अंबिकापुर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने गुरूवार को संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय के पुराने भवन में पहुंचकर कुलसचिव को ग्राम भकुरा में स्थित विवि के भवन तक जाने वाली खराब सड़क, विंडो कार्यालय एवं वेबसाइट संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु ज्ञापन सौंपा। इसमें उल्लेख किया गया है कि नए विश्वविद्यालय परिसर एवं उसके आसपास की सड़कों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। गड्ढे एवं टूटी-फूटी सड़कों के कारण छात्रों, प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बरसात के मौसम में यह समस्या और अधिक गंभीर हो जाएगी, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है।
इसके अलावा विंडो कार्यालय में दस्तावेज प्राप्ति, प्रमाणपत्र सत्यापन एवं अन्य प्रशासनिक कार्यों में अधिक विलंब हो रहा है। छात्राओं को लंबी कतारों एवं धीमी प्रक्रियाओं के कारण अनावश्यक परेशानी उठानी पड़ रही है। ऐसे में कार्यालय की कार्यप्रणाली को और अधिक प्रभावी एवं सुचारू बनाने हेतु आवश्यक कदम उठाने की मांग की गई है। वेबसाइट संबंधित तकनीकी समस्याओं के आड़े आने से परीक्षा परिणाम, प्रवेश सूचना, परीक्षा फॉर्म एवं अन्य महत्वपूर्ण सूचनाओं तक छात्रों की आसान पहुंच नहीं होने का हवाला देते हुए कहा गया है कि कई बार वेबसाइट उपलब्ध नहीं रहने से छात्रों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ता है। वेबसाइट को नियमित रूप से अपडेट करने एवं इसकी कार्यप्रणाली को सुधारने हेतु आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया गया है। कुलसचिव ने इनकी मांगों पर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए आश्वस्त किया है। इस दौरान परिषद के जिला संयोलक पलाश पाण्डेय सहित अन्य उपस्थित थे।
पुलिस की तैयारी के आगे कम पड़े कार्यकर्ता
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को अपनी ही सरकार के कार्यकाल में धरना-प्रदर्शन करते देख, पुलिस ने बैरीकेड लगाकर रास्ते को दोनों ओर से बंद कर दिया था। हालांकि गिनती के कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में ही ज्ञापन सौंपने की कार्रवाई पूरी हुई। ये बात अलग है कि पुराने विश्वविद्यालय भवन के गेट तक जाकर इनके द्वारा ज्ञापन सौंपने की खानापूर्ति की गई।
‘संत गहिरा गुरूÓ या ‘सरगुजा विश्वविद्यालयÓ
छात्रहित में मांगों से विश्वविद्यालय प्रबंधन को अवगत कराने के लिए शोर-शराबा करने वाले अभाविप के कार्यकर्ताओं को लम्बे समय बाद भी इसका ज्ञान नहीं है कि सरगुजा विश्वविद्यालय कब का संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय के नाम से जाना जा रहा है। इनके द्वारा कुलपति को सौंपे गए ज्ञापन में सरगुजा विश्वविद्यालय का उल्लेख करना समझ से परे है।
