वार्डों के साथ ही कॉरीडोर में के बेड फुल
अंबिकापुर। सरगुजा जिले के उदयपुर क्षेत्र में जहां एक ओर डायरिया से मौत जैसी खबरें सामने आने लगी हैं, वहीं मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पिछले 15 दिनों से वायरल के मरीज काफी संख्या में पहुंच रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच सिर्फ मेडिसीन विभाग में मरीजों का आंकड़ा 300 को पार कर रहा है। ओपीडी के समय में एक चिकित्सक अमूमन 100 मरीज देख रहे हैं। ऐसे में मरीजों से बीमारी के बारे में केस हिस्ट्री अच्छे से जान पाना चिकित्सकों के लिए मुश्किल है। स्थिति यह भी है कि पुरूष और महिला मेडिकल वार्ड के कॉरीडोर तक मरीज से भर गए हैं। मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों का कहना है कि आज की स्थिति में मेडिसिन विभाग में 30 फीसदी मरीज बढ़ गए हैं, लेकिन चिकित्सकों की ड्यूटी पुराने रोस्टर पर निर्भर है। मेडिसिन विभाग के वार्डों पर नजर डालें तो पुरूष और महिला वार्ड जहां 60 मरीजों को भर्ती करने की सुविधा है, वहां 80 से 90 मरीजों को भर्ती करने के लिए अतिरिक्त बेड कॉरीडोर में लगाए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मौसमी उतार-चढ़ाव के बीच वायरल पीड़ितों की संख्या बढ़ गई है। कभी तेज धूप तो कभी बारिश और उमस के कारण घर-घर में वायरल से पीड़ित नजर आने लगे हैं। सरकारी अस्पताल ही नहीं, निजी अस्पतालों के ओपीडी में भी वायरल बुखार, सर्दी-खांसी की शिकायत के साथ मरीजों की भीड़ लगने लगी है। चिकित्सक से दिखाने के लिए पर्ची लेने के साथ ही चिकित्सक को दिखाने के लिए लोगों को भीड़ में जूझना पड़ रहा है। चिकित्सक, मरीजों को दवा के साथ ही खान-पान में एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं। वार्डों में बेड से अधिक मरीजों के भर्ती होने की नौबत बनने से अतिरिक्त बेड अस्पताल के कॉरीडोर में लगाए गए हैं, ये बेड भी फुल हो गए हैं। अस्पताल के ओपीडी में रोजाना लगभग 800 से 1000 मरीजों का पहुंचना होता है, लेकिन मेडिसिन विभाग में एकाएक बढ़ी भीड़ को देखते हुए यहां सेवा देने वाले चिकित्सक अतिरिक्त चिकित्सकों की व्यवस्था सुनिश्चित करने की जरूरत महसूस कर रहे हैं। ओपीडी में उल्टी-दस्त से पीड़ित बच्चों को भी लेकर स्वजन पहुंचने लगे हैं। ऐसे में मरीजों के भार के बीच अतिरिक्त चिकित्सकों की ड्यूटी लगाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
मच्छरों से बचाव के लिए जलजमाव न होने दें
बरसात के मौसम में जगह-जगह जलजमाव की स्थिति निर्मित होती है। ऐसे में घरों में जलजमाव वाले स्थलों पर भी ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि यहां मच्छर पनपते हैं, जो बीमारी के बड़े कारक हैं। चिकित्सकों का मानना है कि यह मौसम वायरल जनित बीमारियों के लिए अनुकूल रहता है। ऐसे में खानपान पर विशेष ध्यान देने की भी जरूरत है। चिकित्सकों का कहना है कि मौसम को देखते हुए एसी का उपयोग करने से भी बचना चाहिए। इसके अलावा मौसमी फलों व तले हुए खाद्य पदार्थों का उपयोग भी सावधानीपूर्वक करना चाहिए। स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। साफ पानी, स्वच्छ व ताजा भोजन करना चाहिए।
शनिवार को अवकाश के बावजूद मरीजों की भरमार
अकसर देखने को मिलता है कि विशेषकर अवकाश के दिनों में अस्पताल के ओपीडी में मरीजों की संख्या काफी कम रहती है। शनिवार, 24 अगस्त को अवकाश के बाद भी ओपीडी विशेषकर मेडिसिन और शिशु रोग विभाग बीमारों से अटा था। सीनियर और पीजी चिकित्सक के अलावा नर्सें वार्डों में भर्ती मरीजों का बेड-टू-बेड जाकर स्थिति का जायजा लेने में लगे थे। चिकित्सकों ने बताया कि अधिकांश वायरल पीड़ित मरीजों को तीन दिन तक इलाज के बाद छुट्टी दे दी जा रही है। कुछ मरीज तीन दिन से अधिक भी स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। मरीजों को पूरी तरह से स्वस्थ्य होने के बाद ही छुट्टी दे दी जा रही है।
डॉक्टरों पर अचानक बढ़ा मरीजों का भार
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि वर्तमान में 100 मरीजों में 80 मरीज वायरल के आ रहे हैं। 15 दिन के अंतराल में वायरल पीड़ितों की बढ़ी तादाद के बाद एक चिकित्सक जिसे अधिकतम 30 मरीज देखना चाहिए, उन्हें 80 से 100 मरीजों को देखना पड़ रहा है। पहले मेडिसिन ओपीडी में लगभग 200 मरीज आते थे। मेडिसिन विभाग में 9 सीनियर और 10 पीजी चिकित्सक की रोस्टर के अनुरूप ड्यूटी लगाई गई है। एक यूनिट में तीन चिकित्सकों के रहने से उन पर मरीजों का भार बढ़ा है। चिकित्सक को एक मरीज के बीच कम से कम 3 से 5 मिनट समय देना चाहिए, लेकिन मरीजों की भीड़ के बीच यह संभव नहीं है।
कोलेरा की नहीं हो रही जांच
सरगुजा जिले में डायरिया पीड़ितों का मामला सामने आने के बाद कोलेरा जांच की जरूरत महसूस की जा रही है। हालांकि इस जांच के प्रति अभी तक स्वास्थ्य विभाग के द्वारा रूचि नहीं ली गई है। चिकित्सकों का मानना है कि सर्वाधिक मौतें कोलेरा (हैजा) से होती हंै, इसका लक्षण भी उल्टी-दस्त ही है। इसलिए वर्तमापन में सामने आ रहे बीमारों को देखते हुए इसे सामान्य डायरिया मानकर नहीं चलना चाहिए। अगर मरीजों का स्टूल जांच हो, तो पता लग सकता है कि कहीं कोलेरा जैसी स्थिति तो नहीं बन रही है।
बारिश के मौसम में इन बातों का रखें ख्याल
0 उबला हुआ या आरओ का पानी पिएं।
0 बासी और बाजार के खाद्य पदार्थों को खाने से बचें।
0 संतुलित और पौष्टिक आहार लें।
0 जंक फुड और तला हुआ आहार लेने से बचें।
0 घर के अंदर और आसपास स्वच्छता का ध्यान रखें।
0 घर के आसपास, कूलर-फ्रिज में ज्यादा दिन तक पानी न रखें।
बयान
पिछले 15 दिनों से अस्पताल के मेडिसिन विभाग में मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। एक चिकित्सक 30-35 की जगह 100 मरीज देख रहे हैं। एक यूनिट में तीन चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई जाती है, जो वर्तमान में बढ़ी मरीजों की संख्या को देखते हुए पर्याप्त नहीं है। अवकाश के दिनों में जब वायरल पीड़ितों का आंकड़ा 300 को छू रहा है, तो समझा जा सकता है कि सामान्य दिनों में हालात कैसे बनते होंगे।
डॉ. अर्पण सिंह चैहान
सहायक अस्पताल अधीक्षक