अंबिकापुर। महामाया मालवीय मिशन कार्यालय गौरी भवन संगम चौक में बैठक का आयोजन कर भारतरत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती मनाई गई। इसके पश्चात बनारस चौक में अम्बेडकर जी के प्रतिमा पर संस्था के सदस्यों ने माल्यार्पण किया।
मुख्य अतिथि सुरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि डॉ. बीआर अम्बेडकर जी के जीवन दर्शन में समाज कल्याण के बहुतायत संदेश समाहित है। सामाजिक न्याय के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया। भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार के रूप में उन्हें याद किया जाता है। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महु में हुआ था। महामना मालवीय मिशन के पूर्व अध्यक्ष मदनमोहन मेहता ने कहा कि बाबा साहेब के नाम से सम्पूर्ण भारतवर्ष में उनकी प्रसिद्धि हुई। समाज सुधारक की भूमिका में उन्हें याद किया जाता रहा है। शिक्षाविद ब्रह्म शंकर सिंह ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर की अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए विदेश भी गए। लंदन से अर्थशास्त्र और कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1920 में भारत लौटे। इसके बाद सामाजिक न्याय के कार्यों के लिए जीवन भर संघर्षरत रहे। कार्यक्रम का संचालन संस्था के कोषाध्यक्ष राज नारायण द्विवेदी ने किया। उन्होंने कहा डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व जानता है। छुआछूत जैसी रूढ़िवादी परम्परा को समाप्त करने के लिए वे आजीवन संघर्षरत रहे। उनका मानना था कि राजनीतिक प्रतिनिधित्व से समाज में बदलाव आएगा। शिक्षा से जुड़ाव के लिए भी उन्होंने अथक प्रयास किया। 1990 में उन्हें भारतवर्ष का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया गया। प्रकाश कश्यप ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर के आदर्शों पर चलकर हम शिक्षा का लहर पूरे भारतवर्ष में फैला सकते हैं। दुर्गा प्रसाद तिवारी ने कहा कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए डॉ. अम्बेडकर लड़ते रहे। स्वतंत्र भारत में कानून मंत्री के रूप में उनके कार्यों को याद किया जाता है।
