अंबिकापुर। शासन के निर्देशानुसार बारिश के मौसम में मौसमी बीमारियों, उल्टी-दस्त और डायरिया नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए संभाग में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। नवनियुक्त संभागीय संचालक डॉ. आरएन गुप्ता द्वारा संभाग के सभी जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन, जिला कार्यक्रम प्रबंधक की एक दिवसीय समीक्षा सह कार्यशाला में बीमारियों के प्रभावी रोकथाम के लिए मैदानी स्तर पर कार्ययोजना बनाकर कार्य करने की सलाह दी गई। दूरस्थ गांव के ऐसे परिवार, जहां पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं, ऐसे परिवारों से मितानिनों को मुलाकात करने और ओआरएस व जिंक का घोल प्रदाय करने हेतु निर्देश दिया गया। साथ ही मौसमी बीमारियों में उपचार हेतु दी जाने वाली दवाइयों की उपलब्धता और वितरण भी सुनिश्चित करने निर्देशित किया गया।
कार्यशाला में बताया गया कि दस्त को गंभीरता के आधार पर तीन वर्गों में बांटा गया है, जिसके आधार पर मरीज का उपचार किया जाता है। लंबे समय तक रहने वाले दस्त में जो 10 दिन से ज्यादा रहता है, जिसमें निर्जलीकरण के साथ-साथ आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है, इसमें ओआरएस के साथ-साथ पौष्टिक तत्वों का देना आवश्यक होता है। आंत रोग दस्त के साथ-साथ खून आना, पेट फूलना, बेहोश होना जैसी गंभीरता पाई जाती है, इसमें अंतड़ियों में सूजन आ जाती है। इस तरह के मरीज का चिकित्सालय में भर्ती कर जांच व इलाज कराया जाना चाहिए। इसी तरह कार्यशाला में डायरिया के संबंध में उपचार और बचाव के उपायों के ज्यादा से ज्यादा प्रचार की अपील की गई। कार्यक्रम में अतिथि वक्ता पूर्व संयुक्त संचालक डॉ. पीएस सिसोदिया ने डायरिया को गंभीर बताते हुए कहा कि यदि समय पर सूचना मिल जाए तो त्वरित प्रबंधन से इसे महामारी बनने से रोका जा सकता है। उन्होंने सूचना तंत्र को मजबूत बनाने पर जोर दिया। कार्यक्रम में नोडल अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता, डॉ. पुषेंन्द्र कुरील एवं अन्य चिकित्सा अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

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