सुनील दास
हर चुनाव में राजनीतिक दल कुछ नई योजनाएं लेकर आते हैं। उसके आधार पर जनता से वोट मांगते हैं। कई योजनाएं ऐसी होती हैं जो पार्टी की जीत का आधार होती है,वहीं कुछ योजनाएं ऐसी होती हैं जिससे पार्टी की जीत तो सुनिश्चित नहीं होती हैं लेकिन वह पार्टी की पहचान बन जाती हैं। जैसे भाजपा की तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका देने की योजना,छात्राओं को स्कूल आने-जाने के लिए साइकिल देना।
छत्तीसगढ़ में यह योजना सबसे पहले भाजपा ने शुरू की थी। इस योजना का मकसद तेंदूपत्ता संग्राहकों को यह एहसास दिलाना था कि देखों हमको तुम्हारी तकलीफ का एहसास है.तेंदूपत्ता संग्राहकों को जब चरणपादुका नहीं दी जाती थी, तब भी वह पैदल जंगल जाकर तेंदूपत्ता संग्रहण करते थे। जब भाजपा सरकार आई तो उसने चरण पादुका दी तो भी तेंदूपत्ता संग्राहण पैदल जंगल तेंदूपत्ता तोड़ने जाते हैं पर उनको चरण पादुका के कारण नंगे पैर पैदल चलने में जो तकलीफ होती थी, अब नहीं होती है। साथ ही चरण पादुका हमेशा इस बात का एहसास दिलाती रहती है कि यह भाजपा सरकार ने दी है, इसके कारण पैदल चलने मे अब पहले की तरह तकलीफ नहीं होती है। भाजपा सरकार को हमारी तकलीफ का एहसास है, वही हमारी तकलीफ दूर भी करती है।
चरण पादुका में कोई बहुत ज्यादा पैसा खर्च नहीं होता है। लेकिन इससे भाजपा लोगों को यह एहसास दिलाने में सफल रहती है कि हम आपकी तकलीफ जानते हैं और उसे दूर भी करते हैं।यह योजना भाजपा की पहचान बन गई है, यानी भाजपा सरकार आएगी तो लोग यह उम्मीद भी करेंगे कि भाजपा अपनी चरण पादुका योजना को फिर शुरू करे। यह ऐसी योजना है जिसे कांंग्रेस सरकार ने अपने समय में बंद कर दिया था,हो सकता हो कांंग्रेस को यह योजना पंसद न हो, वह यह मानती हो कि यह योजना तो भाजपा की पहचान है। हम भी यह योजना लागू करेंगे तो लोग कहेंगे कि कांग्रेस भी भाजपा की योजना की नकल कर रही है।
कांग्रेस सरकार जाने के बाद राज्य के लोग उम्मीद कर रहे थे कि सरकार अपनी योजना शुरू करे, यही वजह है कि सीएम साय ने जगदलपुर प्रवास के दौरान तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका बांटने की घोषणा की है। साथ ही छात्राओं को साइकिल बांटने की योजना भी शुरू की गई है। गांवो में मिडिल स्कूल हाई स्कूल दूर दूर होते हैं,एक गाव से दूसरे गांव पढ़़ने जाना पड़ता है, स्कूल दूर होने के कारण छात्राओं को पैदल जाना पड़ता है, बहुत सारे माता पिता स्कूल दूर होने के कारण ही लड़कियों की प़ढ़ाई बंद करा देते थे। इससे लड़कियाें ज्यादा नहीं पढ़ नहीं पाती थी।
भाजपा सरकार ने लड़कियों की इस तकलीफ को समझा और वह ज्यादा पढ़ सकं, स्कूल जाने मे कोई परेशानी न हो इसके लिए छात्राओंं को साइकिल देने की योजना बनाई गई और इस योजना की वजह से ही राज्य में आज छात्रांएं पहले से ज्यादा स्कूल जाती हैं,और हाई, हायर सेंकंडरी की शिक्षा प्राप्त कर पाती हैं।तेंदूपत्ता संग्राहकों को जिस तरह चरण पादुका याद दिलाती ह कि भाजपा हमारी तकलीफ दूर करती है,उसी तरह छात्राओं को साइकिल याद दिलाती है कि भाजपा सरकार के कारण ही हाई स्कूल व हायर सेकंडरी की शिक्षा प्राप्त कर सकी है।
सीएम साय ने सात महीने बाद ही सही भाजपा की पहचान मानी जाने वाली योजनाएं शुरू कर जनता की तकलीफ व उस दूर करने के प्रति अपनी संवेदनशीलता दिखाई है तो इससे भाजपा की पहचान गांवों में बनेगी और उसका राजनीतिक लाभ भी उसे मिलेगा। बहुत सारे राजनीतिक दल को कम खर्च में पार्टी का ज्यादा प्रचार चाहते हैं तो वह ऐसी योजनाएं बनाते हैं जिससे जनता की तकलीफ दूर होती है, भाजपा की ऐसी योजना चरण पादुका योजना, सरस्वती साइकिल योजना है तो कांग्रेस ने अपने समय में गोधन न्याय योजना बनाई थी।
गोधन न्याय योजना ऐसी योजना थी,जो कांग्रेस की पहचान बन गई थी, इस योजना के तहत सरकार गोबर खरीदती थी और उसका खाद बनवाकर बेचती थी। कांग्रेस सरकार की इस योजना मे भी कोई बहुत पैसा नहीं लगता था लेकिन इससे गांवों तक यह संदेश जरूर जाता था कि भूपश सरकार गांवों के विकास, उसकी संपन्नता के लिए काम कर रही हैै।वह गांवों को राेजगार देना चाहती है, गांवों की आय बढ़ाना चाहती है।
हर सरकार के पास लोगों की भलाई के लिए बहुत सारी योजनाएं होती हैं लेकिन सभी योजनाओं से सरकार जनता को भलाई का संदेश नहीं दे पाती है।एक दो योजनाएं ही ऐसी होती है जो पार्टी व सरकार की पहचान होती हैं। पार्टी की सरकार बनने पर जनता खुद चाहती हैं कि वह अपनी योजनाए जरूर लागू करे। राज्य के लोगों ने सीएम साय से ऐसी अपेक्षा की तो उन्होंने भाजपा की पहचान मानी जानेवाला चरण पादुका व सरस्वती साइकिल योजना फिर शुरू कर दी है।