अंबिकापुर। राजमाता श्रीमती देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध जिला अस्पताल में दवाइयों की खेप मरीजों के लिए आए दिन पहुंच रही है, लेकिन इन्हें असुरक्षित तरीके से अस्पताल के गैलरी व बरामदे में रखा जा रहा है। अस्पताल में दवा को सुरक्षित नहीं रखने के कारण चूहे कुतर रहे हैं। लम्बे समय से बनी इस कमी को दूर करने में अस्पताल प्रबंधन की नाकामी ही अभी तक सामने आई है।
बता दें कि सरगुजा संभाग के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध जिला अस्पताल में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) के द्वारा दवाओं की आपूर्ति की जाती है। अस्पताल में रोजाना मरीजों की सैकड़ों की संख्या में भीड़ उमड़ती है। ओपीडी में आने वाले और आईपीडी में भर्ती मरीजों को नि:शुल्क दवा की व्यवस्था सुनिश्चित कराने अस्पताल में आए दिन दवाओं की खेप पहुंचती है, लेकिन दवाओं को रखने के लिए स्टोर की कमी झलक रही है। अस्पताल भवन के मुख्य प्रवेश द्वार से सोनोग्राफी व एक्स-रे कक्ष की ओर जाने वाले गैलरी तक दवाइयों के खुले, अधखुले और पैक कार्टून से भरे नजर आते हैं। कई बार दवाओं के बोटल, इंजेक्शन, टेबलेट व कैप्सूल के रेपर पैकेट को चूहे कुतर देते हैं। असामाजिक हरकतों में लगे रहने वाले व चोर खुले में असुरक्षित तरीके से रखी गई दवाओं का दुरूपयोग कर रहे हों, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। अस्पताल भवन के सामने एक शेडनुमा लंबा-चौड़ा निर्माण चल रहा है, संभवत: इसे ही दवा रखने के लिए स्टोर रूम के रूप में उपयोग किया जाएगा। लम्बे समय से मंथर गति से चल रहा यह काम कब पूरा होगा, इसे लेकर फिलहाल संशय की स्थिति बनी हुई है। वहीं अस्पताल भवन के सामने दवा रखने के लिए अगर स्टोर का निर्माण किया जा रहा है, तो यह कितना उपयुक्त है, इस पर भी मंथन की जरूरत है। दवाइयों को निर्धारित तापमान पर स्टोर करना होता है। दवाइयों के रैपर पर भी कुछ ऐसी चेतावनी उल्लेखित रहती है। अब यह तो जिम्मेदार जानते ही होंगे कि खुले में असुरक्षित तरीके से रखी गई दवाइयों को कितने तापमान की जरूरत है।