ग्रामीणों ने उपसरपंच व पूर्व सरपंच पर आरोप लगाते हुए किया सवाल
अंबिकापुर। शहर से लगे ग्राम पंचायत खैरबार एवं ग्राम पंचायत बधियाचुआं में अवैध वन अधिकार पत्र वितरण करने की शिकायत ग्रामीणों ने कलेक्टर के जनदर्शन में की है। ग्रामीणों का आरोप है कि दोनों ग्राम पंचायतों में संरक्षित वन क्षेत्र क्रमांक 2582, 2583 में वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी व तत्कालीन पंचायत सचिव एवं हल्का पटवारी से मिलीभगत करके ग्राम पंचायत के उपसरपंच राजू राम चिररे एवं ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच विश्राम कुजूर द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से अवैध वन अधिकार मान्यता पत्र बनवाया गया है। वहीं चार पीढ़ी से गांव में रहने वाले वृद्धों को वन अधिकार पत्र नहीं मिल पाया है।
कलेक्टर के नाम दिए गए शिकायत पत्र में बताया गया है कि ग्राम पंचायत बधियाचुआं का उप सरपंच राजुराम चिररे अपनी मां इन्द्रकुंवर पत्नी भोलाराम के नाम 7 एकड़ का वन अधिकार मान्यता पत्र बनवा लिया। इसी प्रकार अपने नाम पर राजू राम चिरर्रे पिता भोला राम करीब 2 एकड़ का वन अधिकार मान्यता पत्र बनवाया है। इसी क्रम में राजू राम चिररे अपने भाई टिंकू राम पिता भोला राम के नाम पर 2 एकड़ का वन अधिकार मान्यता पत्र बनवा लिया। इसी प्रकार नगर निगम में पार्षद रहे अपने समधी के नाम से 2 एकड़ का वन अधिकार मान्यता पत्र बनवाया है। जांच का विषय यह भी है कि राजू राम चिररे अपनी मां इन्द्रकुंवर के नाम पर 7 एकड़ का जो वन अधिकार मान्यता पत्र बनवाया है, उसमें लगाया गया दस्तावेज ही राजू राम चिररे व टिंकू राम के वन अधिकार मान्यता पत्र में लगा है। इन्द्रकुंवर के वन अधिकार मान्यता पत्र में कागजात लगे है उसमें 4 लोगों के नाम हंै जो इन्द्रकुंवर के पुत्र हंै एवं उन पर आश्रित हैं। इसमें राजू राम एवं टिंकू राम भाई का नाम अंकित है। ग्रामीणों ने सवाल उठाया है कि एक ही परिवार के एक ही दस्तावेज पर 3 लोगों इन्द्रकुंवर, राजू राम एवं टिंकू राम को वन अधिकार मान्यता पत्र कैसे मिला इसकी जांच होनी चाहिए। इनके द्वारा वन अधिकार मान्यता पत्र निरस्त करने एवं उक्त जमीन को वन संरक्षित क्षेत्र में करने की अनुशंसा करने की मांग की गई है, ताकि भविष्य में कोई गलत दस्तावेज के सहारे वन अधिकार मान्यता पत्र न प्राप्त कर सके। कलेक्टर ने ग्रामीणों को मामले की जांच कराने के लिए आश्वस्त किया है।

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