सीएम के मौजूदगी में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत नहीं किए थे कांग्रेस के पार्षद
अंबिकापुर। नगर निगम अंबिकापुर के नवनिर्वाचित 15 कांग्रेस एवं 01 निर्दलीय पार्षद ने सोमवार को निगम में नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट के सभागार में पद और गोपनीयता की शपथ ली। महापौर मंजूषा भगत के द्वारा हाल में अस्पृश्यता और धार्मिक भेदभाव से परिपूर्ण नफरती बयान देने के बाद कांग्रेस ने तय किया था कि 2 मार्च को मुख्यमंत्री के मौजूदगी में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में पार्षद शिरकत नहीं करेंगे और अलग से शपथ लेंगे। कांग्रेस ने महापौर मंजूषा भगत से सार्वजनिक माफी की मांग की थी, साथ ही मामले की शिकायत कोतवाली पुलिस से भी की है। महापौर द्वारा अपने कृत्य के लिए अब तक आम माफी नहीं मांगी गई है।
निगम में नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद ने कहा है कि जब तक महापौर माफी नहीं मांगेंगी, तब तक कांग्रेस पार्षद विरोध स्वरूप काली पट्टी बांधकर निगम की करवाई में भाग लेंगे। शफी अहमद ने यह भी कहा कि वे व्यक्तिगत तौर पर महापौर को लंबे अर्से से जानते हैं। वे ऐसा बयान दे ही नहीं सकती, लेकिन लगता है कि सरगुजा भाजपा में हाल में हुए बदलाव में उन्हें आदिवासी समुदाय के विरोध में बोलने विवश किया गया है। भाजपा से किसी ने महापौर जो स्वयं आदिवासी समाज से आती हैं, के कंधों का उपयोग कर निगम के पूर्ववर्ती दो आदिवासी महापौर और आदिवासी समाज के प्रति संघ की अस्पृश्यता की भावना को व्यक्त किया है। ज्यादा गंभीर बात यह है कि मां महामाया की नगरी अंबिकापुर को भी अशुद्ध बतला दिया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के द्वारा अंबिकापुर शहर और आदिवासियों के लिए बोले गए अपमानजनक बयान पर खेद व्यक्त करने के बजाय उसे ट्विस्ट देकर गंगाजल के उपयोग पर लाया जा रहा है। गंगाजल पवित्र मन से सात्विक उपयोग के लिए है न कि दुर्भावना से उपयोग के लिए।
शपथ पूर्व बजरंग बली को शीश नवाया
कलेक्ट्रेट में शपथ लेने जा रहे कांग्रेस पार्षद दल ने शपथ के पूर्व बजरंग बली के मंदिर में जाकर शीश नवाया। निगम में नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद के नेतृत्व में सभी 16 पार्षदों ने बजरंग बली के मंदिर में प्रवेश कर पूजा आराधना की और बजरंग बली का आशीर्वाद लेकर साम्प्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश की। बता दें वर्ष 2022 में मां महामाया प्रवेश द्वार की प्रथम पहल भी शफी अहमद के नेतृत्व में अल्पसंख्यक पार्षदों ने की थी।

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