मामला लुण्ड्रा ब्लॉक के ग्राम करौली शासकीय उमावि का
अंबिकापुर। सरगुजा जिले में आज भी ऐसे शासकीय विद्यालय हैं, जहां विद्यार्थियों के लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। लुण्ड्रा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम करौली शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का भी ऐसा ही कुछ हाल है, यहां शौचालय था जिसे एक वर्ष पहले तोड़ दिया गया, बाद में शौचालय बनाने की जरूरत महसूस नहीं की गई। ऐसे में विशेषकर छात्राओं के साथ छात्रों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता रहा है। एक शौचालय है भी तो उसका उपयोग सिर्फ महिला शिक्षिकाएं करती हैं। विद्यार्थी खुले में लघुशंका के लिए जाने मजबूर हैं।
बता दें कि विकासखंड लुण्ड्रा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करौली में 145 छात्र-छात्राएं अध्यनरत हंै, जिसमें 75 छात्राएं हैं। स्कूल में शौचालय की सुविधा नहीं होने से इन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बातचीत के दौरान छात्र अमित कुमार नागेश, आकाश दास ने बताया कि पिछले एक साल से स्कूल में शौचालय नहीं है। पुराने शौचालय को तोड़ दिया गया है, लघुशंका के लिए उन्हें खुले मैदान का उपयोग करना पड़ता है। छात्रा बीना दास, सरिता सहित अन्य ने बताया कि स्कूल के पीछे एक शौचालय है, जिसका उपयोग महिला शिक्षिकाएं करती हैं। इस शौचालय का उपयोग छात्राओं को भी नहीं करने दिया जाता है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि जिम्मेदार इन छात्राओं को असुरक्षित तरीके से आखिर कैसे खुले में शौचालय के लिए जाने देते हैं। इनकी लापरवाही छात्राओं पर भारी पड़ सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों से वैसे भी आए दिन स्कूलों में अप्रिय घटनाएं सामने आते रहती है, बावजूद शौचालय की व्यवस्था स्कूली छात्र-छात्राओं के लिए नहीं किया जाना शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही को दृष्टिगोचर करा रहा है। इस स्कूल की प्राचार्य भी महिला हैं, लेकिन उन्हें भी छात्राओं के साथ किसी प्रकार की अनहोनी हो जाए, इसकी चिंता नहीं है। बहरहाल मौके की स्थिति को देखने के बाद यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिम्मेदारों की अनदेेखी से स्कूल में ऐसे हालात हैं। छात्राएं किन परिस्थितियों से गुजर रही होंगी, इसकी इन्हें तनिक भी फिक्र नहीं है।
कामचलाऊ शौचालय असुरक्षित-प्राचार्य
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करौली की प्राचार्य रामकुमारी का कहना है कि शौचालय डिस्मेंटल योग्य था, जिसे उनके पदस्थापना के पहले ही तोड़ा गया है, अगर तत्समय वे यहां पदस्थ रहतीं तो इसे नहीं तोड़ने देतीं। एक कामचलाऊ शौचालय बनाया गया है जो सुरक्षित नहीं है, इस कारण उक्त शौचालय का उपयोग छात्राएं नहीं करती हैं। प्राचार्या छात्राओं को होने वाली परेशानी से वाकिफ हैं, इसे देखते हुए वे पत्राचार भी करने की बात कह रही हैं।

Spread the love