स्वर्वेद कथामृत एवं ध्यान का राजमोहिनी देवी भवन में हुआ एक दिवसीय आयोजन

अंबिकापुर। सत्य पर पूर्ण विश्वास ही श्रद्धा है। जो श्रद्धावान है वही ज्ञान की प्राप्ति कर शांति का अनुभव करता है। अध्यात्म ही वह समाधान है, जिससे सभी समस्याएं सुलझ जाती हैं। उक्त उद्गार स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक संत प्रवर विज्ञान देव महाराज ने राजमोहिनी देवी भवन अंबिकापुर के ऑडिटोरियम में आयोजित एक दिवसीय जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र में उपस्थित श्रद्धालुओं के मध्य व्यक्त किए।
आगे उन्होंने कहा अध्यात्म का महाशास्त्र है स्वर्वेद। स्वर्वेद आध्यात्मिक ज्ञान का चेतन प्रकाश है, जिसके आलोक में अविद्या, अंधकार, मिथ्याज्ञान नष्ट होते हैं। यह हमारी आध्यात्मिक यात्रा को सदैव जागृत रखता है। अशांति एवं वैमनस्य से पीड़ित विश्व में शांति एवं सौहार्द्र की स्थापना करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम स्वर्वेद है। जीवन में स्वर्वेद का आचरण अनंत ऊंचाइयों तक ले जाता है। विज्ञान देव महाराज ने कहा कि कोई व्यक्ति अयोग्य नहीं। अच्छाइयां-बुराइयां सबके भीतर हंै। हमें दुर्बलताओं, कठिनाइयों से घबराना नहीं है, उन कठिनाइयों को दूर करने की जो प्रेरणा, जो शक्ति, जो सामर्थ्य है वह आध्यात्म के आलोक से, स्वर्वेद के स्वर से एक साधक को अवश्य ही प्राप्त होता है, क्योंकि हमारे भीतर अंतरात्मा रूप से परमात्मा ही तो स्थित है। उन्होंने जय स्वर्वेद कथा के क्रम में कहा कि भारत की आत्मा का नाम ही आध्यात्म है। आध्यात्मिक महापुरुषों के बदौलत ही भारत विश्व गुरु रहा है, विश्वगुरु है और मैं कहता हूं भारत विश्व गुरु रहेगा। संत प्रवर विज्ञानदेव महाराज की दिव्यवाणी जय स्वर्वेद कथा के रूप में लगभग दो घंटे प्रवाहित हुई। स्वर्वेद दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे। आयोजकों ने बताया कि विहंगम योग संत समाज के शताब्दी समारम्भ महोत्सव एवं 25000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर विज्ञान देव महाराज का 7 जुलाई से दक्षिण भारत से संकल्प यात्रा का शुभारंभ हो चुका है। संकल्प यात्रा दक्षिण भारत, तमिलनाडु, केरल पश्चात छत्तीसगढ़ पहुंचा। दूसरे दिन संकल्प यात्रा कार्यक्रम होते हुए बलरामपुर के बाद अंबिकापुर में पहुंच चुकी है। 06 एवं 07 दिसंबर 2024 को विशालतम ध्यान साधना केंद्र (मेडिटेशन सेंटर) स्वर्वेद महामंदिर, वाराणसी के पावन परिसर में 25000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होना है। इसी क्रम में यह संकल्प यात्रा हो रही है, जिससे अधिक से अधिक लोगों को पूरे भारत वर्ष में इसका लाभ मिले। इस शताब्दी समारम्भ महोत्सव में विहंगम योग के प्रणेता अनंत सदगुरू सदाफल देव महाराज की 135 फिट से भी ऊंची प्रतिमा का भी शिलान्यास होगा। भक्तों ने अपनी लोक-संस्कृति की पुनीत परंपरा द्वारा संत प्रवर श्री का स्वागत, सोत्साह गीत, संगीत, नृत्य एवं पुष्पवर्षा के साथ किया। इस अवसर पर सत्येंद्र स्वर्वेदी, दिनेश सिंह, सत्येंद्र मिश्रा अध्यक्ष बिलासपुर संभाग, कृष्ण कुमार संभाग संयोजक, शशिकांत सिंह संरक्षक संभाग सरगुजा, सागर गुप्ता, दीपक जयसवाल, डीपी गुप्ता, अमित जयसवाल, नंदलाल द्विवेदी, अखिलेश सिंह, राहुल सिंह, देवेंद्र नाथ दुबे, जमुना विश्वकर्मा, सुनील ठाकुर, प्रदीप,  आत्माराम, रमेश यादव, योगेश्वरानंद नेताम, अनिकेत तिवारी, मनोज, रोहित, एकांत, प्रमोद, देव कुमार, भास्कर सहित अन्य की उपस्थिति रही।  

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