पीजी कॉलेज में इंटिग्रेटिंग इंडियन नॉलेज सिस्टम इनटू मॉर्डन एजुकेशन विषय पर फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम संपन्न
अंबिकापुर। सरगुजा संभाग के सबसे बडे महाविद्यालय राजीव गांधी शासकीय स्नताकोत्तर महाविद्यालय, में ‘इंटिग्रेटिंग इंण्डियन नॉलेज सिस्टम इनटू मॉर्डन एजुकेशनÓ विषय पर छह दिनों तक फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का संचालन हुआ। शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे बदलाव एवं भारतीय ज्ञान प्रणाली को आधुनिक शिक्षा में एकीकृत करने के तरीकों से शिक्षकों को परिचित कराने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में देश के अनेक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किए गए, जिसमें प्रमुख रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो. डॉ. चंदन कुमार द्वारा भारतीय ज्ञान परम्परा और भक्ति नाट्य मंच पर विस्तृत चर्चा की गई। डॉ. आर.पी. सिंह, सहायक प्राध्यापक, अंग्रेजी, राजीव गांधी शासकीय स्नताकोत्तर महाविद्यालय, अंबिकापुर द्वारा संस्कृत की मृत्यु: शेल्डन पोलॉक की नजर में विषय पर व्याख्यान दिया गया, जिसमें उन्होंने संस्कृत का प्रयोग समाप्त होने पर चिंता व्यक्त किया एवं इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए संस्कृत को बढ़ावा देने हेतु प्रयास पर बल दिया। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के मानव शास्त्र विभाग के प्रो. डॉ. आनन्दमूर्ति मिश्रा द्वारा सिग्निफिकेन्ट ऑफ इंडिजिनस नॉलेज इन इंडियन कॉन्टेक्स्ट विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने स्वदेशी ज्ञान का महत्व बताया। राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के प्रो. ज्ञानेन्द्र कुमार राउत द्वारा इंडियन नॉलेज सिस्टम इन करिकुलम चैलेन्जेस एण्ड अपारचुनिटिस विषय पर व्याख्यान दिया। संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय, सरगुजा के रजिस्ट्रार डॉ. शारदा प्रसाद त्रिपाठी द्वारा भारत का निर्माण एवं ग्राम्य विकास विषय पर व्याख्यान देते हुए स्वयं के अनुभव को साझा किया गया। उन्होंने स्वस्थ्य जीवन प्राप्त करने हेतु भारतीय पारम्परिक जीवन शैली अपनाने पर बल दिया। बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय वाराणसी के भूगोल विभाग के प्रो. डॉ. रामभूषण तिवरी ने कंटेम्पोरेरी डिस्कोर्स ऑन ट्रेडिसनल इण्डियन फूड्स, क्लॉथ्स एण्ड हाउसेस, विषय पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। अंबिकापुर के वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. संध्या पाण्डेय ने आयुर्वेद एंड इट्स रिलेवेंस इन कंटेम्परेरी हेल्थ केयर एंड केयर एजूकेशन विषय पर व्याख्यान देते हुए आयुर्वेद का इतिहास बताया। उन्होंने आयुर्वेद के विभिन्न पक्षों को उजागर करते हुए स्वस्थ्य जीवन के लिए इसका महत्व बताया। सागर विश्वविद्यालय शिक्षा विभाग के डॉ. अरूण कुमार साव ने आधुनिक शिक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणाली के व्यवहारिक समावेश पर व्याख्यान दिया। अंतिम दिवस तकनीकि सत्र में डॉ. हरिराम मूर्ति, एमेरिटस प्रो. द यूनिर्वसिटि ऑफ ट्रांस डिसप्लिनरी हेल्थ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी बैंगलोर द्वारा कटेम्पोरेरी रिलेवेंस ऑफ लोकल हेल्थ टेऊडिसेन्स फॉर सेल्फ रिलियांस इन हेल्थकेयर विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने लोक स्वास्थ्य पद्धति के इतिहास, परम्परा व उपयोगिता का उल्लेख करते हुए कहा कि एलोपेथिक को जितना बढ़ावा दिया गया उतना आयुर्वेद को नहीं दिया गया। लोक स्वास्थ्य परम्परा को बढ़ावा देने के लिए पॉलिस एवं सिस्टम लेबल की जरूरत है। समस्त सत्रों में प्रतिभागियों द्वारा अनेक जिज्ञासा व्यक्त की गई, जिसकी पूर्ति संबंधित विषय विशेषज्ञों द्वारा की गई। अंतिम दिवस द्वितीय सत्र में समापन सत्र का आयोजन किया गया। समापन सत्र के मुख्य अतिथि पूर्व अपर संचालक सरगुजा संभाग एवं पूर्व प्राचार्य राजीव गांधी शासकीय स्नताकोत्तर महाविद्यालय डॉ. एस.के. त्रिपाठी रहे। अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य व अपर संचालक, सरगुजा संभाग, प्रो. रिजवान उल्ला ने की। कार्यक्रम की आयोजन सचिव, डॉ. कविता कृष्णमूर्ति ने पूरे कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। डॉ. एस.एन. पाण्डेय सहायक प्राध्यापक अंग्रेजी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा समृद्ध रही है, हमें इसके महत्व को समझना होगा। इस ज्ञान परम्परा को आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है। मुख्य अतिथि पूर्व अपर संचालक, सरगुजा संभाग डॉ. एस.के. त्रिपाठी ने कहा कि हम भारतीय ज्ञान परम्परा को आधुनिक परिप्रेक्ष्य से नहीं जोड़ पाते है। हमें आत्ममंथन की जरूरत है। आवश्यकता है कि हम तर्क रखें, सवाद करें और भारतीय ज्ञान परम्परा को बनाए रखने के लिए सब मिलकर प्रयास करें। अंगेजी के सहायक प्राध्याक, डॉ. आर.पी. सिंह ने कहा कि हमें यथार्थवादी होना चाहिए। हमें सोचने की जरूरत है कि भारतीय ज्ञान परम्परा सिर्फ जनरल नॉलेज बनकर न रह जाये। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रिजवान उल्ला ने अध्यक्षीय उद्धबोधन में कहा कि फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम शोध और अध्ययन की नई दिशाओं को उजागर करने में मददगार होते है। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों द्वारा फिडबैक प्रस्तुत किया। पिछले पांच दिवस में हुए व्याख्यान पर आधारित टेस्ट भी लिया गया, जिसमें समस्त प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कामिनी द्वारा एवं आभार प्रदर्शन आयोजन सचिव द्वारा किया गया। संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. अनिल कुमार सिन्हा, निर्देशन में कार्यक्रम के संयोजक डॉ. उमेश कुमार पाण्डेय एवं आयोजन सचिव डॉ. कविता कृष्णमूर्ति द्वारा किया गया।

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