छत्तीसगढ़ में 5वीं अनुसूची में शामिल जिलों में ओबीसी आरक्षण खत्म कर पंचायत राज अधिनियम में संशोधन विधेयक को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। मामले में शासन ने जवाब में कहा कि कि 23 जनवरी 2025 को नया अध्यादेश जारी किया है, जिसे बजट सत्र में विधानसभा में रखा जाएगा। इस आधार पर हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया।

बता दें कि सूरजपुर के जिला पंचायत के उपाध्यक्ष ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार के पंचायती राज अधिनियम में संशोधन को चुनौती दी थी। इसमें कहा गया है कि सरकार ने अध्यादेश लाकर गंभीर चूक की है, जो औचित्यहीन और शून्य हो गया है।
उपाध्यक्ष नरेश राजवाड़े ने हाईकोर्ट में याचिका में बताया कि पांचवीं अनुसूची में शामिल जिलों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने वाली छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 129(ड.) की उपधारा (03) को विलोपित करने के लिए राज्य सरकार ने 3 दिसंबर 2024 को छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश -2024 पेश किया।

संविधान के अनुच्छेद 213 के तहत कोई भी अध्यादेश अधिकतम 6 माह की अवधि तक ही प्रभावशील होता है। इसे विधानसभा में अनिवार्य रूप से प्रस्ताव पारित कर अधिनियम का रूप दिलाना होता है, लेकिन इस प्रस्ताव में ऐसा नहीं किया गया।
अधिनियम में संशोधन को बताया अवैधानिक
अध्यादेश जारी होने के बाद 16 से 20 जनवरी 2024 तक हुए विधानसभा सत्र में इस महत्वपूर्ण अध्यादेश को पारित नहीं कराते हुए सिर्फ पटल पर रखा गया। इस कारण यह अध्यादेश वर्तमान में विधिशून्य/औचित्यविहीन हो गया है। ऐसी स्थिति में वर्तमान में उक्त संशोधन के आधार पर छत्तीसगढ़ पंचायत निर्वाचन नियम (5) में 24 दिसंबर 2024 को किया गया संशोधन पूरी अवैधानिक हो गया है।

पहले की तरह आरक्षण रोस्टर तय करने की मांग
याचिका में कहा गया कि इस प्रकार अवैधानिक हो चुके संशोधित छत्तीसगढ़ पंचायत निर्वाचन नियम (5) के आधार पर प्रदेश के संचालक, पंचायत एवं सभी जिलों में कलेक्टर द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन के लिए जारी किया गया आरक्षण रोस्टर भी पूरी अवैधानिक हो गया है। इसे निरस्त कर छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम के पूर्व प्रावधान के आधार पर आरक्षण रोस्टर निर्धारित कर वैधानिक रूप से पंचायत चुनाव कराया जाए।

नया अध्यादेश विधानसभा के बजट सत्र में होगा पारित
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने वर्ष 3 दिसंबर 2024 को छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश -2024 से लेकर अपना पक्ष रखा। सरकार की तरफ से उन्होंने बताया कि 23 जनवरी को नया अध्यादेश जारी किया गया है। इसे बजट सत्र में विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। इस आधार पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने याचिका खारिज कर दी है।
हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण समाप्त करने वाले पंचायत राज अधिनियम संशोधन विधेयक को चुनौती देने वाली याचिका को क्यों खारिज किया?
हाईकोर्ट ने याचिका इसलिए खारिज कर दी क्योंकि राज्य सरकार ने 23 जनवरी 2025 को नया अध्यादेश जारी किया है, जिसे बजट सत्र में विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। इस आधार पर अदालत ने पुराने अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका को निरर्थक माना।
याचिकाकर्ता नरेश राजवाड़े ने अपनी याचिका में क्या तर्क दिया था?
नरेश राजवाड़े ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि 5वीं अनुसूची में शामिल जिलों में ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने वाला 3 दिसंबर 2024 को जारी अध्यादेश अधिकतम 6 माह तक ही प्रभावी रह सकता था। इसे विधानसभा में पारित नहीं किया गया, जिससे यह विधिशून्य और अवैधानिक हो गया। इसलिए इसके आधार पर किया गया पंचायत चुनावों का आरक्षण रोस्टर भी अवैध है।
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में क्या पक्ष रखा?
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने अदालत में बताया कि सरकार ने 23 जनवरी 2025 को नया अध्यादेश जारी किया है, जिसे बजट सत्र में विधानसभा में पारित किया जाएगा। इस आधार पर अदालत ने माना कि याचिका का आधार खत्म हो चुका है और इसे खारिज कर दिया।

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