जरही। सूरजपुर जिला के जनपद पंचायत भैयाथान अंतर्गत ग्राम पंचायत बरौधी में चल रहे श्रीमद् भागवत महापुराण सप्त ज्ञान गंगा कथा में कथावाचक ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी के विवाह की कथा का श्रवण भक्तों को कराया। कथा सुनकर पंडाल में मौजूद श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। इस दौरान कलाकारों ने कृष्ण-रुक्मणी विवाह से जुड़ी मनोहारी झांकी प्रस्तुत की, जिसे देख पूरा पंडाल श्रीकृष्ण के जयकारे से गुंजायमान हो उठा। भजन गीतों से सुरों में सभी श्रोता झूमने लगे।
कथा व्यास प्रवचनकर्ता उदित नारायण वैष्णव (राज्यगुरु) ने कहा कि भगवान पर अटूट विश्वास होना चाहिए, यदि अटूट विश्वास है तो भगवान हर स्थिति में अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणी के साथ संपन्न हुआ, लेकिन रुक्मणी को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी हैं और वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती हैं। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो वे बहुत प्रभावित हुईं और मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। इसीलिए श्रीकृष्ण ने हरण कर रुक्मणी से विवाह किया। कथा व्यास के मुख से विवाह का विस्तार वर्णन सुनकर श्रद्धालु गदगद हो उठे।
देर रात तक रहा भक्ति का माहौल
कथा के दौरान संगीतमय भजन गीतों से देर रात तक माहौल भक्तिमय बना रहा। मुझे श्याम का सहारा, भजन सुन सभी झूमने लगे। आरती में भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बीच-बीच में जयघोष से वातावरण गुंजायमान होता रहा। आयोजक शिव मंदिर समिति द्वारा सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दौरान कलाकारों द्वारा कृष्ण-रुक्मणी विवाह से जुड़ी मनोहारी झांकी प्रस्तुति की गई। इस अवसर पर आयोजक समिति शिव मंदिर, कोरवाबहरा ग्राम पंचायत बरौधी के मुख्य संरक्षक किशुन राम, सह संरक्षक सुखदयाल राजवाड़े, अध्यक्ष दिनेश सिंह, रामशंकर राजवाड़े, भागवत साहू, राजू लाल, तुसेंद्र राजवाड़े, मोहन प्रताप सिंह, धर्मेंद्र राजवाड़े, बसन्ती किंडो पूर्व सरपंच, रामकली देवी विश्वकर्मा, बाबी राजवाड़े, दिपा सिंह, वरिष्ठ नागरिक दीपेंद्र सिंह, विनोद किंडो, रामनारायण, जगमोहन, सुपाड़ी लाल, रामविलास, जीतराम, ललित राजवाड़े, पुरन राम, रिझन राजवाड़े सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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