अंबिकापुर। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम सरगुजा द्वारा क्षय रोग से प्रभावित मरीजों में मौत की समीक्षा की गई। कुछ केस में टीबी संक्रमण की पहचान के बाद मरीज की मृत्यु कम समय में होना पाया गया, जिनकी आयु 20 से 30 वर्ष के बीच थी। वर्ष 2019 से 2024 तक सरगुजा में क्षय के 6660 मरीजों को उपचार किया गया, जिसमें 205 मरीजों की उपचार के दौरान मृत्यु हो गई।
एक महिला मरीज गांधीनगर की थी, जिसे 10 दिन से खांसी, बुखार व कमजोरी की शिकायत थी। एक्स-रे व सीटी स्केन की रिपोर्ट में टीबी बिमारी के लक्षण पाए गए। इसके आधार पर टीबी का इलाज प्रारंभ किया गया। शुरू के 10 दिन मरीज को इलाज से आराम मिला। परंतु बाद मरीज के शरीर में दर्द की शिकायत बढ़ गई। स्थानीय स्तर पर चिकित्सकों ने टीबी की दवाई बंद करने की सलाह दी, इसके फलस्वरूप मरीज ने दवाई बंद कर दिया, लेकिन मरीज की खांसी में खून आने व सांस लेने में दिक्कत की परेशानी से प्राइवेट हास्पिटल में उसे भर्ती किया गया। यहां भी मरीज की हालत में सुधार नहीं होने पर रायपुर एम्स के लिए भेजा गया परंतु मरीज की रास्ते में ही मृत्यु हो गई। अन्य 2 प्रकरण नमनाकला व सूरजपुर का मिला, जिसमें कम समय में क्षय रोग की बिमारी मस्तिष्क और मेरूदण्ड में पहुंच गई और मरीज को उच्च चिकित्सकीय देखरेख के बावजूद बचाया नहीं जा सका। सरगुजा में टीबी होने का प्रमुख कारण कुपोषण व जनजागरूकता में कमी है। प्रधानमंत्री निक्षय पोषण आहार योजना के तहत स्वेच्छिक दानदाताओं की संख्या काफी कम है। वर्तमान में प्रत्येक क्षय रोगी को निक्षय पोषण आहार योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से 06 माह में 6750 रुपये प्रदाय किया जा रहा है।
फेफड़े की टीबी ज्यादा खतरनाक-डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता
जिला क्षय अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया कि टीबी हवा से फैलने वाली बिमारी है, जिससे लोग संक्रमित होते हैं। एक टीबी मरीज से 01 साल में 10-12 मरीज संक्रमित होते हंै। फेफड़े की टीबी शरीर के अन्य भाग की टीबी की तुलना में ज्यादा खतरनाक होता है। यदि परिवार में किसी को फेफड़े की टीबी है तो परिवार के सभी सदस्यों को टीबी के बचाव के लिए टीबी प्रिवेन्टीव मेडिसीन लेने की आवश्यकता होती है। टीबी के उपचार में ज्यादातर एक्स-रे के आधार पर टीबी की दवाई शुरू की जाती है, जबकि सभी मरीजों में दवाई की रोग प्रतिरोधक क्षमता की जांच के पश्चात ही सही दवा शुरू करना चाहिए। दवा प्रतिरोधक क्षय रोगी में मृत्यु दर प्रति 100 मरीज में 20 मरीज अर्थात 5 मरीज में 01 की मृत्यु संभावित होती है।
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