अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट पोक्सो एक्ट ने इसे दुर्लभ प्रकृति का अपराध माना
अंबिकापुर। चाचा के बाद बच्ची को जन्म देने वाले पिता ने उसके साथ ऐसा कृत्य किया, जिसेे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट पॉक्सो एक्ट, कमलेश जगदल्ला की अदालत ने दुर्लभ प्रकृति का अपराध माना है और आरोपी पिता और बड़े पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पूर्व में बड़े पिता के कृत्य का विरोध कर रही मां को शांत करने बच्ची के पिता ने ही मां-बेटी को जान से मार देने की धमकी दी थी, जिससे वह चुप रही, लेकिन जब पिता स्वयं बेटी के ऐसा घिनौना काम किया, तो वह थाना जाकर अपराध दर्ज कराई थी।
अदालत के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार गांधीनगर थाना क्षेत्र में लगभग चार वर्ष पहले 18 नवंबर 2020 को माता पिता के साथ नाना नानी के घर गई 12 वर्षीय बच्ची के साथ उसके बड़े पिता द्वारा जबरन दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। बच्ची ने शोर मचाने का प्रयास किया, तो बड़े पिता ने गला दबाकर जान से मारने की धमकी दी और उसके साथ दुष्कर्म किया। बच्ची वापस घर लौटकर घटना की जानकारी अपनी मां को दी और आक्रोशित मां ने अपने जेठ की लाठी डंडे से पिटाई की थी। इसके बाद वह बच्ची को लेकर थाना जाने लगी, लेकिन बच्ची का पिता ही इसमें रोड़ा बन गया और बदनामी का हवाला देकर शिकायत करने से मना कर दिया। जब महिला ने थाने में शिकायत करने को लेकर दबाव डाला, तो दोनों मां-बेटी को जान से मार देने की धमकी देने लगा, जिससे वे चुप हो गए। घटना को सात माह हुए थे, 18 जुलाई 2021 की शाम पिता ने अपनी बेटी को बोरवेल का पंप बंद करने के लिए भेजा। बच्ची बोर पंप वाले कमरे में पहुंची, तो बच्ची के पिता ने हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए अपनी बेटी को पकड़ लिया और उसके साथ जबरन दुष्कर्म की घटना को अंजाम दे डाला। बड़े पिता के बाद अपने ही पिता के द्वारा की गई वहशियाना हरकत के बाद बच्ची के पास मां ही शेष थी, जिसे वह घटना के बारे में बता सकती थी। बच्ची की पीड़ा से बौखलाई मांग ने अपने मायके पक्ष को घटना की जानकारी दी, इसके बाद बच्ची के नाना-नानी और मामा मिलकर 19 जुलाई 2021 को घटना की जानकारी पुलिस को देने पहुंचे। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया था और आरोपी चाचा व पिता को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। मामला न्यायालय की दहलीज तक पहुंचा और बीते शुक्रवार को आरोपी पिता व बड़े पिता को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट पोक्सो एक्ट कमलेश जगदल्ला ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक रीता सेन ने पैरवी की।
बच्ची को क्षतिपूर्ति योजना के तहत 5 लाख रुपये देने की अनुशंसा
एक पिता जो बच्ची का रक्षक होता है उसके द्वारा किए गए कृत्य को कोर्ट ने गंभीर और दुर्लभ प्रकृति का माना है। कोर्ट ने आरोपी के बड़े पिता को धारा 506 (2) के तहत 2 साल के कठोर कारावास व 100 रुपये अर्थदंड, धारा 376 (क)(ख) के तहत आजीवन कारावास जो आरोपी के शेष प्राकृत जीवनकाल तक के लिए कारावास होगा, 50 हजार रुपए का अर्थदंड, धारा 376(2)(च) के तहत आजीवन कारावास जो आरोपी के शेष प्राकृत जीवनकाल तक के लिए कारावास व 500 रुपये अर्थदंड, धारा 5(ढ) एवं (ड)/6 के तहत लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत आजीवन कारावास जो आरोपी के शेष प्राकृत जीवनकाल तक के लिए कारावास व 500 रुपये का अर्थदंड दिया है। आरोपी पिता को घटना की शिकायत करने से रोकने व धमकाने के लिए धारा 202 के तहत 6 माह के कठोर कारावास व 100 रुपये अर्थदंड, धारा 506 के तहत 2 वर्ष के कठोर कारावास व 100 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। वहीं नाबालिग बच्ची को क्षतिपूर्ति योजना के तहत 5 लाख रुपये देने की अनुशंसा की है। अपनी ही नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म जैसी घिनौनी घटना को अंजाम देने वाले पिता को कोर्ट ने दूसरे प्रकरण में सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट पोक्सो एक्ट कमलेश जगदल्ला ने इसे गंभीर व दुर्लभ मामला मानते हुए धारा 342 के तहत 1 वर्ष के कठोर कारावास व 500 रुपये अर्थदंड, धारा 376(2)(च) के तहत आजीवन कारावास जो आरोपी के शेष प्राकृत जीवनकाल तक के लिए कारावास व 500 रुपये अर्थदंड, धारा 376(3) के तहत आजीवन कारावास जो आरोपी के शेष प्राकृत जीवनकाल तक के लिए कारावास व धारा 5 (ढ)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत आजीवन कारावास जो आरोपी के शेष प्राकृत जीवनकाल तक के लिए कारावास व 500 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।