महामाया पहाड़ को छावनी बनाकर 40 घरों को ध्वस्त किया, स्टे मिलने पर थमी कार्रवाई
अंबिकापुर। नगर के महामाया पहाड़ में स्थित वन भूमि पर हुए अवैध कब्जे को जमींदोज करने की कार्रवाई सोमवार की गई। अतिक्रमण हटाने की लगभग 5 से 6 घंटे तक चली कार्रवाई को हाईकोर्ट के संज्ञान में अधिवक्ता के माध्यम से लाया गया और पांच दिन का स्टे मिलने की सूचना मिलने के बाद अधिकारी तोड़ू दस्ते के साथ मौके से निकलने लगे। इसके पहले 40 घरों को जेसीबी लगाकर तोड़ दिया गया था। अधिकारियों को जाते देखकर मौके पर मौजूद लोग उग्र हो गए और सभी मकानों को तोड़ने के लिए कहा। अतिक्रमण कार्रवाई के दौरान पूरा इलाका छावनी में तब्दील रहा।
बेघर होने के बाद छोटे बच्चों को गोद में लेकर रोते निकल रही महिलाओं को देखकर सवाल यह भी उठ रहा था कि जब महामाया पहाड़ में अतिक्रमण हो रहा था, तब जिम्मेदार कहां सो रहे थे? वन्य क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए तैनात रहने वाला मैदानी अमला कब्जा से क्यों बेखबर था? मंत्री की फटकार के बाद इन्होंने अतिक्रमण हटाने क्यों जल्दबाजी दिखाई? अगर इन्होंने अतिक्रमण किया था तो इन्हें बिजली, पानी, सड़क की सुविधा सरकारी तंत्र ने कैसे दे दी? इनके घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए पोल कैसे गड़ गए? निगम इनसे किस चीज का टैक्स वसूल कर रहा था? ऐसे कई सवाल बेघर हो रहे परिवारों के जेहन में भी गूंज रहे थे। छोटे बच्चे टकटकी लगाए मलबे में तब्दील हुए घरों को देख रहे थे। महामाया मंदिर के पास से ही बैरीकेड लगाकर रास्ते को अवरूद्ध करके पुलिस का पहरा बैठा दिया गया था। सुबह से ही इलाके का बिजली गुल कर दी गई थी, जिससे इन्हें नहाने के लिए गर्म पानी तक नसीब नहीं हुआ। मासूम बच्चों की भूख मिटाने का प्रबंध करने के लिए घरों में चूल्हा नहीं जल पाया। जेसीबी से घर टूटते देखकर बच्चे भी रोने लगे। इनकी मिन्नत पहाड़ों के ऊपर तक खड़ी पुलिस व वन विभाग के अधिकारियों के आगे नहीं चली। इन सबके बीच यह सवाल अभी भी अनसुलझा है कि वन भूमि पर कब्जा के समय वन विभाग के जिम्मेदार किस कोप भवन में नींद ले रहे थे। कार्रवाई के संबंध में वनमंडलाधिकारी तेजस शेखर से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने मोबाइल फोन रिसीव नहीं किया।
दो दिनी अवकाश के बीच दिया अंतिम नोटिस
प्रदेश के वन मंत्री के द्वारा वन भूमि से अतिक्रमण हटाने की दी गई सख्त हिदायत के बाद संबंधितों के मकानों को चिन्हांकित करके इन्हें अतिक्रमित स्थलों को खाली करने संबंधी नोटिस 17 जनवरी से ही थमाया जा रहा था। इस दौरान कुछ नजुल, राजस्व भूमि में बसे लोगों और कुछ पट्टाधारकों को भी नोटिस मिलने के आरोप लग रहे थे। इन सबके बीच रविवार को ही मौके से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई संबंधी फाइनल रणनीति तैयार की ली गई थी। वन विभाग का अमला वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए अपनी तरफ से तैयार था। मौके पर बनने वाली विरोध की स्थिति को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमोलक सिंह ढिल्लो के नेतृत्व में मौके पर नगर पुलिस अधीक्षक रोहित शाह, एसडीएम के साथ राजस्व अमला और सैकड़ों पुलिस अधिकारी व जवान अलसुबह पुलिस लाइन में एकत्र हुए और छह बजे तक महामाया पहाड़ के घरों की बिजली गोल हो गई, अधिकांश इलाका छावनी में तब्दील हो गया। जेसीबी वाहनों के साथ पुलिस, नगर निगम, वन विभाग सहित प्रशासनिक अमला जैसे ही नवागढ़ इलाके में प्रवेश किया और लोगों की धड़कन बढ़ गई।
जनता के साथ सड़क पर बैठे कांग्रेसियों को बलपूर्वक हटाया
भारी-भरकम लाव-लश्कर और मोर्चा को संभालने की गई तैयारियों को देखते हुए कई लोग स्वयं अपने घरों से सामानों को सुरक्षित करने में भिड़ गए थे। अपने ही हाथों से खुद के आशियाना को लोग उजाड़ रहे थे। इधर मौके पर पूर्व श्रम कल्याण समिति के अध्यक्ष शफी अहमद, जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता के अलावा पार्षद मो. बाबर इदरिशी, सतीश बारी सहित कई कांग्रेसजन, स्थानीय लोगों के साथ जेसीबी के सामने बैठ गए। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एलाउंस करके इनसे जेसीबी के सामने से हटने का आग्रह करते रहे, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए। एकाएक पुलिस ने तेवर बदला और वरिष्ठ कांग्रेसजनों के साथ जेसीबी के सामने सड़क पर बैठे लोगों को बलपूर्वक पुलिस ने उठाना शुरू कर दिया। इस बीच निगम के पूर्व महापौर डॉ. अजय तिर्की भी मौके पर पहुंच गए थे। गनीमत है कि लाठी चार्ज की नौबत नहीं बनने पाई। पुलिस के शक्ति प्रदर्शन के बाद स्थिति विपरीत हो गई, इसके बाद पुलिस व वन अमले के निर्देशन में जेसीबी उस इलाके तक पहुंच गया, जहां चिन्हित किए गए मकानों को हटाना था। लोगों को घरों से बाहर निकाला गया, इनके सामानों को बाहर करने के बाद आननफानन में मकानों को गिराने का सिलसिला शुरू हो गया। छोटे बच्चे सूनी आंखों से यह नजारा देख रहे थे।
बच्चा रख लो साहब
चार माह के मासूम बच्चे के साथ घर में मौजूद इम्तियाज के घर के कराकट में अचानक बुलडोजर चलने के बाद वह किसी प्रकार मासूम बच्चे को लेकर घर से बाहर निकला और वन विभाग के अधिकारी के पास पहुंच गया और कहा साहब बच्चे को रख लो। उसने आरोप लगाया कि वह सामान सहेज रहा था और उसके घर के कराकट को उजाड़ना शुरू कर दिए। बाद में वह बच्चे को लेकर पुलिस अधिकारियों तक भी पहुंचा। हालांकि समझाइस के बाद बात नहीं बढ़ी और आतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने माइक से एलाउंस करके एक बार फिर से सभी को सचेत किया कि अतिक्रमित जिन मकानों को हटाना है, उसके अंदर कोई भी न रहें।
बेघर परिवारों के लिए लगवाया टेंट, की खाने की व्यवस्था
कब्जाधारी परिवारों की महिलाएं और बच्चे अतिक्रमण हटाने की इस कार्रवाई से काफी पीड़ा महसूस कर रहे हैं। बच्चों के साथ खुले मैदान में रात बिता रही महिलाओं ने कहा ठंड में शरीर कांप रहा है। इधर इनके हालात को देखते हुए सामूहिक रूप से इन्हें छांव देने के लिए टेंट की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। दोपहर व रात के भोजन की व्यवस्था की गई है। वहीं प्रशासन की ओर से मौके से रवानगी के बाद कोई झांकने नहीं आया है। कब्जा करने वाले रो-रोकर एक ही बात कह रहे हैं कि यदि वे गलत कर रहे थे, तो पहले उन्हें किसी ने क्यों नहीं रोका? ठंड के मौसम में इन्हें किसी भी तरह की मदद की उम्मीद नहीं थी, लेकिन वे खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं। बेघर हुए परिवारों को कहीं पुनर्वास का विकल्प मिलेगा, या कोई संवेदनशील समाधान निकलेगा।