बिलासपुर । अनियमितता बरतने वाले जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के दो शाखा प्रबंधकों समेत पांच कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है। कलेक्टर अवनीश शरण ने प्रकरण की जांच करवा बर्खास्तगी के निर्देश दिए थे। जिसके बाद बर्खास्तगी हुईं। एक का डिमोशन भी किया गया है।
संतोष कुमार सोनी, पर्यवेक्षक अकलतरा शाखा जांजगीर को शाखा अकलतरा के पुराना रिहाल्विंग खाता जिसमें दिनांक 23.03.2013 पर राशि 1,53,82,902 का तत्कालीन शाखा प्रबंधक द्वारा समायोजन किया गया था जो कि पूर्णतः गलत या, इन खातों में (अंतिम बेलेन्स जिसे नये रिहाल्विंग बातों में प्रशंकर किया गया) का योग जमा की गई राशि 1,53,82,902.00 के बराबर नहीं है। राशि का उपयोग समिति को भुगतान करने व धान खरीदी के भुगतान के अग्रेषण किये जाने की जांच कराई।
संतोष कुमार सोनी पर्यवेक्षक के द्वारा जांच अधिकारी को प्रस्तुत प्रतिउत्तर समाधानकारक नहीं होने तया आरोप कमांक 01 को प्रमाणित पाये जाने पर बैंक कर्मचारी सेवा नियोजन, निबंधन तथा उनकी कार्यरिवति) नियम 1982 के शिवम कं.57 (एक) गंभीर दण्ड अंतर्गत उपनियम के. (ब) के अंतर्गत संस्था प्रबंधक के पद पर पदावनत किये जाने का दण्ड सेवानियम कं.61 के अनुसार सर्वसम्मति से लिया गया साथ ही यह भी निर्णय लिया गया।
माधव सिंह चौहान शाखा प्रबंधक, शाखा करगीरोड़ को समितियों का के.सी.सी. अंतर्गत ऋण वितरण का समायोजन विलंब किये जाने, केश रेक्टिफिकेशन आता से जमा/नागे किये जाने आदि के संबंध में आरोप पत्र जारी किया गया। आरोप पत्र में उल्लेखित 04 में से 02 आरोपों को आंशिक रूप से जांच अधिकारी के द्वारा प्रमाणित पाया गया है। तया माधव सिंह चौहान शाखा प्रबंधक, शाखा करगीरोड़ के एक अन्य प्रकरण में शप्रकाश कुंभज बैंक कर्मचारी के साथ में 13. 08.2021 से अब तक लगभग 30 किसानों के खाते से अनियमित तरीके से राशि नगद एवं ट्रांसफर कर गड़बड़ी किये जाने पर आरोप पत्र जारी किया गया। माधव सिंह चौहान के द्वारा उक्त गड़बड़ी की सर्वप्रथम सूबना दी गई थी।
जांच प्रतिवेदन में खाताधारकों एवं अनपोस्टेड की राशि गड़बड़ी पाये जाने पर उक्त राशि जमा करायी गई है। जिससे यह प्रमाणित होता है कि लगाये गये आरोप सही है। जिसके लिये माधव सिंह चौहान दोषी होने का लेख किया गया है।
माधव सिंह चौहान, शाखा प्रबंधक के द्वारा जांच अधिकारी को प्रस्तुत प्रतिउत्तर समाधानकारक नहीं होने तथा आरोप कमांक 01 से 06 को प्रमाणित दोषी पाये जाने पर बैंक कर्मबारी सेवा नियोजन, निबंधन तथा उनकी कार्यस्थिति) नियम 1982 के नियम कं.57 (एक) गंभीर दण्ड अंतर्गत उपनियम कं. (ब) के अंतर्गत सहायक लेखापाल के पद पर पदावनत किये जाने का दण्ड सेवानियम के.61 के अनुसार सर्वसम्मति से लिया गया।
प्रवीण कुमार शर्मा, कनिष्ठ लिपिक शाखा मालखरौदा के द्वारा पंकज भूषण मिश्रा एवं शांतादेवी मिश्रा का संयुक्त खाता जो सीपत शाखा में संचालित है, से विभिन्न दिनांक पर कुल राशि रूपये 95 हजार आहरण शाखा मालखरौदा से किये जाने संबंधी जांच कराई गई। उक्त के संबंध में आरोप पत्र जारी किया गया। जांच अधिकारी के द्वारा आरोपों की जांव कर आरोप को प्रमाणित पाया गया है तथा बैंक के केश क्लियरिंग आते को देविट किया जाना पाया गया है।
बैंक कर्मचारी सेवा नियोजन, निबंधन तथा उनकी कार्यस्थिति) नियम 1982 के नियम के. 57 (एक) गंभीर दण्ड के उप नियम (द) के अनुसार “सेवा से (पृथक करना) किया जाना जो भावी नियोजन के लिये निर्हरता न होगी,” संबंधी दण्ड प्रवीण कुमार शर्मा को दिये जाने का निर्णय सेवानियम कमांक 61 के अंतर्गत सर्वसम्मति से लिया गया है।
विरेन्द्र कुमार आदित्य, प्रबंधक शाखा मालखरौदा पंकज भूषण मिश्रा एवं शांतादेवी मिश्रा का संयुक्त खाता जो सीपत शाखा में संचालित है, से विभिन्न दिनांक पर कुल राशि रूपये 95 हजार आहरण शाखा मालखरौदा से किये जाने संबंधी जांच कराई गई। उक्त के संबंध में आरोप पत्र जारी किया गया। जांच अधिकारी के द्वारा आरोपों की जांच कर आरोप को प्रमाणित पाया गया है तथा बैंक के केश क्लियरिंग आते को डेबिट किया जाना पाया गया है। बैंक कर्मचारी सेवा (नियोजन, निबंधन तथा उनकी कार्यस्थिति) नियम 1982 के नियम के.57 (एक) गंभीर दण्ड के उप नियम (द) के अनुसार “सेवा से (पृयक करना) किया जाना जो भावी नियोजन के लिये निर्हरता न होगी,” संबंधी दण्ड विरेन्द्र कुमार आदित्य को दिये जाने का निर्णय सेवानियम कमांक 61 के अंतर्गत सर्वसम्मति से लिया गया है।
प्रकाश चंद कुभंज लिपिक सह कम्प्यूटर ऑपरेटर निलंबित (तात्कालिन शाखा करगीरोड) को खाताधारकों बैंक के अनपोस्टेड खातों से अनियमित तरीके से नगद एवं ट्रांसफर द्वारा गड़बड़ी के संबंध में जांच कराई गई। जांच अधिकारी के द्वारा जांच प्रतिवेदन में लेख किया गया है कि खाताधारकों एवं अनपोस्टेड की राशि गड़बड़ी राशि मूलधन 3091506.00 तथा ब्याज की राशि 51496.00 रूपय पाये जाने पर उक्त राशि जमा करायी गई है। जिससे यह प्रमाणित होता है कि लगाये गये आरोप सही है। प्रकाश चंद कुंभज दोषी है।
बैंक कर्मचारी सेवा नियोजन, निबंधन तथा उनकी कार्यस्थिति) नियम 1982 के नियम कं.57 (एक) गंभीर दण्ड के उप नियम (द) के अनुसार “सेवा से (पृयक करना) किया जाना जो भावी नियोजन के लिये निर्हस्ता न होगी,” संबंधी दण्ड प्रकाश चंद कुंभज को दिये जाने का निर्णय सेवानियम कमांक 61 के अंतर्गत सर्वसम्मति से लिया गया है।
शंशाक शास्त्री, भृत्य प्रधान कार्यालय के द्वारा गई 2018 से बिना सूचना के लगातार अनुपस्थित रहने के संबंध में आरोप पत्र एवं पूरक आरोप पत्र जारी किया गया। ततसंबंध में जांच अधिकारी नियुक्त कर विभागीय जांच कराई गई। जांच अधिकारी के द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में शशांक शास्त्री के आरोप पत्र में उल्लेखित आरोप क्रमांक 01 से 02 तक प्रमाणित पाया गया एवं पूरक आरोप कं.02 एवं 03 प्रमाणित पाया गया है का लेख कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है। जिसके चलते उसे बर्खास्त किया गया।
शाखा अकलतरा में पदस्थ लिपिक करुणेश कुमार चंद्राकर ने लघु कृषक को दीर्घ कृषक के रूप में केसीसी ऋण वितरित किया गया। जिसके चलते उसे भी सेवा से पृथक किया गया है।