अंबिकापुर। पूरा मसीही समाज चालीस दिनों के उपवास व परहेज की अवधि के अंतिम सप्ताह में पुण्य गुरुवार की भक्ति आराधना में लीन है। गुरूवार को विविध धार्मिक अनुष्ठान शाम 5 बजे से नवापारा स्थित बेदाग ईश माता महागिरिजा घर मे परंपरागत रूप से संपन्न हुए। सांध्यकालीन कार्यक्रम के समस्त धार्मिक अनुष्ठान अंबिकापुर धर्म प्रान्त के धर्माध्यक्ष बिशप अंतोनी बड़ा व पल्ली पुरोहित फादर जार्ज ग्रे कुजूर की अगुवाई में संपन्न हुए।
इस अवसर पर समुदाय को संबोधित करते हुए बिशप ने कहा कि येसु ने अपने चेलों के पैर धोकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि सच्चा जीवन विनम्रता, सेवा और प्रेम में निहित है। यह ऐसा सबक है जो हमें जीवन के दैनिक दिनचर्या के व्यवहार व कार्यों के दौरान अपने व अजनबियों के बीच भी दिखना चाहिए। पुण्य गुरुवार के दिन ही ईशा मसीह ने संध्या भोज के पूर्व अपने 12 चेलों के पैर धुलाकर उन्हें अपना तन व रक्त समर्पित किया, जो परम प्रसाद के रूप में मसीही ग्रहण करते हैं। आज के दिन जिन 12 चेलों के पैर येसु मसीह ने धुलवाए वो ही प्रथम पुरोहित बने व आज के दिन से ही पुरोहिताई संस्कार की स्थापना भी हुई। इसी रात येसु को एक चेले ने धोखे से उन्हें राजा पिलातुयूस के सिपाही के हवाले कर दिया और यहीं से येसु का दुखभोग प्रारंभ हो जाता है। उन्हीं पलों को याद कर मसीही समाज आराधना में डूबेे हुए हैं। आस्था के मुताबिक बिशप ने भी 12 चेलों के पैर धुलवाए। इस दौरान बाइबिल के पाठ का वाचन मरियानुस एक्का व विनीता एक्का के द्वारा किया गया। पवित्र सक्रमेन्ट का जुलूस कार्यक्रम अनूप टोप्पो, अनूप किस्पोट्टाु, अनिमेष एक्का, अनीस केरकट्टा ने पूरा किया। इन कार्यक्रमों के बाद रात्रि 8 बजे से आराधना प्रारंभ हुई, इसमें सभी पारा टोला व संस्थानों के द्वारा पारी-पारी से अपनी प्रस्तुति दी गई। बीच-बीच में भक्तिमय गीतों की मनमोहक प्रस्तुति गोधनपुर के युवक-युवतियों ने दी। इनकी टीम भक्तों के बीच माहौल को दु:ख भोगमय बना रही थी। इस अवसर इस अवसर पर बड़ी संख्या में फादर, सिस्टर्स व बड़ी संख्या में समुदाय के लोग उपस्थित रहे।
