प्रतापपुर। सूरजपुर वन मंडल अंतर्गत वन परिक्षेत्र प्रतापपुर के दरहोरा बीट के सरहरी क्षेत्र में गुरुवार की सुबह वन विभाग की टीम को एक मादा हाथी का शव बरामद हुआ है। पशु चिकित्सकों ने मृत हथिनी के मौत की वजह बीमार होना बता रही है।
जानकारी के मुताबिक गुरुवार को दरहोरा बीट में हाथियों की निगरानी की जा रही थी। इसी बीच टीम के सदस्यों ने सरहरी जंगल के कक्ष क्रमांक 91 में एक मादा हाथी को मृत अवस्था में देखा तो वे हक्के बक्के रह गए। इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों व उच्चाधिकारियों को दी गई। सूचना पर मौके पर पहुंचे मुख्य वन संरक्षक व्ही. माथेश्वरन, वन संरक्षक वन्य प्राणी कृष्णा राम बढ़ई, सूरजपुर डीएफओ पंकज कमल, प्रतापपुर उप वन मंडलाधिकारी आशुतोष भगत, रेंजर उत्तम मिश्रा पहुंचे और घटनास्थल का जायजा लिया। कुछ समय पश्चात विश्रामपुर व तमोर पिंगला अभयारण्य रमकोला से पशु चिकित्सकों की टीम भी मौके पर पहुंची। मादा हाथी के शव का पोस्टमार्टम करने वाले पशु चिकित्सा सेवाएं विश्रामपुर के अतिरिक्त उप संचालक डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय व तमोर पिंगला अभयारण्य के पशु चिकित्सक डॉ. अजीत पांडेय ने बताया कि मादा हाथी का शव लगभग दस दिन पुराना है। 40 वर्ष की मादा हाथी लंबे समय से बीमार चल रही थी, उसका लीवर, गुर्दा व अन्य अंग बेकार हो गया था। पाचन तंत्र भी पूरी तरह से बेकार हो गया था, जिसके कारण वह भोजन नहीं कर पा रही थी। चिकित्सक ने बताया कि मादा हाथी का पेट पूरी तरह से खाली था। पेट में भोजन की थोड़ी सी भी मात्रा नहीं थी। खाली पेट रहने के कारण शरीर में ताकत की गुंजाइश नहीं थी, जिसके कारण वह चल फिर नहीं पा रही थी। लंबे समय से बीमार व भूखी रहने से उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम पश्चात वन विभाग ने मादा हाथी के शव को मौके पर ही गड्ढा खुदवाकर गड्ढे में चूना व नमक मिलाकर पूरे विधि विधान के साथ दफना दिया है।
बता दें कि वन परिक्षेत्र प्रतापपुर जिले का सर्वाधिक हाथी प्रभावित क्षेत्र है। यहां हाथियों के विभिन्न दलों की आवाजाही लगातार बनी रहती है। वन विभाग व हाथी मित्र दल की संयुक्त टीम लगातार इनकी निगरानी करती है।
*मादा हाथी कुछ दिनों से थी गायब*
वन परिक्षेत्र प्रतापपुर के दरहोरा बीट के सरहरी जंगल के कक्ष क्रमांक आरएफ 91 में मृत पाई गई मादा हाथी मरने से पूर्व इसी क्षेत्र में विचरण कर रही थी। वन विभाग व हाथी मित्र दल की संयुक्त टीम इसकी निगरानी भी कर रही थी पर कुछ दिनों से यह मादा हाथी अचानक गायब हो गई थी। वह किस तरफ गई है इसका कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। इसी बीच संयुक्त टीम को घने जंगल के भीतर वह मृत अवस्था में मिली।
*क्षेत्र में 9 हाथियों का दल सक्रिय*
वर्तमान में वन परिक्षेत्र प्रतापपुर के वन क्षेत्र धरमपुर में नौ हाथियों का दल सक्रिय है, जो गन्ने व धान की फसल को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है। इस दल में एक विशालकाय दंतैल भी है जो हमेशा आक्रामक मुद्रा में रहता है। कुछ समय पहले यहां 35 हाथियों का दल भी सक्रिय था, जिसने क्षेत्र के किसानों की फसलों को बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचाया था। हालांकि वन विभाग की संयुक्त टीम क्षेत्र में लगातार हाथियों की मौजूदगी पर नजर रखते हुए हाथी प्रभावित क्षेत्र के लोगों को मुनादी के माध्यम से लगातार सतर्क करती है। हाथी प्रभावित क्षेत्र के लोग भी हाथियों के डर से रात भर जागने को मजबूर बने रहते हैं। वन परिक्षेत्र प्रतापपुर में हाथी मानव द्वंद्व का यह सिलसिला दशकों से चला आ रहा है, जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है।