विधानसभा में विस्फोटक बनाने की फैक्ट्री में हुए धमाके का मुद्दा खूब गूंजा। विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों ने इस मामले में सरकार को आड़े हाथ लिया। कांग्रेस सदस्यों ने सरकार पर विस्फोटक बनाने वाली फैक्ट्री के प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। फैक्ट्री में 25 मई को विस्फोट हुआ था, जिसमें कई श्रमिकों की मौत हो गई थी।
विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का नोटिस लाते हुए कांग्रेस विधायक राघवेंद्र सिंह और शेषराज हरबंस ने कहा कि बेमेतरा जिले के पिरदा गांव में स्पेशल ब्लास्ट लिमिटेड में विस्फोट इतना भीषण था कि कुछ पीड़ितों के शरीर के अंग भी नहीं मिल सके।
विपक्षी विधायकों ने यह भी दावा किया कि फैक्ट्री प्रबंधन हताहतों की सही संख्या छिपा रहा है। यह घटना गंभीर आपराधिक लापरवाही और विस्फोटक पदार्थों के निर्माण और भंडारण के संबंध में नियमों का पालन न करने के कारण हुई। सिंह और हरबंस ने दावा किया कि कारखाने में निर्मित और संग्रहीत विस्फोटकों की मात्रा मानदंडों से अधिक होने के बावजूद प्रबंधक के खिलाफ कोई कड़ी कानूनी कार्रवाई नहीं की गई।
इसके जवाब में राज्य के वाणिज्य और उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन ने कहा कि विस्फोट घर्षण के कारण अचानक बिजली उत्पन्न होने के कारण हुआ। उस दौरान कर्मचारी पीईटीएन विस्फोटकों को उठाने और उसके भंडारण में लगे हुए थे। कहा कि विस्फोट से इमारत पूरी तरह से नष्ट हो गई और फैक्ट्री परिसर के अंदर स्थित अन्य विनिर्माण संयंत्र भी क्षतिग्रस्त हो गए। नौ श्रमिकों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए।
मंत्री ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा मृतकों की संख्या छिपाई जा रही है। डीएनए परीक्षण किया जा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा घटनास्थल पर पाए गए श्रमिकों के शवों के अवशेषों की पहचान करने के लिए जांच की गई। विस्फोटकों से संबंधित कानूनों का पालन सुनिश्चित करने के लिए पिछले एक वर्ष में आठ बार यहां नवा रायपुर में उप विस्फोटक नियंत्रक, पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन, भारत सरकार द्वारा कारखाने का निरीक्षण किया गया था और कमियों को दूर करने के लिए निर्देश भी जारी किए गए थे।
उन्होंने कहा कि विस्फोट के बाद पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन ने स्पेशल ब्लास्ट लिमिटेड को जारी किए गए सभी लाइसेंस रद्द कर दिए। कहा कि यह कहना गलत है कि प्रबंधक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। जांच के बाद उप निदेशक औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा दुर्ग ने फैक्ट्री अधिनियम 1948 के प्रावधानों के तहत 26 मई को प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया। देवांगन ने बताया कि फैक्ट्री अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप में फैक्ट्री के अधिष्ठाता अवधेश जैन और प्रबंधक सतीश कुमार के खिलाफ 10 जून को श्रम न्यायालय दुर्ग में आपराधिक मामला दायर किया गया था।
घटना के संबंध में जैन और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 286, 337, 304-ए और विस्फोटक अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। कांग्रेस विधायक राघवेंद्र सिंह और विपक्ष के नेता चरण दास महंत ने जानना चाहा कि फैक्ट्री के मालिक और प्रबंधक को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। महंत ने सरकार के जवाब को असंतोषजनक बताया, जिसके बाद कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया।