साइंर् कॉलेज में दो दिवसीय इन्टरनेशनल कांफ्रेंस शुरू
अंबिकापुर। मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो शोध, अनुसंधान के पायदान पर हमेशा गतिशील है। कृत्रिम बुद्धि (एआई) से जीवन बदल गया है। यह बातें शनिवार को श्री साईं बाबा आदर्श स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ग्लोबल इम्पैक्ट ऑफ साइंस, टेक्नालॉजी एंड मैनेजमेंट विषय पर विज्ञान विभाग और आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य अतिथि डॉ. राजीव मनोहर ने कही।
लखनऊ विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोहर ने आगे कहा कि विशेष विज्ञान और तकनीकी के साथ प्रबंधन से जीवन बदला है। बिजली का आविष्कार वैज्ञानिक के लिए स्वत: का प्रयास था लेकिन आज हम बिजली के बिना समाज की कल्पना नहीं कर सकते हैं, यही प्रबंधन की कुशलता है। इससे पहले शासी निकाय के अध्यक्ष विजय कुमार इंगोले और अतिथियों ने मां सरस्वती और श्री साईं नाथ की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना काल की भीषण आपदा को विज्ञान, तकनीकी और प्रबंधन ने अवसर के रूप में बदल दिया। वर्तमान दौर कृत्रिम बुद्धि (एआई) का है। अब विज्ञान और तकनीकी के साथ प्रबंधन जरूरी है। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि कुशल प्रबंधन के लिए प्रबंधक तैयार किए जाते हैं और यह अभ्यास, प्रयोग और वैश्विक पहुंच से ही संभव है। श्री साईं शिरडी शिक्षण समिति के सचिव अजय कुमार इंगोले ने कहा कि विज्ञान, तकनीकी और प्रबंधन एक साथ होने से समाज को लाभ मिलेगा। इससे समाज प्रभावित है और देश का लक्ष्य पूरा होगा। लखनऊ के जयनारायण एमपीजी कॉलेज से आए विशेष वक्ता डॉ.कमल कुमार पांडेय ने कहा कि ग्लोबल इम्पैक्ट ऑफ साइंस, टेक्नालॉजी एंड मैनेजमेंट विषय सारगर्भित है। विज्ञान, तकनीक और प्रबंधन का प्रभाव पूरी मानवता पर है। डॉ. कमल ने खदान का उद्धरण देते हुए कहा कि कोयला हमारे ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करता है। इसे पाने और उपभोग स्थल तक पहुंचाने में विज्ञान और तकनीकी का प्रयोग हो रहा है। लगातार खोदाई और बढ़ते प्रदूषण का प्रबंधन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऋषि भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाया लेकिन उससे पहले जल प्रबंधन भी हुआ। कांफ्रेंस के कन्वीनर शैलेष देवांगन ने कांफ्रेंस के उद्देश्य से अवगत कराते हुए कहा कि सरगुजा संभाग में शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देना है। हमारा लक्ष्य है कि शोध की गतिविधियां सरगुजा में बढ़े। उन्होंने इंटरनेशनल कांफ्रेंस की शैक्षिक गतिविधियों की जानकारी दी। इस अवसर पर अतिथियों ने कांफ्रेंस की संक्षेपिका का अनावरण किया। अतिथियों को अंगवस्त्र, श्रीफल और स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया। उद्घाटन सत्र का संचालन सहायक प्राध्यापक पल्लवी द्विवेदी और देवेन्द्र दास सोनवानी ने किया। आभार प्रकट करते हुए आईक्यूएसी के समन्वयक डॉ. आरएन शर्मा ने कहा भारतीय ज्ञान परम्परा वेद, पुराण के विज्ञान से जुड़े रहना हमारे लिये गर्व की बात है।
इस दौरान लाइफ अध्यक्ष अरविन्द तिवारी, वाणिज्य एवं प्रबंध के अध्यक्ष राकेश कुमार सेन, शिक्षा विभाग के डॉ.दिनेश शाक्य तथा सभी प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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