आयोग के निर्देश के बाद भी पत्नी को साथ नहीं रखने और सर्विस बुक में पत्नी एवं पुत्र का नाम दर्ज नहीं कराने पर आयोग ने पति को लगाई कड़ी फटकार

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य नीता विश्वकर्मा ने बुधवार को जिला पंचायत सभाकक्ष अंबिकापुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में बुधवार को प्रदेश स्तर की 259वीं सुनवाई व जिला स्तर में 08वीं सुनवाई की गई। सरगुजा, बलरामपुर एवं जशपुर जिले की जनसुनवाई में कुल 55 प्रकरणों में सुनवाई हुई, जिनमें से आयोग ने 23 प्रकरण नस्तीबद्ध किए। सुनवाई के दौरान अपर कलेक्टर अमृत लाल ध्रुव, महिला एवं बाल विकास से सहायक संचालक शुभम बंसल उपस्थित रहे।
सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में अनावेदक सहायक शिक्षक की पदस्थापना सूरजपुर जिला के ओड़गी विकासखंड अंतर्गत प्राथमिक शाला कारीमाटी के प्राइमरी स्कूल में वर्ष 2011 से है। शिक्षक को लगभग 39 हजार रुपये मासिक वेतन मिलता है। उसने वर्ष 2017 में आवेदिका से रीति-रिवाज से शादी किया था। दोनों के दांपत्य जीवन के बीच एक 05 वर्ष का पुत्र है। आवेदिका ने बताया कि वर्तमान में वह अपने पुत्र का देख-रेख स्वयं कर रही है, अनावेदक द्वारा किसी प्रकार का भरण-पोषण का खर्च नहीं दिया जा रहा है। पांच माह पूर्व पिछली सुनवाई में आयोग द्वारा दिए गए निर्देश का पालन भी आवेदक नहीं कर रहा है, जिसमें सर्विस बुक में विवाह के सात साल बाद भी अपनी पत्नी और पुत्र का नाम दर्ज नहीं कराया है। इस संबंध में आयोग के निर्देश पर आवेदिका को आर्डर शीट की प्रमाणित प्रति नि:शुल्क प्रदान की गई, जिसे लेकर वह अनावेदक पति के स्कूल के प्रिंसिपल और सूरजपुर जिले के जिला शिक्षा अधिकारी से मिलकर पति के सर्विस बुक में अपना और अपने बेटे का नाम दर्ज कराएगी और अपने बेटे के लिए भरण पोषण प्राप्त कर सकती है। ऑर्डर शीट के माध्यम से वह समस्त अनावेदकगणों के खिलाफ अपराधिक प्रकरण भी दर्ज करा सकती है। आयोग के माध्यम से भी प्राचार्य और जिला शिक्षा अधिकारी सूरजपुर को पत्र प्रेषित करके अनावेदक पति की सेवा समाप्ति पर जानकारी ली जाएगी। इस निर्देश के पश्चात आयोग से प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
अगली सुनवाई में कुलपति उपस्थित नहीं हुए तो कार्यकाल समाप्ति के लिए राज्यपाल से करेंगे अनुशंसा

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