क्षेत्रीय रेलवे उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति के सदस्य मुकेश तिवारी ने बैठक में बताया अंबिकापुर-रेणुकूट की क्या है उपयोगिता
अंबिकापुर। बिलासपुर में दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे की क्षेत्रीय रेलवे उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति की 19वीं बैठक हुई। बैठक में अंबिकापुर से शामिल हुए समिति के सदस्य मुकेश तिवारी ने अंबिकापुर-रेणुकूट रेललाइन की उपयोगिता और क्षेत्र की जरूरतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कोरबा-अंबिकापुर मार्ग के लिए भी कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिसे समिति ने भविष्य में होने वाले सर्वे में शामिल करने की सहमति जताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 3 करोड़ लोगों की इच्छाओं, आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करने वाली सर्वोच्च संस्था छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्वसम्मति से अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन के समर्थन में इसके जल्द क्रियान्वयन के लिए प्रस्ताव पारित किया है। इसे दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा आगामी प्रोजेक्ट के रूप में सर्वोच्च प्राथमिकता के क्रम में रखना चाहिए। बैठक में बिलासपुर रेल्वे जोन अंतर्गत आने वाले सभी क्षेत्रों के लोग शामिल हुए।
मुकेश तिवारी ने कहा कि अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन का डीपीआर जमा हुए लगभग एक वर्ष का समय व्यतीत होने वाला है, किंतु इस रेल लाइन के संबंध में डबल लाइन, सिंगल लाइन रिवाइज्ड डीपीआर से आगे बात अभी तक नहीं बढ़ पाई है। दो घंटे तक निर्धारित बैठक में सरगुजा क्षेत्र के रेलवे विस्तार की संभावनाओं पर आधे घंटे से अधिक बात रखी गई, जिस पर रेलवे की जीएम नीनू ईटियेरा सहित अन्य अधिकारियों ने उनके सुझावों को आगामी सर्वे और नए प्रोजेक्ट के लिए बनने वाले प्लान में शामिल करने की बात कही है। उल्लेखनीय है कि लम्बे समय से अंबिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन की मांग के बीच उक्त मार्ग की उपयोगिता और उससे कमाई नहीं होने की बनी संभावना को देखते हुए रेल्वे ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था। वहीं अंबिकापुर-रेणुकूट रेल मार्ग के लिए रेलवे संघर्ष समिति के द्वारा उठाए गए कदम का प्रतिफल यह रहा कि रेल्वे के सर्वे में यह मार्ग क्षेत्र के विकास के साथ ही रेल्वे को फायदेमंद नजर आया। बीते 25 सितम्बर को हुई समिति की बैठक में समिति के सदस्य मुकेश तिवारी ने अधिकारियों के सामने अम्बिकापुर-बरवाडीह और अंबिकापुर-रेणुकूट दोनों रेल मार्गों के संबंध में कई तथ्य रखे। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि अंबिकापुर-बरवाडीह रेल मार्ग के लिए एसईसीएल ने भी कोई रूचि नहीं दिखाई हैं, वहीं उक्त मार्ग पर पड़ने वाले प्रस्तावित स्टेशनों के संरक्षित वन क्षेत्र और राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में होने के कारण मार्ग के लिए वन विभाग से अनापत्ति मिलना लगभग नामुमकिन है, जो इस परियोजना के लिए बड़ी बाधा है। वहीं अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन की दूरी बरवाडीह के मुकाबले 47 किलोमीटर कम है और लागत भी 813 करोड़ कम आएगी। रेणुकूट रेल लाइन एफआइआरएल व ईआइआरआर भी क्रमश: 6.03 और 15.69 प्रतिशत ज्यादा है, जो रेल लाइन बनने के बाद उसकी लागत की वसूली और परिचालन से होने वाली आमदनी को दर्शाता है। इस रेल मार्ग के लिए कोल इंडिया ने भी रूचि दिखाई है क्योंकि सूरजपुर जिले में एसईसीएल की कई खदानें चालू व प्रस्तावित हैं। ऐसे में इन खदानों से कोयला ढुलाई की लागत एसईसीएल के लिए काफी कम हो जाएगी। मुकेश तिवारी ने अधिकारियों को यह भी बताया कि पूर्व में ही यह सामने आ चुका है कि अंबिकापुर व आसपास के क्षेत्रों तथा रेणुकूट के लिए प्रतिदिन जितने लोगों का आवागमन होता है उनकी संख्या 10 हजार से ज्यादा है, जो रेणुकूट से गंतव्य की ओर जाते हैं। इतने लोगों को रेल की सुविधा मिल जाने से इन पर पड़ने वाला आर्थिक भार कम होगा और आवागमन के लिए एक सुविधा भी मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि अब तक दोनों मार्गों के लिए हुए सर्वे में हाल ही में संपन्न हुए सर्वे के लिए रेलवे ने जहां अम्बिकापुर से रेणुकूट का सर्वे 25 लाख में कराया, वहीं बरवाडीह का सर्वे 66 लाख में हुआ है। सभी मानकों पर रेणुकूट रेलमार्ग के सही साबित होने के बाद भी इस मार्ग के लिए रेलवे द्वारा की जा रही हीलाहवाली को क्षेत्र के साथ अन्याय बताते हुए उन्होंने अधिकारियों को रेणुकूट रेललाइन के कारण धरातल पर होने वाले लाभ के बारे में दर्जनों तथ्यों से अवगत कराया। इसके अलावा बैठक में उन्होंने अधिकारियों को अम्बिकापुर कोरबा रेल लाइन के लिए किए गए हवाहवाई सर्वे के बारे में बताया, जिसमें अंबिकापुर-कोरबा रेल लाइन को 210 किलोमीटर लम्बा बताया गया है, जबकि अदानी द्वारा परसा केते तक बिछाई जा चुकी रेल लाइन का कोरबा तक विस्तार करने पर रेल लाइन के अंबिकापुर से जुड़ जाने तथा लखनपुर-उदयपुर होते हुए भी रेल लाइन लाने पर उक्त मार्ग भी काफी कम दूरी में सिमट जाएगा और दोनों शहर आपस में जुड़ जाएंगे। मुकेश तिवारी ने कहा कि प्रोजेक्ट इवैल्यूएशन कमेटी के 58 में बैठक में एसईसीआर ने डीपीआर पर चर्चा कर जो निष्कर्ष निकाला, उन तथ्यों आंकड़ों के अनुरूप अंबिकापुर रेणुकूट रेल लाइन को जल्द स्वीकृति देकर इसके क्रियान्वयन के लिए आगामी बजट में शामिल करने का प्रस्ताव भेजना चाहिए।
जनभावना एवं सरगुजा क्षेत्र के हित में प्रस्तावित मार्ग
अंबिकापुर, लखनपुर, केदमा, मतरिंगा, सियांग, चिर्रा, बताती, कोरबा होते दूरी 110 किमी है। अंबिकापुर से बिश्रामपुर तक रेल मार्ग 2006 में बना है। बिश्रामपुर से सूरजपुर रोड तक 1964 में बना है। सूरजपुर रोड से परसा केते अडानी माइंस तक रेल लाइन 2018 से चालू है। परसा केते से कटघोरा तक 60 किलोमीटर का रेलवे द्वारा फाइनल लोकेशन सर्वे लगभग कंप्लीट कर लिया गया है। कटघोरा से कोरबा की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है। अंबिकापुर से यह रेल मार्ग लगभग 211 किलोमीटर का होगा, लेकिन सरगुजा के लोगों को इसका लाभ तब मिल पाएगा जब इसमें यात्री ट्रेन रायपुर के लिए चलाई जाए। वर्तमान में परसा केते से गुड्स ट्रेन द्वारा दिन-रात अडानी के कोयले की ढुलाई का कार्य ही हो रहा है। सरगुजा क्षेत्र के लोगों को अंबिकापुर कोरबा के प्रस्तावित रेल मार्ग का लाभ तब मिलेगा ज़ब लखनपुर उदयपुर जैसे बड़े कस्बों, नगरों से होकर कोरबा तक का कम समय कम दूरी जल्द निर्माण होने वाला रेल मार्ग बने, जिससे सरगुजा के लोग रेल मार्ग से केवल 6 घंटे में राजधानी रायपुर पहुंच सकें। वर्तमान समय में अंबिकापुर से मध्य प्रदेश के अनूपपुर होकर रायपुर जाने में 12-13 घंटे की दूरी तय करनी पड़ती है। सरगुजा की जन भावना अनुरुप रेणुकूट अंबिकापुर कोरबा रेल लाइन बन जाने से प्रदेश की राजधानी 6 घंटे में और देश की राजधानी दिल्ली 13 घंटे में सरगुजा क्षेत्र के लोगों का जाना संभव होगा।
सरगुजा अंचल से कनेक्टिविटी की समस्या को दूर करने के लिए रेणुकूट-अंबिकापुर कोरबा रेल मार्ग यहां के लोगों की मंशा अनुरूप व सर्वोच्च प्राथमिकता में है। मुकेश तिवारी ने कहा कि इस रेल लाइन के बारे में जितने तथ्य बताए जाते हैं उनमें अधिकतर झूठ हंै। सबसे बड़ा भ्रम यह है या प्रचारित किया जाता है कि इससे मुंबई कोलकाता के बीच की दूरी 400 किलोमीटर कम हो जाएगी, जबकि जबलपुर, कटनी, सिंगरौली, चोपन, गढ़वा रोड होकर बरवाडीह तक इससे शॉर्ट रूट मौजूद है। इस रेल लाइन के निर्माण में 1000 करोड़ नहीं, 9000 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी, इस रेल लाइन की वित्तीय आंतरिक प्रतिफलता नकारात्मक है।