ग्रामीणों ने कहा-पीढ़ियों से बसाहट को नजरअंदाज करके रखी गई है वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन के भवन निर्माण की मंशा
अंबिकापुर। शहर से लगे ग्राम नेहरूनगर डिगमा में स्थित भारत सरकार के पुर्नवास विभाग भूमि में पीढ़ियों से काबिज लोगों के द्वारा 18 दिसम्बर से भूमि बचाओ आंदोलन के साथ अनिश्चितकालीन धरना, प्रदर्शन किया जा रहा है। आरोप है कि एसडीएम के द्वारा उनके धरनास्थल में लगे पंडाल को प्रशासनिक आदेश नहीं होने का हवाला देकर जप्त कर लिया है, जिस कारण खुले में बैठने की नौबत बन गई है। सोमवार को कलेक्टर के जनदर्शन में आवेदन देकर इनके द्वारा काबिज भूमि का स्थायी पट्टा देेने की एक बार पुन: मांग की गई है। यहां के रहवासियों का कहना है कि 3-4 पीढ़ी से काबिज लोगों की भूमि पर छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन के बिल्डिंग निर्माण की स्वीकृत दी गई है, इससे बेदखली की नौबत बनेगी। भविष्य में बनने वाली स्थिति को देखते हुए नेहरूनगर डिगमा के ग्रामीणों ने काबिज भूमि से बलपूवर्क हटाने की स्थिति में ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत व जिला पंचायत के चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। बेदखली की स्थिति में राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु के लिए अनुमति देने की मांग की गई है।
जनदर्शन में पहुंची यशोदा, सुमित्रा मिंज, सावित्री, रामस्वरूप, सुरेश लकड़ा, सुखमेन, प्रमोद कुमार सहित अन्य ने बताया कि भारत सरकार के पुर्नवास विभाग मद की भूमि खसरा नंबर 309, 310 के 2 एकड़ भूमि पर 3-4 पीढ़ी से काबिज रहते हुए अनुसूचित जनजाति वर्ग के सैकड़ों लोग यहां अपना मकान बनाकर परिवार के साथ शांतिपूर्वक निवास कर रहे हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग के कुछ गरीब परिवार भी यहां निवासरत हैं। इनके कब्जे की भूमि पर बने मकान व बाड़ी पर छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन की बिल्डिंग निर्माण करने की अनुशंसा सरकार द्वारा की गई है। ऐसे में छोटे-छोटे मकानों में रहने वाले परिवारों को बेदखली की चिंता सता रही है। इनके द्वारा आग्रह किया गया है कि वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन का भवन निर्माण रिहायसी इलाके से 10-15 किलोमीटर दूर शासकीय भूमि में कराया जाए। बताया गया है कि नेहरूनगर में काबिज लोगों की भूमि, मकान का छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार, कलेक्टर सरगुजा के आदेश पर तहसीलदार अंबिकापुर ने राजस्व निरीक्षक व हल्का पटवारी को सीमांकन कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने निर्देशित किया गया था। तहसीलदार के आदेश पर ग्रामीणों की भूमि का राजस्व निरीक्षक व हल्का पटवारी ने सीमांकन की कार्रवाई कर तहसीलदार के न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया है। इन्होंने कहा है कि जिला प्रशासन द्वारा लिखित में उक्त भूमि से बेदखल नहीं करने का आदेश पारित कर दे तो वे धरना-प्रदर्शन समाप्त कर देगें। मांगों को जिला प्रशासन द्वारा पूरा नहीं किया तो इच्छा मृत्यु उनका अंतिम विकल्प होगा। बहरहाल देखना यह है प्रशासन का अंतिम निर्णय मामले में क्या होता है। जनदर्शन में आवेदन लिए अधिकारी ने ग्रामीणों को उनकी बात कलेक्टर तक पहुंचाने के लिए आश्वस्त किया है।

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