बिश्रामपुर। सूरजपुर जिले में रेत माफियाओं की सक्रियता लगातार बढ़ी हुई है। कोयला, कबाड़ और नशे के कारोबार की तरह रेत का करोबार कारोबारियों को मोटी कमाई में मदद कर रहा है। पिछली सरकार में तो अपने चहेते लोगों को बकायदा रेत घाट का ठेका देकर सरकार उन्हें छूट दे रखी थी, लेकिन अब प्रदेश में नई सरकार के गठन हुए एक वर्ष आज पूर्ण हो गया है। राज्य सरकार ने नदी घाटों का लीज जारी नहीं किया है, जिससे अवैध कारोबारियों की मानो चांदी हो गई है। राज्य सरकार को बिना कुछ टैक्स दिए ही रेत का कारोबार पहले से अब दुगुना बढ़ गया है। सरकार बदलने के बाद जो रेत के कारोबारी सत्ता के साथ थे आज बदली हुई परिस्थिति में कारोबारियों ने पार्टी बदलकर अब वर्तमान सत्ता के साथ होने का दिखावा कर रेत के अवैध कारोबार को पूरी गति के साथ कर रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि न तो राजस्व विभाग और न ही माइनिंग विभाग इस ओर कार्यवाही करने का हिम्मत दिखा पा रहा है। रेत लोड वाहन यदि गलती से कोई अधिकारी रोक लेता है, तो उसे तत्काल छोड़ना पड़ता है। ऐसे में अधिकारी भी अपनी फजीहत नहीं कराना चाहते हैं, इस वजह से भी अवैध कारोबारियों की चांदी हो गई है। ग्राम पंचायत हर्राटिकरा सहित यहां से होकर गुजरने वाले रेत लोड वाहनों से गांव के युवा गांव के मंदिर के जीर्णोद्धार के नाम पर हर रेत लोड छोटे वाहन से तीन सौ रुपए व बड़े वाहनों से चार सौ रुपए वसूल रहे हैं। यही पैसे अभी उनके कमाई का जरिया भी बना हुआ है।
सूरजपुर का रेत ऊंचे भाव में अंबिकापुर में खपा रहे
सूरजपुर जिले के विभिन्न रेत घाटों से निकाले गए रेत को माफिया अंबिकापुर खपा रहे हैं। बताया जा रहा है कि मिनी ट्रक, टाटा 709 वाहन में दो सौ फिट लोड रेत को माफिया अंबिकापुर में ढाई से तीन हजार रुपए के बीच विक्रय कर रहे हैं, जबकि टाटा 912 वाहन जिसमें 300 फिट रेत भरी होती है उसे माफिया अंबिकापुर में चार से साढ़े चार हजार रुपए तक बेच रहे हैं। एक वाहन दिन भर में चार से पांच ट्रिप लगा रही है। ऐसे में एक वाहन से दस हजार से पंद्रह हजार का कारोबार चल रहा है।
रेत घाटों की स्वीकृति की चल रही प्रक्रिया
खनिज निरीक्षक नेहा टंडन ने बताया कि जिले के रेत घाटों की स्वीकृति की प्रक्रिया खनिज विभाग शुरू किया गया है। जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर आबंटन कर दिया जाएगा, जिससे अवैध रेत खनन और परिवहन में अंकुश लगेगा।