राज्य स्तरीय शोध संगोष्ठी में सरगुजा अंचल के भित्ति चित्र कला की प्रस्तुतिअंबिकापुर। छत्तीसगढ़ शासन पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग द्वारा महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर के सभागार में 21 से 23 दिसंबर तक ‘प्राचीन छत्तीसगढ़ में कला और वास्तु कलाÓ विषय पर राज्य स्तरीय शोध संगोष्ठी का आयोजन डॉ. भुवन विक्रम क्षेत्रीय निदेशक भोपाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की विशिष्ट अतिथि एवं संचालक पुरातत्व पर्यटन संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य की अध्यक्षता में किया गया। इस मौके पर सूरजपुर जिले में जिला पुरातत्व के सदस्य राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता अजय कुमार चतुर्वेदी ने ‘सरगुजा अंचल के शैलचित्र एव भित्ति चित्र कलाÓ के संबंध में विस्तार से व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि सरगुजा अंचल में अनेक प्राचीन शैल चित्रों और भित्ति चित्र देखने को मिलते हैं। कुछ शैल चित्रों और भित्ति चित्र शासन की नजर में हैं। किन्तु कुछ आज भी अज्ञात स्थिति में संरक्षण की बाट जोह रहे हैं। रामगढ़ के जोगीमाड़ा गुफा के मौर्य कालीन भित्तिचित्र ऐतिहासिक काल की भारतीय चित्रकला के प्राचीनतम उदाहरण हैं। अजय चतुर्वेदी ने अपने शोध पत्र में सरगुजा अंचल के भित्तिचित्रों, शैलचित्रों, शिला लेख एवं दीवालों पर बनाए गए रजवार भित्ति चित्र कला पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसमें सरगुजा जिला के जोगी माड़ा गुफा, ढ़ोढागांव सीतापुर के भित्तिचित्र, सूरजपुर जिला के जोगी माड़ा गुफा, सीतालेखनी पहाड़, कुदरगढ़, कठौता पहाड, नवाधक्की के भित्ति चित्र, बलरामपुर जिला अंतर्गत बच्छराज कुंवर के भित्ति चित्र और दीवालों पर बनाए गए रजवार भित्तिचित्र के बारे में विस्तार से अवगत कराया। भित्ति चित्र की कुशल कला शिल्पी, शिल्प गुरू श्रीमती सोनाबाई की भित्ति चित्रकला देश-विदेश में सरगुजा की पहचान बना चुकी है। दीवालों पर बनाए गए भित्ति चित्र काफी आकर्षक लगते हैं। यह कला रजवार जाति की पारंपतिक भित्ति चित्र कला है। राज्य स्तरीय शोध संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ व विभिन्न राज्यों से आए 64 शोध सारांश आए, जिसमें से संगोष्ठी के मूल विषय और उपविषयों पर केंद्रित 44 आलेखों का वाचन किया गया।

Spread the love