सरगुजा, रायगढ़, कोरबा के लोगों को मिलती है राहत, दर्जनों गांव के लोग करते हैं श्रमदान
कई बार आवेदन, आग्रह के बाद भी यहां विकास की किरण से दूर दो दर्जन से अधिक गांव
उदयपुर। सरगुजा जिले के अंतिम, वन क्षेत्र में बसे गांवों में आज भी विकास शून्य है। यहां के लोग हर वर्ष श्रमदान, चंदा करके दो दर्जन से अधिक गांवों व तीन जिले को जोड़ने के लिए पहाड़ का सीना चीरकर आवागमन के लिए खुद रास्ता बनाते एक मिशाल कायम करने में लगे हैं, लेकिन समग्र विकास का राग अलापने वालों को इससे कोई लेना-देना नहीं है। सड़क बनाने की यह परम्परा लंबे समय से चली आ रही है।
सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड अंतर्गत अंतिम छोर के ग्राम पंचायत मतरिंगा से झगराखाण्ड में स्थित धार्मिक स्थल तक की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है, जो वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह ग्राम पंचायत जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है। ग्राम पंचायत के पहाड़ के अगल-बगल एक तरफ सरगुजा जिले की सीमा, दूसरे तरफ रायगढ़ और तीसरे तरफ कोरबा की सीमा है। इन तीनों जिलों के सरहदी वन क्षेत्र में पक्की सड़क बन गई है, लेकिन पहाड़ होने के कारण दस किलोमीटर का इलाका पहुंच विहीन है। इस कारण तीनों जिले के लोग आपस में नहीं जुड़ पाते हैं और दर्जनों गांवों के लोगों से आपसी संपर्क टूट जाता है। तीनों जिले के दर्जनों गांवों के लोगों ने कई वर्षों से आपस में जुड़ने के लिए तरस रहे हैं, लेकिन कई मांग के बाद भी शासन-प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं गया है। ऐसे में तीनों जिले के लोग आपस में बैठक करके नया तरीका खोज निकाले और आपस में जुड़ाव बना रहे, इसके लिए चंदा व श्रमदान करके मरिंगा, धरमजयगढ़ पहाड़ का 10 किलोमीटर सीना चीर करके बरसात के बाद हर साल आवागमन सुलभ बनाने में भिड़ जाते हैं। दिसम्बर, जनवरी में इनका काम शुरू हो जाता है, जो अपने आप में मिशाल है। बारिश के दिनों में पहाड़ी वन क्षेत्र होने के कारण यह रास्ता कटकर बह जाता है, लेकिन नया साल आते ही ग्रामीण क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोग अपने बाजुओं के दम पर फिर से आवागमन के लिए सड़क बनाना शुरू कर देते हैं। इसके बाद इस मार्ग से दोपहिया, चार पहिया वाहन का सुगमता से आवागमन होता है। इसी प्रकार अमलडिहा, जलडेगा धरमजयगढ़ ब्लाक के लोग भी श्रमदान एवं चंदा करके अपने वन क्षेत्र का 10 किलोमीटर रास्ता बनाकर सरगुजा जिले के मतरिंगा से मिल जाते हैं।
इन गांवों के लोग बने मिशाल
सरगुजा जिले के ग्राम पंचायत मतरिंगा, मरैया, सितकालो, बड़े गांव, पनगोती, केसमा, केदमा सहित दर्जनों गांवों के लोग आपसी सहयोग चंदा एवं श्रमदान करके इस असंभव कार्य को संभव बनाने में हर साल लग जाते हैं। इसके अलावा धरमजयगढ़, कोरबा वन क्षेत्र के प्रमुख ग्राम पंचायत एवं गांव के लोग यह काम अपने बाजुओं के दम पर करते हैं, इनमें प्रमुख रूप से अमलडिहा, किण्डा, जलडेगा, बताती, रूवा फूल, समकेता सहित दर्जनों गांवों के लोग शामिल हैं, जो अपने हिस्से का सड़क बनाकर हर साल आवागमन सुगम बनाते हैं। इससे 40 से 50 किलोमीटर की दूरी आवागमन के लिए कम हो जाती है। इससे समय एवं खर्च की भी बचत होती है।
इन दृष्टिकोणों से संजीवनी बना यह मार्ग
सरगुजा, रायगढ़, कोरबा तीनों जिले के लोगों का रास्ता बनने के बाद आपसी जुड़ाव हो जाता है, जिससे यह रास्ता धार्मिक, सामाजिक, व्यवसायिक एवं स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से दर्जनों गांवों के हजारों लोगों के लिए संजीवनी का काम करता है। धार्मिक दृष्टि से लोग इस मार्ग से झगराखाण्ड, मतंग ऋषि मुनि के आश्रम में आने-जाने के लिए उपयोग करते हैं, इसके अलावा हाट-बाजार, व्यवसाय के लिए इस वन क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोग आते हैं। आदिवासियों खासकर मझवार समाज की बड़ी आबादी इस वन क्षेत्र में निवास करती है। यहां के लोग सामाजिक दृष्टि से आपस में जुड़कर शादी विवाह का काम करते हैं। स्वास्थ्य सुविधा के लिए आने-जाने में भी उन्हें आसानी होती है।
इस मार्ग के बनने से आवागमन की दूरी कम हो जाती है।
अब मुख्यमंत्री से विकास की उम्मीद
छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय की सरकार बनने के बाद से वन क्षेत्र के लोगों में विकास की आस जगी है। ग्रामीणों का कहना है कि जशपुरिहा मुख्यमंत्री हमारे ही वन क्षेत्र से आते हैं, ऐसे में वे उनका दुख-दर्द समझ कर इस अभिशाप से मुक्ति दिलवाएंगे, ऐसी उम्मीद है। इनका कहना है कि अभी तक जितनी भी सरकारें बनी, सभी से विनती कर चुके हैं लेकिन किसी ने नहीं सुना।
इनका कहना है
0 गाड़ा राम सरपंच ग्राम पंचायत मतरिंगा का कहना है कि शासन, प्रशासन इस वन क्षेत्र के महत्वपूर्ण मार्ग को तुरंत बनाने की पहल करे ताकि आवागमन के अभिशाप से मुक्ति मिले। उन्होंने हम सभी तीनों जिले के दर्जनों गांवों के लोग आपस में बैठक व श्रमदान, जन सहयोग, चंदा करके सड़क बनाते हैं, ताकि आवागमन सुगम हो। अभी भी सड़क जन सहयोग से बन रहा है, जिसमें प्रति दिन एक सौ लोग श्रमदान करते हैं।
0 केदमा के व्यवसायी एसनाथ यादव कहते हैं कि यह मार्ग हर हाल में बनना चाहिए, ताकि तीन जिले के लोगों को हर वर्ष बारिश के समय में आवागमन की सुविधा मिल सके। सड़क बन जाने से तीनों जिले के हजारों लोगों को हर दृष्टिकोण से लाभ मिलेगा। यह सड़क विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। हम सभी लोग हर साल चंदा और श्रमदान करके बारिश के बाद सड़क बनाते हैं, जिस कारण केदमा बाजार में रायगढ़ और कोरबा के लोगों का आना हो पाता है।

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