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सहयोगियों के दम पर किया एक करोड़ 33 लख रुपए का घोटालारामानुजगंज। जिला सहकारी बैंक में एक करोड़ 33 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता के मामले में पुलिस ने तत्कालीन शाखा प्रबंधक शंकर राम भगत व उनके सहयोगी मनोज विश्वास को गिरफ्तार कर लिया है। गबन की राशि से मनोज विश्वास के द्वारा क्रय एक ट्रैक्टर और एक पिकअप को भी जब्त किया गया है। इसके पूर्व दो आरोपी बैंक कर्मचारीयो में विजय उइके व राजेश पाल को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था। तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने अपने साथियों के साथ मिलकर संगठित आर्थिक गिरोह बनाकर नियम विरुद्ध व गैर वित्तीय तरीके से गड़बड़ी की थी। पुलिस द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि जिला सहकारी बैंक शाखा रामानुजगंज में शाखा प्रबंधक शंकर राम भगत,कैशियर विजय कुमार उइके,राजेश पाल,कंप्यूटर आपरेटर पंकज विश्वास के द्वारा संगठित गिरोह बनाकर एक करोड़ 33 लाख रुपए का गमन किया गया था। गौर तलब है कि किसानों व समितियों को मिलने वाली रकम व ऋण की राशि एवं समितियों के लाभांश को गैर वित्तीय एवं गैर बैंकिग नियम के तहत समितियों के खाता धारको,किसानों के शासकीय रकम का गबन किया गया था। जांच के बाद राजेश उइके व विजय पाल को पहले ही गिरफ्तार किया गया था। वही तत्कालीन शाखा प्रबंधक शंकर राम भगत फरार चल रहा था वही एक अन्य फरार आरोपी पंकज विश्वास के भाई मनोज विश्वास की शासकीय राशि गमन के मामले में संलिप्तता पाई गई थी,मुखबीर की सूचना पर अंबिकापुर कन्या परिसर रोड निवासी शंकर राम भगत को और पुलिस थाना रामानुजगंज अंतर्गत केरवाशिला निवासी मनोज विश्वास की गिरफ्तार किया गया। वही पूछताछ के दौरान शंकर राम भगत ने स्वीकार किया कि उसके द्वारा संगठित गिरोह बनाकर स्वयं से फर्जी समितियों का प्रस्ताव,चेक बुक,जमा व निकासी पर्ची के माध्यम से शासकीय राशि का आहरण व समायोजन कर गबन किया गया था। उक्त दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया जहां से न्यायिक रिमांड पर उन्हें जेल भेज दिया गया है साथ ही उक्त प्रकरण के आरोपियों के संपूर्ण चल एवं अचल संपत्ति की भी जांच पुलिस द्वारा की जा रही है।

समितियों के बचत खातों की राशि कि निजी खातों में अंतरित

विभागीय जांच में यह पता चला था कि किसान क्रेडिट कार्ड और समितियों को मिलने वाली राशि को निजी खातों में फर्जी तरीके से स्थानांतरित किया गया था। व्ही मनोज विश्वास के खाते में चार बार में 63 लाख 82 हजार 717 रुपये,छह लाख 90 हजार रुपये, पांच लाख 94 हजार 386 रुपये और नौ लाख तीन हजार 220 रुपये का समायोजन किया गया था। इसी प्रकार अन्य लोगों के खातों में भी फर्जी तरीके से समायोजन करते हुए समितियों के बचत खातों की राशि भी निजी खातों में अंतरित कर बड़ा घोटाला किया गया था।

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