कांग्रेस ने कहा-ओबीसी चेहरा होते हुए भी अरुण साव ने इस वर्ग को अनदेखा किया
अंबिकापुर। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में प्रदेश सरकार के द्वारा लागू की गई नई आरक्षण व्यवस्था के कारण प्रदेश के ऐसे जिले जहां पेसा कानून लागू है या जो पॉचवीं अनूसूचि में आते हैं वहां अन्य पिछडा वर्ग के लिए आरक्षण शून्य हो गया है। 3 दिसंबर को जारी अधिसूचना का उल्लेख करते हुए श्रम कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शफी अहमद एवं जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने पत्रकारों से चर्चा की और राज्य सरकार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि 3 दिसंबर को जारी अधिसूचना के अनुसार प्रदेश में त्रि-स्तरीय चुनाव में आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित की गई है। इस निर्धारण के साथ ही यह नियम भी लागू किया गया है कि जिन जिलों में अनूसूचित जनजाति एवं अनूसूचित जाति की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है, वहां ओबीसी आरक्षण शून्य किया जाता है। ऐसे में ओबीसी आरक्षण की सीटें सामान्य हो जाएंंगी, जबकि पूर्व में इन जिलों में 75 प्रतिशत आरक्षण की सीमा तय थी। इसमें 15 प्रतिशत तक की सीटों पर ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ मिल जाता था। ओबीसी वर्ग को पंच, जनपद पंचायत सदस्य एवं जिला पंचायत सदस्य के पदों के लिए आरक्षण का लाभ मिलता था, जो कि राज्य सरकार के 3 दिसंबर के गजट प्रकाशन के बाद शून्य हो गया है। उन्होंने कहा कि नोटिफिकेशन के आने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों से ओबीसी वर्ग के जनप्रतिनिधि लगातार उनके संपर्क में हैं। सरकार के द्वारा उनके प्रति किए गए इस भेदभाव से वे आहत हैं। त्रि-स्तरीय पंचायतचुनाव के आरक्षण में सरकार ने जो रवैया अपनाया है उसे प्रदेश का ओबीसी वर्ग और कांग्रेस बर्दाश्त नहीं करेगी। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन ने प्रदेश के 50 प्रतिशत से अधिक ओबीसी आबादी के सशक्तिकरण के लिए जो कदम उठाए थे, प्रदेश सरकार के इस रवैये से उसे धक्का लगा है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से सरगुजा संभाग में रजवार, मानिकपुरी, तुरिया, कुम्हार, जायसवाल, कुशवाहा, बरगाह जैसी दसियों ओबीसी जातियों के वाजिब जनप्रतिनिधित्व पर प्रहार हुआ है।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव जो स्वयं ओबीसी वर्ग के चेहरे हैं, ने 16वीं कैबिनेट बैठक के बाद कहा था कि प्रदेश में त्रि-स्तरीय चुनाव में ओबीसी वर्ग को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा, लेकिन 3 दिसंबर के नोटिफिकेशन से स्पष्ट हुआ कि सरगुजा और बस्तर संभाग में ओबीसी वर्ग का आरक्षण शून्य हो गया है। ओबीसी चेहरा होते हुए भी अरुण साव शासन के समक्ष इस वर्ग के हितों को रख नहीं पाए। उनकी कथनी-करनी में फर्क दिखलाई देता है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने इस आरक्षण व्यवस्था में ग्राम पंचायतों का चुनाव वर्ष 2019-20 को आधार मानते हुए द्वितिय निर्वाचन घोषित किया है जबकि जनपद पंचायत सदस्यों का चुनाव और जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव का आधार वर्ष 2024-25 मानते हुए प्रथम निर्वाचन घोषित किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत के रोस्टर में बदलाव कर मनमाने ढंग भाजपा समर्थित जिला एवं जनपद पंचायत का चुनाव किया जा सके। प्रेसवार्ता के दौरान महापौर डॉ. अजय तिर्की, हेमंत सिन्हा, मो. इस्लाम, संजय विश्वकर्मा, मुनेश्वर राजवाड़े, जगन्नाथ कुशवाहा, दिनेश सोनी, सरोज साहू, अनूप मेहता, गुरुप्रीत सिद्धू, नरेन्द्र विश्वकर्मा, अविनाश कुमार, दिनेश शर्मा सहित अन्य उपस्थित थे।