कैंसर पीड़िता की 5 घंटे सर्जरी, अब निगरानी में चल रहा उपचार
अंबिकापुर। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जरी विभाग ने मरीज की जीवनरक्षा के लिए महिला के मलद्वार का रास्ता बंद करके दूसरा रास्ता बनाना पड़ा, ताकि उसे नित्यक्रिया में किसी प्रकार की दिक्कत न होने पाए। पांच घंटे से अधिक चली जटिल सर्जरी के बाद महिला को चिकित्सकों ने अपनी निगरानी में रखा है। महिला की हालत पहले से बेहतर बताई जा रही है।
जानकारी के मुताबिक सूरजपुर जिला के भैयाथान थाना क्षेत्र की 35 वर्षीय महिला सुनीता देवांगन पति विश्वनाथ लगभग तीन माह से पेट दर्द व एक माह से गुदा द्वार में होने वाली असहनीय पीड़ा से परेशान थी। वह शौच तक नहीं कर पा रही थी। रक्तस्राव की स्थिति बन रही थी, जिससे अंदर ही अंदर वह घुटन भरी जिंदगी जी रही थी। 28 नवम्बर 2024 को वह मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर अपने पति के साथ पहुंची। यहां सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. एसपी कुजूर ने काउंसलिंग करके महिला की पीड़ा को भांपा और उसे भर्ती कर देने की सलाह दी। इसके बाद पीड़ित महिला को का एक्स-रे, सोनोग्राफी कराया गया था। जांच में सामने आया कि महिला के मलद्वार में 4 सेंटीमीटर ऊपर गठान है, जिस कारण मलद्वार का छेद बंद हो रहा था। भर्ती महिला का सिटी स्कैन कराने के बाद गठान के अंश को बायप्सी जांच के लिए भेजा गया। जांच रिपोर्ट में मलद्वार में कैंसर का लक्षण सामने आने पर उसे आवश्यक उपचार की सुविधा मुहैया कराई गई और महिला का ऑपरेशन करके मलद्वार को बंद करने और नया मलद्वार बनाने का निर्णय सहयोगी चिकित्सकों के बीच विचार-विमर्श के बाद लिया गया। 17 दिसम्बर को महिला के सर्जरी की तिथि सुनिश्चित हुई और उसे पूरी तरह से बेहोश करके मलद्वार को अंतड़ी का हिस्सा निकालकर बंद कर दिया गया। 5 घंटे तक चले ऑपरेशन के बीच महिला को नित्यक्रिया में होने वाली दिक्कत को देखते हुए पेट के बाएं हिस्से में मल त्याग करने का रास्ता बनाया गया है। महिला वर्तमान में पूर्व की अपेक्षा खुद को स्वस्थ महसूस कर रही है। कुछ दिन बाद महिला को कीमोथेरेपी के लिए रायपुर भेजा जाएगा। ऑपरेशन के दौरान डॉ. एसपी कुजूर के साथ डॉ. प्रवीण, डॉ. कांता सिंह, एनीस्थीसिया विभाग की टीम सक्रिय रही।
पहली बार ऐसा केस आया सामने
सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. एसपी कुजूर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सेवा के दौरान ऐसा जटिल केस उनके समक्ष पहली बार सामने आया है। महिला की उम्र महज 35 वर्ष है। चिकित्सक का कहना है कि युवावस्था में मलद्वार में इस प्रकार का कैंसर नहीं होता है। ऐसे हालात अधेड़ावस्था में पहुंचने के बाद बन सकते हैं। युवा अवस्था में ऐसी परिस्थिति क्यों बनी, इसका जवाब फिलहाल नहीं मिल पाया है। फिलहाल सर्जिकल प्रक्रिया के तहत एब्डोमिनो पेरिनियल रिसेक्शन (एपीआर) करके मलद्वार के पार्ट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है, जो कैंसर का वाहक रहा, जिससे भविष्य में महिला के लिए खतरे की स्थिति बनी रहती।