अंबिकापुर। शहर के गंगापुर अंग्रेजी शराब दुकान को हटाने वर्षों से किए जा रहे मांग के बीच प्रशासन ने यहां निवासरत कुछ लोगों के लिए बेदखली का नोटिस जारी किया है। क्षेत्र से शराब दुकान तो नहीं हटा लेकिन बेदखली के आदेश के बाद लोगों को अपने पैरों तले जमीन खिसकती नजर आने लगी है। इसे अंग्रेजी शराब दुकान के विरोध से जोड़कर देखा जा रहा है।
बता दें कि नगर निगम के गंगापुर में रहने वाली महिलाएं रिहायशी इलाके में खोले गए शासकीय अंग्रेजी शराब दुकान को हटाने की सालों से मांग करते आ रही हैं। काफी प्रयास के बाद शराब दुकान तो नहीं हटा, एक दर्जन से अधिक महिलाओं के घरों को हटान, बेदखली का नोटिस जरूर भेज दिया गया है। गंगापुर वासी एक दशक से रिहायशी इलाके में खोले गए शासकीय अंग्रेजी शराब दुकान से परेशान है। शराब दुकान और शराबियों के कारण यहां के रहवासियों का घरों से निकलना दूभर हो गया है। इस वजह से गंगापुर में खोले गए शराब दुकान का रहवासी लगातार विरोध कर रहे हंै। इधर विरोध कर रहे एक दर्जन से अधिक लोगों के घरों में बेदखली के लिए राजस्व विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस के बाद विवाद और बढ़ गया। पूरे मामले को लेकर गंगापुर की महिलाएं अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल के पास पहुंची। महिलाओं ने विधायक को बताया कि शराब दुकान के लिए विरोध का स्वर दबाने राजस्व विभाग बेदखली का नोटिस भेजा है। कांग्रेस राजस्व विभाग द्वारा भेजे गए बेदखली के नोटिस को गलत बता रही है। राजस्व विभाग ने दिनेश दुबे पिता ताराचंद दुबे, आनंद झा पिता शंभू झा, द्वारिका प्रसाद पिता बंशी प्रसाद केशरी, अन्नपूर्णा पिता कैलाश प्रसाद गुप्ता, निर्मल पिता रामदेव साहनी, अखिलेश कु. दुबे पिता ताराचंद दुबे, यमुना देवी, प्रमोद पिता त्रिवेणी गुप्ता, राजेश्वर प्रसाद, बालरूप साव सभी निवासी गंगापुर को नोटिस भेजा है।
एसडीएम कोर्ट से कोरवा के पक्ष में आया है फैसला-विधायक
विधायक राजेश अग्रवाल ने कहा कि शराब दुकान के विरोध के वजह से बेदखली की कार्रवाई नहीं हो रही है। शराब दुकान का वे भी विरोध कर रहे हैं। जमीन का मामला पुराना है। जमीन किसी कोरवा की है, ये लोग शासकीय समझ कब्जा कर लिए थे। एसडीएम कोर्ट से कोरवा के पक्ष में फैसला आया है, इसलिए राजस्व विभाग ने नोटिस जारी किया है।
बेदखली का आदेश देना संदेहास्पद-जिला कांग्रेस अध्यक्ष
कांग्रेस जिला अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि गंगापुर में शराब दुकान गलत जगह पर खोला गया है, उसे जल्द से जल्द हटाना चाहिए। शराब दुकान का विरोध कर रहे लोग यदि गलत तरीके से कब्जा किए हैं तो इसकी जांच होनी चाहिए। ये लोग वहां 20-25 वर्षों से अधिक समय से वहां निवासरत हैं, लेकिन अभी उनकी बेदखली का आदेश देना संदेहास्पद है।

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