शासनादेश को देखने के बाद अगले दिन ही आदेश को निरस्त किया अधिष्ठाता ने
अंबिकापुर। कोरोनाकाल में वायरोलॉजी लैब में संविदा में विभिन्न पद में नियुक्त कर्मचारियों की संविदा सेवा वृद्धि शासन की अनुमति लिए बगैर कर दी गई थी। शासनादेश की अवहेलना करके पहले तो शासन के द्वारा स्वीकृत 7 पदों के जगह 33 पदों पर भर्ती की गई और प्रतिमाह इन्हें वेतन भुगतान किया गया। मेडिकल कॉलेज में पदस्थ तत्कालीन अधिष्ठाता ने इसे गंभीरता पूर्वक नहीं लिया। नवपदस्थ अधिष्ठाता डॉ. अविनाश मेश्राम को भी अंधेरे में रखकर यहां काई की तरह जमे कुछ कर्मचारियों ने संविदा सेवा में वृद्धि पर मुहर लगवा दी। मामला राजमाता श्रीमती देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता के संज्ञान में जैसे ही आया, उन्होंने संविदा सेवा वृद्धि के आदेश को अगले दिन ही अपरिहार्य कारणों से तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया।
बता दें कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा संचालनालय चिकित्सा शिक्षा छत्तीसगढ़ के निर्देशानुसार कोरोनाकाल में वायरोलॉजी लैब की स्थापना हेतु प्रदेश के लगभग 4-5 चिकित्सा महाविद्यालयों में विभिन्न पदों पर संविदा नियुक्ति हेतु निर्देश जारी किया गया था। शासन के निर्देश का पालन करते हुए चिकित्सा महाविद्यालयों में प्राप्त निर्देशानुसार विभिन्न पदों पर 6 माह हेतु संविदा नियुक्ति प्रदान की गई थी। 6 माह पश्चात आवश्यकता को देखते हुए कर्मचारियों की संविदा सेवा वृद्धि हेतु चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रस्ताव अनुसार छत्तीसगढ़ शासन चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा 5 अक्टूबर 2021 को पत्र जारी करके 1 वर्ष संविदा अवधि बढ़ाने की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की थी। इसके बाद संचालक चिकित्सा शिक्षा ने 09.03.2023 के पत्र जारी करके समस्त अधिष्ठाता को निर्देशित किया था कि, जब तक नियमित भर्ती शासन द्वारा नहीं की जाती है, तब तक भर्ती नियम के अनुरूप अर्हता रखने वाले कर्मचारी यथावत कार्य करते रहेंगे। यह भी निर्देशित किया गया था कि पद संरचना अनुरूप अतिरिक्त मानव संसाधन की भर्ती कदापि नहीं की जाएगी। इसके बाद भी कार्यालय अधिष्ठाता राजमाता श्रीमती देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, अंबिकापुर द्वारा मानमाना तरीके से उच्च कार्यालय, अधिकारियों के आदेश की अवहेलना करते हुए वायरोलॉजी लैब में बगैर अनुमति सेटअप में स्वीकृत 7 पद के विरूद्ध ज्यादा कर्मचारियों की संविदा अवधि बढ़ाकर कार्य लिया जा रहा था, जबकि संचालक चिकित्सा शिक्षा द्वारा 09.03.2023 को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिया था कि पदसंरचना सेटअप से ज्यादा कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की जाएगी। शासन के निर्देशों की अवहेलना करते हुए अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने व भ्रष्टाचार कर सेटअप में स्वीकृत 7 पद के विरूद्ध 30 से ज्यादा कर्मचारियों का वेतन शासन के बगैर अनुमति प्राप्त किए बिना चिकित्सा महाविद्यालय में स्वीकृत अन्य पदों से वेतन आहरण किया जाता रहा, जिसमें शासन को करोड़ों रुपये का वित्तीय भार, नुकसान पहुंचा, जो गंभीर वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है।
पूर्व अधिष्ठाता ने शिकायत को किया नजरअंदाज
छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री अनिल कुमार पाण्डेय ने कार्यालय अधिष्ठाता राजमाता श्रीमती देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, अंबिकापुर द्वारा मानमाना तरीके से बगैर अनुमति सेटअप में स्वीकृत 7 पद के विरूद्ध ज्यादा कर्मचारियों की संविदा अवधि बढ़ाने के मामले को पूर्व में पदस्थ अधिष्ठाता डॉ. रमनेश मूर्ति के संज्ञान में भी लाया था। मामला समाचार की सुर्खियों में भी आया। कई बाद इस ओर ध्यान दिलाने के बाद भी लगातार संविदा नियुक्ति की अवधि बढ़ाकर 33 कर्मचारियों की नियुक्ति को एक्सटेंशन दिया जाता रहा। हैरत की बात यह है कि इन 33 कर्मचारियों में से 18 कर्मचारियों को 14,400 रुपये, 6 कर्मचारियों को 23,350 रुपये, 7 कर्मचारियों को 26,490 रुपये, 2 कर्मचारियों को 51,780 रुपये एकमुश्त समेकेतिक वेतन भुगतान किया गया है।
2 अप्रैल को जारी हुआ संविदा सेवा वृद्धि आदेश
कार्यालय राजमाता श्रीमती देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में वर्तमान में पदस्थ अधिष्ठाता को पूर्व में जारी किए गए शासनादेश से अवगत न कराते हुए 02 अप्रैल 2025 को पुन: छत्तीसगढ़ शासन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा स्वीकृत पदों का हवाला देकर संविदा सेवा में वृद्धि करा ली गई। इन कर्मचारियों को उनके कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से उनके नाम के सम्मुख दर्शित पद, विभाग एवं समेकित वेतन पर 31 मार्च 2026 तक के लिए अथवा शासन द्वारा इस पद पर तदर्थ/नियमित नियुक्ति होने तक के लिए अथवा आरक्षित संवर्ग के उपर्युक्त उम्मीदवार की नियुक्ति होने तक अथवा अन्य कोई आदेश जारी होने तक, उसमें से जो भी पहले हो, शर्तों के अधीन संविदा सेवा वृद्धि प्रदान करने का उल्लेख है।
3 अप्रैल को अधिष्ठाता ने जारी किया निरस्त आदेश
अधिष्ठाता द्वारा 02 अप्रैल 2025 को जारी किए गए संविदा सेवा वृद्धि के आदेश को 03 अप्रैल 2025 को निरस्त कर दिया गया। छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री अनिल कुमार पाण्डेय के इसे शासनादेश के विरूद्ध बताते हुए दस्तावेजी प्रमाण अधिष्ठाता के समक्ष प्रस्तुत किए गए थे, वहीं लिखित में भी लम्बे समय से चले आ रहे भर्राशाही से अवगत कराया था। 03 अप्रैल को जारी आदेश में उल्लेख है कि कार्यालय राजमाता श्रीमती देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय अंबिकापुर, सरगुजा छ.ग. द्वारा जारी संविदा सेवा वृद्धि के आदेश क्रमांक/1975/स्था./शाचिम/2025 अंबिकापुर, दिनांक 02.04.2025 एतद द्वारा अपरिहार्य कारणों से तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा।
शासन को हुए आर्थिक नुकसान की हो वसूली
छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री अनिल कुमार पाण्डेय ने संविदा में गलत तरीके से अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा लेने में लगे जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि शासन को सेटअप के विपरीत की गई कर्मचारियों की नियुक्ति से लाखों, करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति पहुंची है। नुकसान का जांच, आंकलन किया जाना चाहिए। उन्होंने शासन को पहुंचाई गई आर्थिक क्षति की वसूली के लिए कदम उठाने का आग्रह करते हुए शिकायत की प्रति छत्तीसगढ़ शासन चिकित्सा, शिक्षा विभाग, संचालक व संचालनालय चिकित्सा शिक्षा को भी प्रेषित की है।