अंबिकापुर। सरगुजा जिले के लुण्ड्रा थाना में पदस्थ अमित कुमार राजवाड़े, आरक्षक क्रमांक 738 का एक वीडियो इंटरनेट मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपने ही विभाग के कुछ अधिकारियों पर आरोपियों को संरक्षण देने, न्याय नहीं दिलाने और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए नौकरी से त्यागपत्र देने की बात कह रहा है। इस संबंध में आरक्षक ने पुलिस अधीक्षक सरगुजा को लिखित आवेदन भी सौंपा है।
आरक्षक अमित राजवाड़े का कहना है कि वह एक जमीन धोखाधड़ी मामले में 10 लाख रुपये की ठगी की शिकायत 2 अगस्त 2024 को थाना मणिपुर में दर्ज कराया था, लेकिन एफआइआर दर्ज नहीं की गई। इसके बाद उन्होंने पुलिस अधीक्षक और पुलिस महानिरीक्षक से भी इसकी शिकायत की, बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई। आरक्षक ने यह भी बताया है कि पूर्व में उनके पैतृक घर से करीब 2 लाख रुपये के सोने-चांदी की चोरी हुई थी, जिसकी एफआइआर थाना लखनपुर में, अपराध क्रमांक 192/17 धारा 457, 380 भादवि दर्ज किया गया था, लेकिन तत्कालीन प्रधान आरक्षक मनीष तिवारी ने आरोपियों से पैसे लेकर गिरफ्तारी नहीं की। इसके बाद वर्ष 2018 में उनके घर से पंप और गांव के अन्य 12 पंप चोरी होने की घटना पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
आरक्षक का आरोप है कि आईजी कार्यालय में पदस्थ स्टेनो पुष्पेन्द्र शर्मा के द्वारा उन्हें बार-बार धमकाया गया और मिलने से इन्कार करने पर उसका स्थानांतरण जिला बलरामपुर-रामानुजगंज कर दिया गया। उन्होंने इसे मानसिक प्रताड़ना बताते हुए मजबूरीवश नौकरी से त्यागपत्र देने की बात कहा है। आरक्षक अमित राजवाड़े का त्यागपत्र और विडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे कहीं न कहीं पुलिस महकमे की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। आम लोगों के साथ ही विभागीय कर्मचारियों के बीच भी घटनाक्रम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। देखना यह है कि उच्च स्तर पर इस मामले को कितनी गंभीरता से लिया जाता है। आरक्षक के त्यागपत्र को महकमे के अधिकारी कितनी गंभीरता से लेते हैं। बहरहाल विभाग के आला अधिकारियों के द्वारा भी इस मामले में किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं की गई है और न ही किसी प्रकार का वक्तव्य दिया है, जिससे वास्तव में आरक्षक के द्वारा उठाया गया यह कदम कितना उचित है, यह स्पष्ट हो सके। छत्तीसगढ़ फ्रंटलाइन आरक्षक के द्वारा लगाए गए किसी भी आरोप की पुष्टि नहीं करता है।
