स्कूल जतन योजना का 30 करोड़ का काम निरस्त, अब मिली राशि के लैप्स होने की चिंता
204 स्कूल भवनों का निर्माण अधर में, खामियाजा भुगत रहे छात्र

अंबिकापुर। सरगुजा में स्कूल जतन योजना के काम में जिम्मेदारों की लापरवाह कार्यप्रणाली ने ग्रहण लगा दिया है। स्कूल भवनों के निर्माण, सुधार कार्य के लिए वर्ष 2022-23 में बने प्रोजेक्ट को निर्माण एजेंसी दो वर्ष में भी पूरा नहीं कर पाई, जिस कारण नए स्कूल भवन निर्माण और सुधार कार्य के लिए मिले 110 करोड़ रुपये में से 30 करोड़ रुपये लैप्स होने के कगार पर है। इस लापरवाही का खामियाजा विद्यार्थियों को स्कूल भवन के अभाव में समुचित बैठक व्यवस्था नहीं मिलने के कारण अलग भुगतना पड़ रहा है। पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा दी गई इस राशि से 204 प्राथमिक शाला भवनों का निर्माण होना था। स्कूल भवन के अभाव में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत इन स्कूलों का संचालन आंगनबाड़ी भवन व पंचायत भवन में काफी दिक्कतों के बीच किया जा रहा है।
आदिवासी बहुल सरगुजा जिला में स्कूलों के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के उद्देश्य से किए जा रहे प्रयासों को लापरवाह अधिकारियों के कारण बड़ा झटका लगा है। स्कूल जतन योजना के तहत जिले भर में डिस्मेंटल किए गए स्कूल भवनों का नया निर्माण होना था, वहीं पुराने भवन में सुधार कार्य किया जाना था। इसकी जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग और हाउसिंग बोर्ड को दी गई थी। हाउसिंग बोर्ड के द्वारा इस कार्य में बिल्कुल रूचि नहीं ली गई। स्वीकृत कार्य समय पर शुरू नहीं करने से इसे शासन ने निरस्त कर दिया और 30 करोड़ रुपये लेप्स होने की स्थिति बन गई है। शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि निरस्त किए गए कार्यों को पुन: शुरू कराने का प्रयास किया जा रहा है। दूसरी ओर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग व लोक निर्माण विभाग के द्वारा कराए गए कार्य अधूरे व निम्न गुणवत्ता का होने के बाद भी करोड़ों रुपये का भुगतान ठेकेदारों को करने की बातें सामने आ रही हैं। सरगुजा जिला पंचायत के सदस्य ने भी इसकी जांच की मांग की है।
पूर्ववर्ती सरकार ने तीन चरणों में दिए थे 110 करोड़
सरगुजा जिले में 1300 शासकीय प्रायमरी स्कूल, 556 मिडिल स्कूल, 84 हाईस्कूल व 84 हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने स्कूल भवनों की तादाद ज्यादा है। ये स्कूल पुराने होने के साथ ही जर्जर हालत में हैं। ऐसे में स्कूलों की मरम्मत व नवीन भवन बनाने के उद्देश्य से पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा वर्ष 2022-23 में तीन चरणों में स्कूल जतन योजना के तहत सरगुजा जिले के 1492 स्कूल भवनों के निर्माण व मरम्मत कार्य के लिए 110 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की थी। इस राशि से सरकारी स्कूलों के अतिरिक्त भवन निर्माण, जर्जर भवन के मरम्मत, अतिरिक्त शौचालय व किचन शेड निर्माण के साथ स्कूलों का रंग-रोगन, वॉल पेंटिंग, पेयजल आपूर्ति सहित अन्य कार्यों को जरूरत के अनुरूप कराना था।
हाउसिंग बोर्ड ने नहीं किया निविदा प्रकाशन
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के द्वारा राशि स्वीकृत करने के बाद जिला प्रशासन द्वारा तीन निर्माण एजेंसियों को निर्माण का जिम्मा दिया गया था और टेंडर जारी करके कार्य शुरू करने के निर्देश दिए थे। लोक निर्माण विभाग व ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के द्वारा निविदा का प्रकाशन करते हुए कार्य शुरू तो किया गया, लेकिन आज भी अधिकांश कार्य अधूरे हैं। हाउसिंग बोर्ड के लापरवाह अधिकारियों ने इस कार्य का निविदा ही प्रकाशन नहीं किया और स्कूल जतन योजना का 30 करोड़ रुपये वापस शासन के कोष में जाने की नौबत बन गई है। इस बड़ी लापरवाही का खामियाजा अब सरगुजा के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं भुगत रहे हंै। बरसात के मौसम में जर्जर भवनों में कब बच्चे हादसे का शिकार हो जाएं कहा नहीं जा सकता है। शिक्षा विभाग ने जर्जर भवनों में स्कूलों का संचालन नहीं करने का फरमान जारी किया है। ऐसे में स्कूलों का संचालन कहीं पंचायत भवनों में तो कहीं आंगनबाड़ी भवन में हो रहा है। एक कमरे में कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक की कक्षाएं संचालित होने की स्थिति बन गई है।
हृदयस्थल में स्थित स्कूल में चल रही कंबाइंड क्लास
नए शिक्षा सत्र के शुरूआत के पहले शिक्षा विभाग द्वारा 1076 स्कूल भवनों का मरम्मत कार्य पूर्ण होने का दावा किया जा रहा था। देखने को यह मिल रहा है कि संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में तकरीबन 100 वर्ष पुराने मल्टीपरपज स्कूल का भी मरम्मत कार्य अभी पूर्ण नहीं हो पाया है। चारों तरफ निर्माण सामग्री बिखरा है। भवन का मरम्मत कार्य चल रहा है। स्कूल की स्थापना सन 1914 में अंग्रेज अफसर सर एडवर्ड थामस ने की थी, इसे तत्समय एडवर्ड हाईस्कूल और अब शासकीय बहुउच्चतर माध्यमिक विद्यालय के नाम से जाना जाता है। इस स्कूल से पढ़ कर निकलने वाले कई छात्र आज प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता, बिजनेसमैन हैं। यहां भी जर्जर भवनों की मरम्मत का काम शुरू हुआ लेकिन ठेकेदार बीच में ही काम अधूरा छोड़ दिया। नतीजा यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। एक कमरे में तीन-तीन सेक्सन के छात्रों को पढ़ाया जा रहा है। यहां अंग्रेजी और हिंदी दोनों माध्यम के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं।
जिपं में निर्माण समिति के सभापति ने हाउसिंग बोर्ड को भेजा नोटिस
जिला पंचायत के सदस्य व निर्माण समिति के सभापति राकेश गुप्ता ने बताया कि प्रदेश की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की स्कूल जतन योजना एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत प्रदेश भर के स्कूलों की जीर्णोद्धार करने के साथ बेहतर सुविधा छात्र-छात्राओं को देना है। आदिवासी बहुल सरगुजा में पदस्थ अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह योजना मृतप्राय है। योजना का क्रियान्वयन सही समय पर योजनाबद्ध तरीके से अधिकारियों ने नहीं किया, जिस कारण स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिला पंचायत सरगुजा के निर्माण समिति का सभापति होने के नाते उन्होंने हाउसिंग बोर्ड को नोटिस जारी करके जबाब मांगा है। वहीं जो कार्य हुए हैं, अधूरे हैं, इसके बारे में भी निर्माण एजेंसियों के अधिकारियों से जबाब मांगा गया है। राकेश गुप्ता ने कहा कि कमीशन के चक्कर में निर्माण एजेंसियों के अधिकारियों के द्वारा योजना की राशि का खुलेआम बंदरबाट किया गया है। करोड़ों रुपये भुगतान करने से पूर्व किसी भी शाला समिति के सामने इस बात को नहीं रखा गया। इस भ्रष्टाचार की जांच व दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए।
बयान
सरगुजा जिले के हर ब्लाक में 10 से 12 स्कूलों का संचालन वैकल्पिक व्यवस्था के तहत आंगनबाड़ी व पंचायत भवनों में कराया जा रहा है। जर्जर भवनों का मरम्मत समय पर नहीं होने व डिस्मेंटल किए गए भवनों का निर्माण नहीं होने के कारण ऐसी स्थिति बन रही है। शासन ने जो काम शुरू नहीं किए गए हैं उसे निरस्त कर दिया है। बजट की राशि अभी विभाग के पास है, ऐसे में इन कार्यों को पुन: स्वीकृत कराने का प्रयास किया जा रहा है।
अशोक सिन्हा, जिला शिक्षा अधिकारी सरगुजा

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