जिला पंचायत के आदेश को दिखा रहे ठेंगा
सूरजपुर। जिले के प्रतापपुर जनपद पंचायत में पंचायत सचिवों द्वारा जिपं सीईओ के आदेशों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। 23 जुलाई 2024 को बड़ी संख्या में पंचायत सचिवों का तबादला किया गया था, लेकिन तबादला आदेश के महीनों बाद भी कई सचिव अपने पुराने पदस्थापना स्थल पर जमे हुए हैं, मानो प्रशासनिक आदेशों का उन पर कोई प्रभाव नहीं हो रहा हो। सूत्रों के अनुसार, जिला पंचायत सीईओ ने जुलाई में प्रतापपुर जनपद के सचिवों का स्थानांतरण किया था। परंतु कुछ सचिव अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर पुराने स्थान पर ही बने हुए हैं और जिला पंचायत के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक नियमों का उल्लंघन है, बल्कि शासन की साख पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। पंचायतों में हो रहा भ्रष्टाचार का आरोप इस समस्या को और गंभीर बनाता है।
फर्जी बिल व बाउचर से सरकारी राशि की हेराफेरी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कई पंचायत सचिव फर्जी बिल और वाउचर बनाकर लाखों रुपये की हेराफेरी करने में लगे हुए हैं। ये वही सचिव है जो पुरानी पदस्थापना में रहते हुए अपने प्रभाव और पहुंच का लाभ उठा रहे हैं, जिससे ग्राम पंचायतों की वित्तीय व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है। स्थानीय ग्रामीणों और पंचायत सदस्यों का कहना है कि पंचायतों में विकास कार्यों की प्रगति में बड़े पैमाने पर देरी हो रही है। इस कारण ग्रामीण जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
सचिवों द्वारा आदेश न मानने और भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद, जिला प्रशासन द्वारा अभी तक कोई ठोस कार्रवाई न किया जाना आश्चर्यजनक है। इस मामले में जिला पंचायत सीईओ की ओर से कोई सख्त कदम न उठाने पर सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीण और जनप्रतिनिधि अब इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। प्रभावित गांव के जनप्रतिनिधि व ग्रामीणों ने कहा है कि ऐसे सचिवों पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो वे जिला प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने मांग की है कि भ्रष्टाचार में लिप्त सचिवों की तुरंत जांच की जाए और जिनका तबादला हो चुका है, उन्हें नई जगहों पर पदस्थ किया जाए। इसके साथ ही, फर्जी बिलों और हेराफेरी के मामलों में कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए ताकि पंचायतों में पारदर्शिता और वित्तीय ईमानदारी बनी रहे।