उदयपुर। सरगुजा जिले के उदयपुर मुख्यालय से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुरातत्व धरोहर सुगनहारिन (शीतला माता) मंदिर में चोरी की नजर है। यहां के पत्थरों और मूर्तियों की चोरी होने का मामला सुर्खियों में आने के बाद इसकी जानकारी जिम्मेदारों को मौखिक रूप से देने की बात ग्रामीण कह रहे हैं, लेकिन इस स्थल के संरक्षण की विशेष पहल नहीं हो पाई है।
शीतला माता मंदिर के अलावा 200 मीटर की दूरी पर लक्ष्मणगढ़ का एक किला खंडहर के रूप में जंगल में है, जिसे खोदाई करवाकर शिलालेख एवं मूर्तियों को बाहर निकालने का काम अंबिकापुर के किसी व्यक्ति के द्वारा करने की जानकारी ग्रामीण दे रहे हंै। ग्रामीणों से पता चला कि मंदिर के बगल में पुरातत्व धरोहर के रूप में सैकड़ों वर्षों से जंगल था, जिसे किसी बाहरी व्यक्ति ने जेसीबी मशीन और ट्रैक्टर लगाकर खोदाई करवाया गया और शिलालेखित आकृतियों वाले पत्थरों व खंडहर के रूप में पड़े पत्थरों को हटवाकर सफाई किया गया है। सफाई किस कारण से किया गया यह किसी को पता नहीं है, जो जांच का विषय है। इस संबंध में पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम के पास शिकायत ग्रामीणों ने मौखिक रूप से की है। मौके पर 19 कोण का कुआं भी है जो लगभग 100 फीट गहरा है।
महेशपुर से 3 किमी के फासले पर है मंदिर
पुरातत्व धरोहर स्थल महेशपुर से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम लक्ष्मणगढ़ के केदमा मार्ग में बैगा तालाब के पास पुरातन कालीन सुगन हारीन माता मंदिर स्थित है, यहां के पत्थरों में अपार शक्तियां हैं। बताया जा रहा है और ग्राम का नाम उसी खंडहर महल में रहने वाले राजा के नाम से लक्ष्मणगढ़ रखा गया है। एक सप्ताह पूर्व मंदिर में देवी का परिसज्जा त्रिशूल, लोटा व घंटी अज्ञात चोरों ने चोरी कर लिया। कई मूर्तियों की भी चोरी हो चुकी है। लोगों का कहना है कि सुगनहरी मंदिर में 21 बहनों की एक ही पत्थर पर आकृति बनी हुई है, जिसे चोरों के द्वारा कई बार ले जाने का प्रयास किया गया, किंतु वे हर बार असफल हुए हैं। ग्रामीणों ने उदयपुर पुलिस को इसकी सूचना दी है।
काफी पुराना गढ़ होने की संभावना
पुरातत्व धरोहर के रूप में ग्राम लक्ष्मणगढ़ में पड़े पत्थरों और मूर्तियों को देखने से यह पता चलता है कि यह बहुत ही पुरातन काल का गढ़ रहा होगा। गढ़ के धराशाई हो जाने से यह खंडहर के रूप में तब्दील हो गया और खोदाई करवा ने के बाद मलबा को हटाया गया है। यह भी सामने आ रहा है कि मलबे में कई प्रकार के धातु होने के कारण इसका परीक्षण करके मलबा को हटवाने का काम किया गया है। शीतला माता मंदिर के 50 फीट दूरी पर सड़क किनारे ही धरती में मिट्टी कटाव की वजह से धीरे-धीरे कई पत्थर स्वयं निकल कर सामने आ रहे हैं। यहां के धरोहर को संज्ञान में लेकर पुरातत्व विभाग को इसका संरक्षण करना चाहिए, यह भी पता लगाना चाहिए कि यह गढ़ किस काल का है। दूसरे गांव के लोगों से इस स्थल के बारे में जानकारी अर्जित करने पर उन्होंने बताया कि लक्ष्मणगढ़ का कनेक्शन रामगढ़ पहाड़ी से है। भगवान राम के वनवास के समय उनके भाई लक्ष्मण कुछ समय लक्ष्मणगढ़ में भी बिताए थे। वास्तविकता क्या है यह तो पुरातत्व विशेषज्ञ ही बता सकते हैं।
