अंबिकापुर। पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने मंगलवार को कोठीघर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए भाजपा शासन के अब तक के कामकाज को 10 में 05 नंबर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार को अभी समय देना चाहिए, तत्काल कामकाज का आंकलन करना उचित नहीं है। साथ ही भाजपा के सत्ता में आने के बाद प्रदेशभर में बनी स्थिति से इंगित कराते हुए कहा कि छह माह में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं रहा है। पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है। कांग्रेस के पंचवर्षीय शासनकाल के परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री रहने का फार्मूला इतना प्रचारित हुआ कि इसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी को भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में 95 प्रतिशत अधिकारियों का व्यवहार उनके प्रति अच्छा रहा, चार-पांच प्रतिशत अधिकारी ही ऐसे थे, जो प्रोटोकॉल के विपरीत व्यवहार करते नजर आ रहे थे, जो कतई उचित नहीं था। इस दौरान उन्होंने प्रयांक मित्तल के किताब का विमोचन भी किया।
पूर्व उपमुख्यमंत्री सिंहदेव ने आगे कहा कि बलौदा बाजार में कलेक्टर और उनके कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया। सूरजपुर में अधिकारी पत्रकारों की पिटाई कर रहे हैं। अंबिकापुर में एक अखबार के दफ्तर से ऐसे समय में अतिक्रमण बता हटाने की कार्रवाई की गई, जब उस अखबार के स्वामी के पिता का दो दिन पहले ही निधन हुआ था। महासमुंद में हुई मॉब लिंचिंग की घटना भी कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है। राजधानी रायपुर में ट्रैफिक व्यवस्था का बुरा हाल है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं दे पा रहे हैं। शहर की एक महिला का इलाज सिर्फ इसलिए शराब के नशे में अस्पताल आने की दलील देते हुए नहीं की गई। ऐसा कतई उचित नहीं है, प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों को संवेदनशील होने की जरूरत है। सिंहदेव ने कहा कि इन सब घटनाओं से शासन की संवेदनशीलता पर प्रश्न चिन्ह लगा है। पांच साल कांग्रेस की सरकार थी तब भी प्रशासनिक अमले का सकारात्मक सहयोग नहीं मिला, यही कारण था कि हमारी सरकार से नागरिक नाखुश थे। संवेदनशीलता से सरकार को काम करने की जरूरत है। वर्तमान में जो चल रहा है इससे भी अच्छे प्रशासन, शासन का संकेत नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि नगर निगम अंबिकापुर में कई बड़े काम हुए हैं। स्टेडियम में वर्षों पुरानी फ्लड लाइट की मांग को स्वीकृति मिली और वह लग भी गया। कई खेलों के लिए बनाया गया इंडोर स्टेडियम बनकर तैयार हुआ, सैकड़ों खिलाड़ियों को खेलने की जगह मिली। अंबिकापुर शहर की स्वच्छता में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी। उनके स्वास्थ्य मंत्री रहते निगम के जनप्रतिनिधियों ने ही कई सुझाव दिया और हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर की स्थापना हुई। उन्होंने कहा हम कमियों को स्वीकार कर रहे हैं पर हमारी बहुत उपलब्धियां हैं, जिसको हम और हमारे लोग जनता तक पहुंचने में असफल रहे। इसका भी प्रभाव विधानसभा चुनाव में पड़ा है। वर्तमान में हुए परिसीमन को त्रुटि पूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा इसे नियमानुसार होना था। परिसीमन से कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं होगा, हमने इसका फीडबैक भी लिया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर काम करने का मन बना रहे हैं। प्रदेश में कई आंदोलन भी हुए हैं, सरगुजा में भी लगातार आंदोलन किए जा रहे हैं। इस दौरान महापौर डॉ. अजय तिर्की, सभापति अजय अग्रवाल, पादप बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक, कांग्रेस जिला अध्यक्ष राकेश गुप्ता, पीसीसी महासचिव द्वितेंद्र मिश्रा, डॉ. जेपी श्रीवास्तव, ब्लॉक अध्यक्ष हेमंत सिन्हा, इस्लाम खान, शैलेंद्र प्रताप सिंह, अनूप मेहता सहित अन्य उपस्थित थे।
पार्षद क्यों नहीं चुनें महापौर?
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा लोकसभा सदस्य प्रधानमंत्री चुनते हैं। किसी भी राज्य के विधायक अपने राज्य का मुख्यमंत्री चुनते हैं तो फिर पार्षद अपना महापौर क्यों नहीं चुनें। देश में एक व्यवस्था के वे पक्षधर हैं।