मतदान के बाद प्रमुख पार्टी प्रत्याशियों व निर्दलियों का आपसी मंथन शुरू
दो फोटो के साथ नीचे कैप्शन लगा देंगे-नगरीय निकाय निर्वाचन के पूर्व चले खान-पान के दौर में देखने को मिला ऐसा भी नजारा, बच्चे को लेकर निकला पिता खाने-पीने में व्यस्त हो गया, इधर बच्चा थाना चौक में दुकान की दहलीज में पूरी रात गुजार दिया, बच्चे के पास पहुंचा पिता तो खड़े होने की उसमें हिम्मत नहीं थी।
गिरिजा कुमार ठाकुर
छ.ग.फ्रंटलाइन अंबिकापुर। नगरीय निकाय 2025 के लिए संपन्न हुए चुनाव के बाद प्रमुख पार्टियों सहित निर्दलीय प्रत्याशी आपसी मंथन शुरू हो गया है। कार्यकर्ताओं ने कितनी ईमानदारी से मतदाताओं को लुभाने का काम किया, इस पर प्रत्याशियों की विशेष नजर है। मतदान के आंकड़ों को देखकर हिसाब लगाया जा रहा है कि किस बूथ में कौन मजबूत हो सकता है। यह जरूरी इसलिए भी है क्योंकि प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए दौड़धूप में लगे कार्यकर्ताओं ने मतदाताओं को प्रलोभित करने के लिए सिर्फ मुर्गा, बकरा नहीं बल्कि कई कीमती उपहार और नगद रकम भी भेंट किया है। कुछ प्रत्याशियों ने तो किसे उपहार और किसे नगदी भेंट किया, इसे सूचीबद्ध करके भी रखा है। इसके बीच एक सत्य यह भी है कि दौड़धूप में लगे कुछ लोगों ने मतदाताओं के नाम पर अपनी झोली भरने में भी कसर नहीं छोड़ी है।
मतदान के एक दिन पूर्व तो आलम यह रहा कि प्रत्याशियों की नींद उड़ी थी, मतदाताओं से प्रत्याशी कम इनके कार्यकर्ता अधिक संपर्क में रहे। धड़ल्ले से खाने-पीने की व्यवस्था जगह-जगह मतदान की तिथि आने के तीन-चार दिन पूर्व से ही की जा रही थी। कहीं महिलाओं को लुभाने के लिए महिला सम्मेलन का कार्ड बंटा तो कहीं वैवाहिक आयोजन को फैल कर देने वाली पार्टियां शहर में पार्षद प्रत्याशियों ने की। यहां चुनावी प्रचार के लिए प्रमुख पार्टियों के कर्ताधर्ता पहुंच कर आंकलन करते रहे कि मतदान तिथि को किस प्रकार की परिस्थति बनेगी। कुछ प्रत्याशी ऐसे भी थे जो अपने बीते कार्यकाल में वार्डवासियों के हित में किए गए काम को लेकर आश्वस्त रहे, लकिन मतदाताओं के घर-घर जाकर संपर्क करने की परिपाटी में बदलाव नहीं लाया। दलबदलू नेताओं को गले लगाकर चुनावी रण में शामिल करने को लेकर पार्टी विशेष के समर्पित कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी सामने आ रही थी। हालांकि इनमें कुछ प्रत्याशी ऐसे हैं, जिनकी जीत सुनिश्चित है। पार्षद का टिकट मिलने के पूर्व से ही वार्डवासियों को टटोलने में लगे कई कार्यकर्ता दिखावे के लिए भले ही मतदान तिथि को लगाए गए पंडाल के इर्द-गिर्द नजर आ रहे थे, लेकिन इनकी अंदरूनी पीड़ा कुछ और ही बयां कर रही थी।
निर्दलीय प्रत्याशी बने सिरदर्द
विशेषकर अंबिकापुर नगर निगम के लिए संपन्न हुए वार्ड पार्षदों के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी बतौर चुनावी मैदान में दोनों ही पार्टियों के कुछ समर्पित कार्यकर्ताओं का ताल ठोंकना कुछ दिग्गज प्रत्याशियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। वास्तव में ये प्रत्याशी पार्टी विशेष के लिए सिरदर्द साबित हो सकते हैं, इसके पीछे कारण पार्टी के सिम्बाल तले चुनावी रण में उतरे प्रत्याशियों को मात देने के लिए इनके द्वारा ताकत झोंकना है।
बदला हुआ था चुनावी परिदृश्य
बीते वर्षों के अपेक्षा इस बार का चुनावी परिदृश्य काफी अलग देखने को मिला। पार्टी प्रत्याशियों का टिकट किसी न किसी बहाने कट जाए, इसके हरसंभव प्रयास में डबल इंजन की सरकार के पदाधिकारी लगे रहे। प्रदेश में कहीं-कहीं इसमें सफलता भी मिली, यह कहना गलत नहीं होगा। इन सबके बीच अब लोगों को 15 फरवरी को सामने आने वाले परिणाम का इंतजार है। मतगणना की नजदीक आती तिथि के साथ चल रहे मंथन के बीच कुछ प्रत्याशी अभी से पूरी तरह जीत को लेकर आशांवित हैं।
सैकड़ों मतदाता हुए मतदान से वंचित
मतदान तिथि में कई लोगों का नाम वोटर लिस्ट में नहीं होने के कारण इन्हें मतदान से वंचित होना पड़ा, जबकि मतदाता सूची से किसी का नाम विलुप्त न हो और नए वोटर्स का नाम न छूटने पाए, इसके लिए ताकत झोंकी गई थी। इसके बाद भी कई मतदाताओं का नाम गायब रहने से उन्हें मतदान से वंचित होना पड़ा। कई मतदाता वोट डालने के लिए एक बूथ से दूसरे बूथ का चक्कर काटते रह गए और नाम नहीं मिलने पर नाराजगी जाहिर करते हुए वापस लौट गए। जबकि मतदाता सूची बनते समय दावा-आपत्ति और नाम जोड़ने-हटाने के लिए भावी प्रत्याशियों के द्वारा निर्वाचन प्रक्रिया में लगे लोगों का ध्यानाकर्षण कराया था, इसके बाद भी लापरवाही और अनदेखी के कारण ऐसे हालात बने रह गए।
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