विभागीय अधिकारियों की उदासीनता से लोगों में रोष
बिश्रामपुर। प्रशासनिक उदासीनता की वजह से करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित सी मार्ट देखरेख के अभाव में अपनी बदहाली पर आंसू बहाती नजर आ रही है। साथ ही सी मार्ट के सामने स्थित पर्यटन स्थल केनापारा-वरपारा के व्यवस्थित संचालन ना होने से भी पर्यटकों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं और पर्यटक यहां आकर खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। यहां पर पर्यटन स्थल व सी मार्ट की बदहाली से अब तक पर्यटकों की संख्या में कोई इजाफा नहीं दिखाई पड़ रहा है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 किनारे ग्राम पंचायत तेलईकछार व जयनगर के सरहदी क्षेत्र में स्थित एसईसीएल की बंद पड़ी अनुपयोगी क्वारी में करोड़ों रुपए खर्च करके उक्त स्थान को बेहतर पर्यटन स्थल बनाए जाने का कार्य जिला प्रशासन द्वारा एसईसीएल प्रबंधन की मदद से किया गया था। यहां पर पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने के उद्देश्य से करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे। साथ ही पर्यटन स्थल के समीप ही वर्ष 2021 में करीब एक करोड़ अठारह लाख रुपए की लागत से सर्व सुविधायुक्त सी मार्ट का भी निर्माण कार्य कराया गया था। मजे की बात यह है कि सी मार्ट का निर्माण कार्य करोड़ों रुपए खर्च करने उपरांत करा दिया गया लेकिन यहां के स्थल चयन को महत्त्व ना देते हुए जिला मुख्यालय सुरजपुर में लाखों रुपए खर्च करके दूसरा सी मार्ट का निर्माण करा दिया है। ऐसी स्थिति में अब यहां के करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित सी मार्ट की उचित देखरेख ना होने की वजह से खंडहर के रूप में तब्दील हो गई है। समयानुसार विभागीय अधिकारियों द्वारा मेंटनेस ना कराए जाने व निगरानी ना किए जाने की वजह से उक्त सी मार्ट में लोहे के लगाए गए सामानों की चोरी हो रही है। साथ ही सी मार्ट के अंदर से ही एक पेंड भी उगने से वह बड़ा रूप धारण कर रहा है। सवाल यह उठता है कि जब इस सी मार्ट का उपयोग नहीं करना था तो फिर करोड़ों रुपए पानी में बहाते हुए बेवजह खर्च क्यों किए गए ? इसके जिम्मेदार अधिकारी पर जांच उपरांत कार्यवाही कर शासकीय राशि के दुरुपयोग की वसूली कब की जाएगी। पर्यटन स्थल के निर्माण कार्य में शुरू से गुणवत्ता का ध्यान ना रखने व जिम्मेदार अधिकारियों के सतत मॉनिटरिंग के अभाव में शासकीय राशि का यहां पर बड़े पैमाने पर गोलमाल करके शासन को चुना लगाए जाने का प्रयास किया गया है। क्षेत्रवासियों ने मांग की है कि पर्यटन स्थल की तत्काल मरम्मत कार्य पूर्ण कराकर इसकी उपयोगिता को बढ़ाए जाने का प्रयास जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को शुरू करना चाहिए, जिससे दूर दराज इलाके से यहां आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा उपलब्ध हो सके। यहां पर फिलहाल जो पर्यटक आते हैं वे खुद को उचित व्यवस्था नहीं मिलने पर ठगा सा महसूस कर रहे हैं। दिलचस्प पहलू यह है कि पर्यटन स्थल के कई कार्यों का आज तक हैंडओवर की प्रक्रिया वर्षों बाद भी पूर्ण नहीं हो सकी है। बताया जा रहा है कि पूर्व में पर्यटन स्थल व सी मार्ट के बेहतर क्रियान्वयन हेतु जिला पंचायत के माध्यम से आउट सोर्सिंग के जरिए संचालन कराए जाने हेतु प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन उक्त प्रक्रिया भी आज तक केवल कागजों में ही सिमट कर रह गई और धरातल में स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। पर्यटन स्थल व सी मार्ट में शुरुआती दिनों में पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोगों को अच्छी खासी सुविधा मिल रही थी लेकिन अब वह एक सपना बनकर ही रह गई है।
15 लाख के हट बंबू भी अनुपयोगी
पर्यटन स्थल में दूर दराज इलाके से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित कर उनके ठहरने हेतु करीब 15-15 लाख रुपए की लागत से छह नग बांस की हट बंबू भी तैयार कराई गई थी। जिसमें बस्तर से स्पेशल कारीगरों को बुलाकर हट बंबू तैयार कराया गया था। यहां पर अमानक स्तर के कार्य होने की वजह से बांस से निर्मित हट बंबू में दीमक लग गए हैं, जिससे अब हट बंबू काफी कमजोर हो चुका है। यहां पर आधा दर्जन निर्मित हट बंबू की स्थिति यह है कि गत वर्षों में आए आंधी में कई हट बंबू उजड़ गए थे।

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