अंबिकापुर। सरगुजा के सीतापुर थाना क्षेत्र अंतर्गत 14 वर्षीया किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश, फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट, पॉक्सो एक्ट अंबिकापुर कमलेश जगदल्ला की अदालत ने आरोपी को वभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए 20 वर्ष सश्रम कारावास से दंडित किया है। मामले में तीन नाबालिगों पर भी सामूहिक दुष्कर्म का आरोप है, इनका मामला बाल न्यायालय में चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक अभियुक्त आकाश चौधरी पिता राधेश्याम चौधरी 22 वर्ष, निवासी प्रतापगढ़, कंवरपारा, थाना सीतापुर के विरूद्ध धारा-365, 376 (घ), 506 भाग-2 भारतीय दंड संहिता एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा-05 (छ)/6 एवं धारा-3 (2)(वी) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज किया गया था। अभियुक्त बीते एक अप्रैल 2023 की रात 12 बजे सीतापुर थाना क्षेत्र में शादी से वापस लौट रही किशोरी का रास्ता रोककर उसे डरा-धमकाकर विधि से संघर्षरत बालक के पुराने घर के पीछे ले गया और अनुसूचित जनजाति की बालिका से दुष्कर्म किया था। घटना की जानकारी किसी को देने पर वह जान से मारने की धमकी दिया और विधि से संघर्षरत बालकों के साथ मिलकर सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था। विद्वान न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि अभियुक्त के दंड में नरमी दिखाए जाने से इसका समाज पर गलत संदेश जाएगा। अत: अपराध की गंभीरता एवं समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुये विचारोपरान्त अभियुक्त को धारा-365, 376 (घ), 506 भाग-दो भादंसं एवं धारा-05 (छ)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा-3 (2)(वी) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत निम्नानुसार दण्डित किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है, दण्डित किया जाता है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
पांच लाख रुपये क्षतिपूर्ति राशि प्रदान करने की अनुशंसा
न्यायाधीश के द्वारा पीड़िता को मुआवजा के संबंध में वर्ष 2009 के अधिनियम-05 द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता में शामिल प्रावधान धारा-357 (क) के अंतर्गत एवं लैंगिक अपराधें से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012 की धारा 33 (8) अंतर्गत उक्त अपराधों से संबंधित पीड़िता को मुआवजे का भुगतान राज्य द्वारा किए जाने के संबंध में विस्तार से प्रतिपादित मार्गदर्शक सिद्धांत के आलोक में सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंबिकापुर समुचित जांच उपरांत आदेश/निर्णय की प्रतिलिपि प्राप्ति दिनांक से तीन माह की अवधि के भीतर लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं 2020 के नियम-7 तथा यौन उत्पीड़न/अन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं एवं उत्तरजीवियों के लिए क्षतिपूर्ति योजना 2018, जो कि 02 अक्टूबर 2018 को प्रभाव में आया है एवं पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना 2011 के अंतर्गत पीड़ित क्षतिपूर्ति निधि से पीड़िता को पांच लाख रुपये क्षतिपूर्ति की राशि प्रदान करने की अनुशंसा की है। यदि पूर्व में पीड़िता को इस अपराध के संबंध में अंतरिम प्रतिकर की राशि प्रदान की गई हो तो उक्त राशि इस प्रतिकर की राशि में समायोजित करने कहा गया है।
घटना को आरोपियों ने ऐसे दिया अंजाम
अतिरिक्त लोक अभियोजक राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि पीड़िता की माता ने थाना-सीतापुर में इसकी लिखित रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी पुत्री 31 मार्च 2023, दिन शुक्रवार की रात को पड़ोसी के घर में शादी देखने गई थी। रात करीब 11.30-12 बजे शादी देखकर घर वापस आ रही थी, इसी दौरान रास्ते में चौक के पास विधि से संघर्षरत तीन बालक और आकाश चौधरी मिले। एक अपचारी ने कहा कि तुम आकाश के साथ गलत काम करवा लो, नहीं तो तुम्हारे भतीजा को बुलाकर तुम्हें मार खिलवाएंगे। तुम किसी लड़के साथ पकड़ाई हो कहकर हल्ला करेंगे और तुम्हें बदनाम कर देंगे। जब वह अभियुक्त आकाश के साथ जाने से मना की, तो विधि से संघर्षरत बालक उसका हाथ पकड़कर खींचने लगा और अभियुक्त आकाश उसे धक्का देते हुए एक बालक के पुराने घर के पास ले गए। चारों के हरकत को देखकर किशोरी डर गई और किसी को मदद के लिए बुला नहीं पाई, न चिल्ला पाई। जहां किशोरी को लेकर आरोपी गए थे, उस घर में कोई नहीं रहता है और ताला बंद रहता है। चारों उसे घर के पीछे तरफ बाड़ी में ले गए और एक बालक जमीन में पटक कर जबरन उसके साथ गलत काम किया। इस दौरान दूसरे बालक एवं अभियुक्त वहीं पर बैठकर देख रहे थे। उसके बाद दूसरा बालक एवं अभियुक्त आकाश ने उसके साथ गलत काम किया। जब अभियुक्त आकाश ने तीसरे बालक को उसके साथ गलत काम करने के लिए कहा तो वह मना कर दिया। इसके बाद वे उसे छोड़ दिए और कहा कि घटना के बारे में किसी को बताओगे तो तुमको जान से मारकर फेंक देंगे। पीड़िता करीब 3 बजे तड़के घर पहुंची और डर से किसी को घटना के बारे में नहीं बताई। पीड़िता को गलत काम करने के लिये खींचकर ले जाते समय एक ग्रामीण की पत्नी देखी थी। पीड़िता के माता, पिता की शिकायत पर सीतापुर पुलिस ने धारा-365, 376 (डी), 506 भादंसं के तहत प्रथम सूचना पत्र लेखबद्ध कर प्रकरण में विवेचना प्रारंभ किया और संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरूद्ध उपरोक्त अपराध कारित करना पाए जाने पर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया था।

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