन 5 से 10 लीटर तक ही दूध आने लगा था, जिस वजह से सितंबर 2023 से ही दूध की खरीदी कार्य बंद कर दी गई है। बताया जा रहा है कि यहां पर दूध बेचने वाले दो दर्जन से अधिक किसानों का लाखों रुपए का भुगतान न होने से किसानों को आर्थिक तंगी के दौर से गुजरना पड़ रहा है। यहां पर शुरुआती दिनों में 100 से अधिक किसानों से दूध की खरीदी की जाती थी लेकिन अंतिम दिनों में महज 5-6 किसान ही बच गए थे। ऐसी स्थिति में अब करोड़ों रुपए की लागत से तैयार की गई पिलखा क्षीर के दूध प्रोसेसिंग प्लांट के अस्तित्व पर खतरा के बादल मंडराने लगे हैं। कुछ किसानों का कहना है कि जब भी प्रबंधन से दूध के पैसे की मांग की जाती है तब केवल एक ही जवाब मिलता है कि मार्केट में दूध का पैसा फंसने की वजह से राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता है। किसानों का कहना है कि कर्ज लेकर जो पशुओं के चारा पानी की व्यवस्था की गई है, वे साहूकारों द्वारा अब अपने पैसे के लिए दबाव बनाया जा रहा है।  मजे की बात तो यह है कि प्लांट के शुरुआती दिनों में विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा आय से अधिक राशि खर्च कर काफी अनियमितता बरती गई है, जिसका खामियाजा आज किसानों को भुगतना पड़ रहा है। पिलखा क्षीर दूध प्रोसेसिंग प्लांट के शुरू होने के बाद सिलफिली, गणेशपुर, पार्वतीपुर, वीरपुर, करवां, पहाड़गांव, जयनगर, रामनगर, रेवटी सहित अन्य ग्रामों के किसानों द्वारा दूध बेचकर अपना जीविकोपार्जन चलाया जाता था। बावजूद इसके यहां पर दूध का पैसा समय पर उपलब्ध न होने की वजह से किसानों द्वारा दूध खुले मार्केट में बेचा जाने लगा है। रेवटी के किसानों का जहां एक ओर करीब छह महीने के दूध का भुगतान राशि बकाया है, वहीं दूसरी ओर अन्य ग्रामों के किसानों का लाखों रुपए का भुगतान लंबित होने से किसानों को आर्थिक तंगी के दौर से गुजरने विवश होना पड़ रहा है। ज्ञात हो कि पिलखा क्षीर दूध प्रोसेसिंग यूनिट के बकाया राशि हेतु कलेक्टर के निर्देश पर पिलखा नायब तहसीलदार रामबिलास देवांगन द्वारा पिछले दिनों दूध की बकाया राशि जमा किए जाने हेतु नोटिस जारी कर दिया गया है। यहां पर बिश्रामपुर व सिलफिली के करीब तेरह काउंटर से तेरह लाख सत्तासी हजार आठ सौ चौंसठ रुपए की बकाया राशि वसूली हेतु नोटिस जारी किया गया है। पिलखा नायब तहसीलदार ने बताया कि नोटिस जारी किए जाने उपरांत दुकानदारों ने संपर्क करके जल्द ही बकाया राशि का भुगतान किए जाने की बात कही है। समयावधि में बकाया राशि का भुगतान ना किए जाने पर बकायादार दुकानों को सील करने की कार्यवाही की जाएगी। बताया जा रहा है कि दूध की बकाया राशि वसूली किए जाने हेतु लटोरी तहसीलदार द्वारा भी बकायादार दुकानदारों को नोटिस जारी करके राशि भुगतान किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।

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