हरविंदर, मनीष, श्वेता, रविकांत उरांव के साथ एक नाम वरिष्ठ पार्षद आलोक का भी
फोटो-हरविंदर सिंह टिन्नी, मनीष सिंह, श्वेता गुप्ता, रविकांत उरांव, आलोक दुबे
अंबिकापुर। भाजपा ने विधानसभा लोकसभा चुनाव में जिस तरीके से नए चेहरों को टिकट देकर कांग्रेस को शिकस्त दी, ठीक उसी तरीके से नगर निगम चुनाव में भी संतुलित टिकट वितरित करके भाजपा ने कांग्रेस का सुपड़ा साफ कर दिया है। निगम के सत्ताधारी कांग्रेस को 15 सीटों पर समेट दिया है, यह कांग्रेस का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है।
नगर पालिका निगम के चुनावी परिणाम के बाद अब सभापति की कवायत शुरू हो गई है। 31 उम्मीदवारों के जीत के बाद भी भाजपा के लिए सभापति उम्मीदवार को चुनना आसान नहीं होगा। सभापति पद के उम्मीदवार के चयन में निर्वाचित पार्षदों के अलावा संगठन की भी अहम भूमिका होगी। सभापति पद के लिए जो प्रमुख दावेदार हैं, उसमें हरविंदर सिंह टिन्नी सबसे बड़ा नाम है, वे तीन बार के पार्षद हैं और सरल सौम्य मृदभाषी व्यक्ति हैं। नियम-कानून और नगर निगम के प्रावधानों की भी अच्छी जानकारी रखते हैं, इनकी संगठन में भी अच्छी पकड़ है। वहीं किसान मोर्चा के पूर्व पदाधिकारी मनीष सिंह भी सभापति पद के प्रबल दावेदार हैं। वे सरगुजा भाजपा के पितृ पुरुष देवेश्वर सिंह के पुत्र हैं। देवेश्वर सिंह विधायक रह चुके हैं व जनसंघ के समय से राजनीति में सक्रिय रहे हैं। मनीष काफी तेज तर्रार और अपने सधे हुए तर्कों से विपक्ष को करारा जवाब देने में माहिर हैं। श्वेता गुप्ता निगम में उपसभापति का दायित्व निभा चुकी हैं, वे तीसरी बार जीत कर के पार्षद बनी हैं। यदि भाजपा उन्हें सभापति बनाती है तो पहली बार मेयर के साथ-साथ सभापति भी महिला होंगी और निगम में महिला मेयर और सभापति का शासन चलेगा और भाजपा को महतारी वंदन योजना को भी लाभ यह दोनों पहुंचा सकती हैं। आलोक दुबे भी सभापति की दौड़ में अग्रिम पंक्ति पर खड़े हैं। इन्होंने कांग्रेस बीजेपी व निर्दलीय तीनों प्रत्याशियों के रूप 6 बार चुनाव लड़ा है, जिसमें से पांच बार जीत हासिल कर पार्षद बने हैं, उन्होंने पिछले कार्यकाल में निगम में आक्रामक विपक्षी नेता की भूमिका निभाई थी, इसलिए पार्टी उन्हें सभापति के पद से नवाज सकती है
इन्हें बनाया जा सकता है एमआईसी सदस्य
इसी तरह कुछ पार्षदों के नाम एमआईसी मेंबरों के रूप में सामने आ रहे हैं, जिसमें विशाल गोस्वामी, कमलेश तिवारी, निरंजन राय, मनोज गुप्ता और जितेंद्र सोनी शामिल हैं। इसके साथ ही एक युवा आदिवासी चेहरा रवि उरांव का भी नाम भी सामने आ रहा है।
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