अंबिकापुर। सरगुजा संभाग के पूर्व आईजी हिमांशु गुप्ता वर्तमान में पुलिस मुख्यालय में महानिदेशक के पद पर पदस्थ हैं और प्रशासन शाखा का कार्य देख रहे हैं। वे वर्ष 2016 से 2018 के मध्य तीन वर्ष सरगुजा रेंज के आईजी रहे हैं। सरगुजा संभाग में हिमांशु गुप्ता को अपनी मृदुभाषिता, कार्यकुशलता, मिलनसार व्यवहार तथा आम जनता और पुलिस कर्मियों के लिए किए गए कल्याणकारी कार्यों के लिए याद किया जाता है। सरगुजा तथा दुर्ग आईजी के रूप में उन्होंने ‘आग्रह कक्षÓ की स्थापना की थी, जिसमें हर मंगलवार को आम जनता एवं पुलिसकर्मी उनसे रूबरू अथवा वीडियो कॉल के माध्यम से संवाद कर अपनी समस्याओं का निराकरण करवाते थे। आईपीएस के 1994 बैच के अधिकारी हिमांशु गुप्ता एक सफल पुलिस अधिकारी के साथ-साथ टेक्नोक्रेट भी हैं एवं टेक्नोलॉजी का पुलिसिंग में इनोवेटिव रूप से उपयोग करते हैं। हिमांशु गुप्ता का छत्तीसगढ़ में बेहतरीन कार्यकाल रहा है। वे पांच जिलों-दंतेवाड़ा, बस्तर, धमतरी, जांजगीर-चांपा तथा कोरबा में एसपी रहे हैं। साथ ही तीन संभागों सरगुजा, बस्तर तथा दुर्ग में रेंज आईजी रहे हैं। इसके साथ ही एडीजी इंटेलिजेंस जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी कार्य किया है।
प्रधानमंत्री के समक्ष किए लाईवलीहुड कॉलेज प्रोजेक्ट की ब्रीफिंग
हिमांशु गुप्ता छत्तीसगढ़ के एकमात्र आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्होंने सीईओ जिला पंचायत, आयुक्त-तकनीकी शिक्षा, रोजगार तथा कौशल उन्नयन, सीईओ-छत्तीसगढ़ स्किल डेव्हलपमेंट अथॉरिटी तथा सीईओ-लाईवलीहुड कॉलेज प्रोजेक्ट के रूप में सफलतापूर्वक कार्य किया है। सीईओ, छत्तीसगढ़ लाईवलीहुड कॉलेज प्रोजेक्ट की पदस्थापना के दौरान दिनांक 09 मई 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लाईवलीहुड कॉलेज दंतेवाड़ा आगमन हुआ। इस दौरान लगभग 10 मिनट तक हिमांशु गुप्ता को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लाईवलीहुड कॉलेज प्रोजेक्ट की ब्रीफिंग का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
ए.आई. क्षेत्र में अभी भी 90 प्रतिशत विकास बाकी
वर्ष 1991 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान हिमांशु गुप्ता द्वारा ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं रोबोटिक्सÓ विषय पर रिसर्च पेपर प्रकाशित किया गया था। इस रिसर्च पेपर में उनके द्वारा आम जिंदगी तथा औद्योगिक क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा रोबोट्स के उपयोग, भविष्य तथा खतरों को रेखांकित किया गया था। आज से 33 वर्ष पूर्व, जब ए.आई. को अधिकांश लोग नहीं जानते थे, उन्होंने रिसर्च पेपर के माध्यम से बताया था कि ए.आई. के विकास के साथ-साथ उसका दुरूपयोग भी बढ़ेगा तथा अपराधिक व्यक्ति अपराध घटित करने में उसका उपयोग करेंगे। अतएव ए.आई. के विकास के साथ-साथ या सुनिश्चित किया जाए कि ए.आई. का दुरूपयोग न हो। श्री गुप्ता का यह मानना है 33 वर्ष पूर्व ए.आई. के जिस मॉडल की परिकल्पना की गई थी, 2024 तक उसका 10 प्रतिशत ही विकास हुआ है। ए.आई. क्षेत्र में अभी भी 90 प्रतिशत विकास बाकी है।