ग्रामीण जहर देकर मारने की संभावना जता रहे, पीएम रिपोर्ट मिलने के बाद मौत का कारण होगा स्पष्ट
जरही। वन विभाग की घोर लापरवाही से लगातार हाथियों की मौत हो रही है, जो विभाग के जिम्मेदारों के लिए चुनौती से कम नहीं है। हाथियों के संरक्षण में वन विभाग की लापरवाही निरंतर सामने आ रही है। जानकारी के मुताबिक वन परिक्षेत्र प्रतापपुर के धरमपुर से सटे बगड़ा जंगल में सोमवार की सुबह बंशीपुर की ओर जाने वाले पुल के पास 12 वर्षीय नर हाथी का शव मिला। मौत का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन वन अधिकारी प्रारंभिक जांच में हाथियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई में मौत की संभावना जता रहे हंै। हाथी में चोट के निशान मुंह के पास देखने को मिल रहा है। वहीं ग्रामीणों ने जहर देकर हाथी को मारने का संदेह जाहिर किया जा रहा है। यह क्षेत्र हाथियों के प्रभाव वाला माना जाता है, जहां अक्सर इनका दल आता है। घटना की जानकारी मिलते ही डीएफओ पंकज कमल, उप वन मंडलाधिकारी आशुतोष भगत, रेंजर उत्तम मिश्रा, वन विभाग की टीम और हाथी मित्र दल मौके पर पहुंचे। रविवार को भी बगड़ा गांव के आसपास हाथियों की आवाजाही देखी गई थी। वन विभाग और हाथी मित्र दल लगातार निगरानी कर रहे हैं, लेकिन सोमवार की सुबह जंगल में पुल के पास हाथी का शव मिलने से हड़कंप मच गया। पशु चिकित्सकों की टीम ने मौके पर पहुंचकर शव परीक्षण और पोस्टमार्टम किया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही हाथी की मौत का असली कारण पता चल पाएगा। प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव को जंगल में दफना दिया गया।
हाथियों के व्यवहार का अध्ययन करने टीम सक्रिय
वन विभाग का कहना है कि हाथियों के व्यवहार का अध्ययन करने और मौत के कारणों की पुष्टि के लिए टीम सक्रिय है। ग्रामीणों को भी जंगल में सतर्क रहने और हाथियों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने की सलाह दी गई है। वहीं ग्रामीण कहते हैं कि लंबे समय से इलाके में हाथी विचरण कर रहे हैं, इसकी जानकारी वन विभाग को होने के बाद भी लापरवाही बरती जा रही है, इसके पीछे कारण अधिकारी का अंबिकापुर से आना-जाना करना है। ग्रामीणों के द्वारा हाथियों का चिंघाड़ कई किलोमीटर दूर तक रात में सुनाई दे रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे हाथियों पर कोई आक्रमण कर रहा हो।

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